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बॉलीवुड की इन 2 बेटियों के बीच चलता है 36 का आंकड़ा, वजह कर देगी हैरान

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नई दिल्ली। जैसा की सभी जानते है कि बॉलीवुड के सबसे बड़े कपूर खानदान में बेटियों और बहुओं को फ़िल्मी इंडस्ट्री से जुड़ने या फिल्मों में काम करने पर शुरू से ही पाबंदी रही है। बावजूद इसके करिश्मा कपूर और करीना कपूर ने फिल्मों में बतौर मुख्य अभिनेत्री बन काम किया है। तो वहीँ अगर रणबीर कपूर की फैमिली देखें तो रणबीर कपूर की बहन रिद्धिमा कपूर स्क्रीन से दूर ही रहीं।

कपूर खानदान की दो बेटियां जो एक-दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करतीहालंकि वो एक बिजनेस वीमेन हैं। उनका ज्वैलरी और फैशन डिजाइनिंग का बिजनेस है। वहीं, रिद्धिमा से जुड़ी एक बात और है। जो हमेशा चर्चा में रहती है, वो ये है कि रिद्धिमा का करिश्मा कपूर से छतीस का आंकडा रहना।

कपूर खानदान की दो बेटियां जो एक-दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करतीखबरों के मुताबिक़, इस खानदान की दो बहुएं बबिता और नीतू सिंह में शुरू से नहीं बनी। दोनों आपस में बात करना तो दूर, एक-दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करती थीं। यही वजह है कि इनकी बेटियों की भी आपस में नहीं बनी।

कपूर खानदान की दो बेटियां जो एक-दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करतीनीतू सिंह की बेटी रिद्धिमा और बबिता की बेटी करिश्मा आज भी एक-दूसरे को देखना पसंद नहीं करती हैं।

कपूर खानदान की दो बेटियां जो एक-दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करतीरिद्धिमा ने दिल्ली के बिजनेसमैन भरत साहनी से शादी की है। दोनों की मुलाकात लंदन में हुई थी। दोनों ने तीन साल की डेटिंग के बाद 2006 में शादी की। भरत की अपनी गारमेंट कंपनी और फैशन हाउस है। समारा साहनी रिद्धिमा की बेटी है । बता दें कि रिद्धिमा रणबीर से बड़ी हैं, लेकिन करीना और उनकी उम्र बराबर है। दोनों में केवल 6 दिनों का अंतर है।

कपूर खानदान की दो बेटियां जो एक-दूसरे को देखना तक पसंद नहीं करती

 

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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