ऑफ़बीट
यहां मौत पर हर साल मनता है जश्न, याद में 3 दिन तक चलता है नाच-गाना
जब अपने दुनिया से रुखसत हो जाते हैं तो एक कभी न भरने वाला खालीपन महसूस होता है। इसलिए हम हर साल उनकी बरसी मनाते है। यह तो हो गई भारत की बात। दुनिया में ऐसे और भी कई देश हैं जो अपने पूर्वजों के लिए हर साल त्योहार मनाते हैं। उनमें से एक देश जापान भी है। इस त्योहार को जापानी भाषा में ‘ओ-बोन’ कहा जाता है। यह वहां की एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
ओबोन का त्योहार तीन दिन तक रहता है, हालांकि इसकी शुरुआत की तारीख जापान के विभिन्न क्षेत्रों में अलग होती है। इस दिन जापानी लोग अपने पूर्वजों के घर या गांव जाते हैं। ओ-बोन के पहले दिन लोग घरों को साफ करते हैं और अपने पूर्वजों की कब्र पर जाकर फूल चढ़ाते हैं। इसके पीछे उनका मानना है कि दुनिया से चले जाने के बाद पूर्वज साल का एक दिन चुनते हैं, जब वह अपने परिजनों और दोस्तों से मिलने आते हैं।
पूर्वजों को घरों तक आने में कोई परेशानी न हो इसलिए लोग अपने घरों के बाहर लालटेन लटका देते हैं। उनके लिए खूब सारे पकवान बनाए जाते हैं। पहले दिन होने वाले इस कार्यक्रम को मुके-बोन कहा जाता है। पारंपरिक ओ-बोन नृत्य, जिसे जापानी भाषा में ‘बोन-ओडोरी’ कहते हैं, किया जाता है। खुशी से लोग नाचते-गाते हैं।
आखिरी दिन, परिवार अपने पूर्वजों की आत्माओं को वापस उनकी दुनिया भेजने के लिए सभी लोग मिलकर उनके नाम के दीये जलाकर नदियों में विसर्जित करते हैं। इस प्रक्रिया को ‘ओकिरी-बॉन’ कहा जाता है। वह मानते हैं कि उनके पूर्वज यह सब देखकर खुश होते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन
चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.
लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.
महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’
राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”
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