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बिजनेस

अर्जेटीना में सूखा से सोया तेल महंगा होने के आसार

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नई दिल्ली, 23 मार्च (आईएएनएस)| दुनिया में सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक अर्जेटीना में सूखा पड़ने की वजह से फसल खराब होने की आशंका के बीच इस साल उत्पादन कम होने की उम्मीद है।

भारत सबसे ज्यादा सोया तेल का आयात अर्जेटीना से करता है। ऐसे में भारत के लिए सोया तेल का आयात आने वाले दिनों में महंगा हो सकता है। अर्जेटीना ब्यूनस आयर्स ग्रेन एक्सचेंज (बीएजीई) का अनुमान है कि सूखे की वजह से अर्जेटीना में इस साल सोयाबीन का उत्पादन घट सकता है। बीएजीई ने अपनी हालिया रिपोर्ट में गुरुवार को अर्जेटीना के सोयाबीन उत्पादन के अपने अनुमान में 25 लाख टन की कटौती कर 395 लाख टन रहने की उम्मीद जताई है। इससे पहले सोयाबीन उत्पादन 420 लाख टन रहने का अनुमान जारी किया गया था।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ‘सोयाबीन एंड कॉर्न एडवाइजर’ के मुताबिक अर्जेटीना में पिछले सप्ताहांत में बारिश हुई, लेकिन उससे फसलों को बहुत राहत नहीं मिली है। वहां, सूखे की वजह से पिछले सप्ताह बारिश होने से पहले जमीन में नमी 80 फीसदी तक बेहद खराब और 88 फीसदी कम खराब बताई गई थी।

साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीईए) के मुताबिक भारत ने जनवरी 2018 में 2.24 लाख टन सोया तेल का आयात किया, जो पिछले साल 1.66 लाख टन से करीब 35 फीसदी है। इस तरह भारत सालाना 22.25 लाख टन सोया तेल का आयात करता है और देश में ज्यादातर अर्जेटीना से ही सोया तेल मंगाया जाता है।

हालांकि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक डी. एन. पाठक का कहना है कि अर्जेटीना में अगर फसल खराब है तो भारत ब्राजील और अमेरिका से अपनी जरूरत की पूर्ति करेगा, लेकिन तेल में कोई खास महंगाई नहीं रहेगी।

पाठक ने कहा, हम चाहते हैं कि सरकार सोया तेल पर आयात शुल्क 10 फीसदी बढ़ा दे। चूंकि 45 फीसदी से ज्यादा आयात शुल्क इस पर नहीं बढ़ाया जा सकता है क्योंकि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों की बाध्यता है।

खाद्य तेल बाजार के जानकार मुंबई के सलिल जैन बताते हैं कि घरेलू खाद्य तेल उद्योग की ओर से सोया तेल के आयात पर शुल्क बढ़ाने की मांग की जा रही है। अगर सरकार सोया और सूर्यमुखी तेल पर आयात शुल्क बढ़ाती है तो किसानों को अभी कोई फायदा तो नहीं मिलेगा लेकिन उपभोक्ताओं के लिए तेल जरूर महंगा हो जाएगा।

सीईए के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. बी. वी मेहता ने पिछले दिनों आईएएनएस से बातचीत में कहा, खाद्य तेल की हमारी तकरीबन 70 फीसदी जरूरत आयात से पूर्ति होती है। ऐसे में आयात से निर्भरता कम करने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है जिसके लिए किसानों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भावांतर योजना को अगर देशभर में सही तरीके से अमल में लाया जाए तो किसानों को उनकी फसल का दाम मिलेगा और तिलहनों का उत्पादन बढ़ेगा।

इस समय क्रूड सोया तेल पर आयात शुल्क 30 फीसदी और और रिफाइंड सोया तेल पर आयात शुल्क 35 फीसदी है। पिछले दिनों एक मार्च को क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क 30 फीसदी से बढ़ाकर 44 फीसदी और रिफाइंड पाम तेल पर 40 फीसदी से बढ़ाकर 54 फीसदी किए जाने के बाद से सोया और सूर्यमुखी समेत अन्य खाद्य तेल के आयात पर शुल्क बढ़ाने की मांग की जा रही है।

डॉ बी.वी मेहता का कहना कि सभी खाद्य तेल पर एक समान आयात शुल्क होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि अर्जेटीना में फसल खराब होने से भारत में जहां सोया तेल महंगा होगा वहीं, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अर्जेटीना के डीओसी का भाव बढ़ने से भारत के डीओसी की मांग निकलेगी जिससे घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतों को सहारा मिलेगा।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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