बिजनेस
पहली छमाही में निर्धारित लक्ष्य का 47.5 फीसदी उधारी लेगी सरकार : गर्ग
नई दिल्ली, 26 मार्च (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने निर्धारित लक्ष्य की राशि से कम उधारी लेने की मंशा जाहिर करते हुए सोमवार को कहा कि वह आगामी वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही में अपने बेंचमार्क बांड स्कीम के जरिए से महज 2.88 लाख करोड़ रुपये उधारी लेगी। केंद्र सरकार बाजार से बेंचमार्क बांड स्कीम व सरकारी प्रतिभूतियों से धन संग्रह करती है।
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने संवाददाताओं को बताया, यह कुल निर्धारित रकम का 47.5 फीसदी होगा जबकि वर्षो में इसी अवधि में यह लक्षित राशि का 60-65 फीसदी रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा आगामी वित्त वर्ष में अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए छोटी बचत योजनाओं से ज्यादा धन संग्रह करने की है।
गर्ग ने कहा, हम 75,000 करोड़ रुपये की निर्धारित रकम के लिए राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा निधि से एक लाख करोड़ रुपये उधारी लेंगे।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019 में सरकारी प्रतिभूतियों से कुल उधारी 6,05,539 करोड़ रुपये संग्रह करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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