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बिजनेस

हैदराबाद विकास केंद्र में ‘माईक्रोसॉफ्ट गैराज’ शुरू

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हैदराबाद, 26 मार्च (आईएएनएस)| माइक्रोसॉफ्ट ने सोमवार को यहां अपने भारत विकास केंद्र (आईडीसी) में ‘माइक्रोसॉफ्ट गैराज’ को आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया है। सॉफ्टवेयर दिग्गज ने एक बयान में कहा कि यह गैराज माईक्रोसॉफ्ट के कर्मचारियों के लिए एक संसाधन है, जो नए व इनोवेटिव तरीकों से प्रॉब्लम-सॉल्विंग को बढ़ावा देता है ताकि लोग ज्यादा उपलब्धि हासिल करने में समर्थ बन सकें।

हैदराबाद में माईक्रोसॉफ्ट इंडिया डेवलपमेंट सेंटर में गैराज सुविधा का उद्घाटन तेलंगाना के आईटी मंत्री के. तारक रामा राव ने किया है।

इस समारोह में तेलंगाना के प्रधान सचिव जयेश रंजन, माईक्रोसॉफ्ट गैराज के पार्टनर डायरेक्टर जेफ रामोस, माईक्रोसॉफ्ट इंडिया (आरएण्डडी) के कॉपोर्रेट उपाध्यक्ष (क्लाउड और कंप्यूटिंग) और प्रबंध निदेशक अनिल भंसाली, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एण्ड रिसर्च (एआईएण्डआर) माईक्रोसॉफ्ट ग्लोबल के कॉपोर्रेट उपाध्यक्ष टी.के. रंगराजन और माईक्रोसॉफ्ट गैराज- इंडिया की निदेशक रीना दयाल यादव उपस्थित रहे।

यह गैराज माईक्रोसॉफ्ट के कर्मचारियों के लिए एक मंच है जो प्रयोग की संस्कृति को बढ़ावा देता है और विभिन्न संस्थानों में एक साथ काम करते हुए वो विचारों की खोज कर प्रोटोटाइप विकसित करते हैं और वर्तमान उत्पादों को ज्यादा उपयोगी बनाते हैं।

अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित 8000 वर्गफीट का गैराज इंडिया कंपनी की विभिन्न टीमों को उनकी परियोजनाओं में सहयोग करने के लिए निर्मित किया गया है। इसमें तीन समर्पित लैब खंड हैं – हैकेथॉन्स और कार्यशालाओं के लिए केंद्र, इलेक्ट्रॉनिक वर्कबेंच के साथ एक मेकरस्पेस और एक उन्नत मेकरस्पेस, 3 डी प्रिंटर, लेसर कटर, प्रोटोटाइप बनाने के लिए पीसीबी मिलिंग मशीन, ऑगमेंटेड रियल्टी (एआर) वर्चुअल रियल्टी (वीआर) के क्षेत्र में काम करने के लिए समर्पित एक रियल्टी रूम तथा डीप लर्निग पर काम करने के लिए मिक्स्ड रियल्टी एप्लीकेशंस और समर्पित स्पेस और ईक्विपमेंट।

‘द गैराज’ द्वारा विकसित प्रभावशाली टूल्स और टेक्नॉलॉजीज में सीईंग एआई शामिल है, जो दृष्टिहीनों के लिए विकसित एप है। यह उन्हें आसपास के परिवेश की जानकारी देता है। यह प्रोजेक्ट लोगों, टेक्स्ट, करेंसी, कलर और ऑब्जेक्ट्स के विवरण के लिए एआई का उपयोग करता है।

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बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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