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बिजनेस

आईसीआईसीआई बैंक ने चंदा कोचर पर जताया भरोसा

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मुंबई, 29 मार्च (आईएएनएस)| आईसीआईसीआई बैंक के चेयरमैन एम. के. शर्मा ने वीडियोकॉन मसले पर अपना रुख दोहराते हुए गुरुवार को कहा कि बैंक की प्रबंध निदेशक (एमडी) व सीईओ चंदा कोचर पर कुनबापरस्ती का आरोप बेबुनियाद और द्वेषपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि आईसीआईसीआई के बारे में वीडियोकॉन समूह (वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज और उसके 12 अनुषंगी व सहायक) को ऋण समेकन कार्यक्रम और समूह के तेल व गैस पूंजी खर्च कार्यक्रम के तहत तकरीबन 40,000 करोड़ रुपये देने का जो खुलासा किया गया है वह 10 फीसदी से भी कम है।

शर्मा ने दावा किया कि बैंक के किसी भी कर्मी को इसके किसी क्रेडिट को प्रभावित करने की क्षमता नहीं है।

उन्होंने कहा कि कोचर ने वीडियोकॉन को कर्ज देने वाली कमेटी की अध्यक्षता नहीं की थी। वह कमेटी का हिस्सा थी।

मुंबई में एक प्रेसवार्ता में शर्मा ने कहा, सभी प्रकार के कर्ज मंजूर करने वाली बनाई क्रेडिट कमेटी, जिसमें स्वतंत्र निदेशकों को शामिल किया गया है, में बैंक के किसी भी कर्मी को बैंक द्वारा क्रेडिट प्रदान करने के फैसलों पर कोई प्रभाव डालने की क्षमता नहीं होती है चाह वह कितना भी बड़ा पद क्यों न धारण करता हो।

उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यू पावर रिन्यूबल्स आईसीआईसीआई बैंक से उधारी लेते हैं और कोचर ने उस कमेटी की अध्यक्षता नहीं की थी जिसने ने वीडियोकॉन को कर्ज दिया।

उन्होंने कहा, कोचर उस क्रेडिट कमेटी का हिस्सा थी जिसने वीडियोकॉन को कर्ज की सुविधा मंजर की। बोर्ड इसे हितों के टकराव के रूप में नहीं देखता है क्योंकि वीडियोकॉन न्यूपावर रिन्यूबल्स में निवेशक नहीं है।

शर्मा ने यह भी कहा कि कोचर ने कंपनी अधिनियम और बैंकिंग अधिनियम के तहत विनियामक दिशानिर्देशों के अनुपालन में अपने सभी खुलासे किए।

शर्मा ने कहा, आईसीआईसीआई बैंक इस कंसोर्टियम का प्रमुख बैंक नहीं था और बैंक ने तकरीबन 3,250 करोड़ की सुविधाओं में सिर्फ अपनी हिस्सेदारी को मंजूरी दी, जोकि अप्रैल 2012 में कंसोर्टियम की कुल सुविधा के 10 फीसदी से कम थी।

बैंक ने बुधवार को एक बयान में कहा, बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विभिन्न अफवाहों में जैसा आरोप लगाया गया है उस तरह का कोई गड़बड़ या कुनबापरस्ती या हितों का टकराव नहीं है। बोर्ड को बैंक की एमडी व सीईओ चंदा कोचर पर पूरा विश्वास व भरोसा है।

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बिजनेस

जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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