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सतीश 1 बार के अलावा कभी बिना पदक के घर नहीं आया : अभिभावक
चेन्नई, 7 अप्रैल (आईएएनएस)| आस्ट्रेलिया में जारी 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में शनिवार को तीसरे दिन भारत को तीसरा स्वर्ण पदक दिलाने वाले भारोत्तोलक सतीश कुमार शिवालिंगम के माता-पिता के लिए यह जश्न की बात है, लेकिन वह आश्वस्त थे कि उनका बेटा बिना पदक के घर नहीं लौटेगा।
सतीश के माता-पिता ने कहा कि उनका बेटा केवल एक बार बिना पदक के घर लौटा था और इसके बाद वह हमेशा पदक के साथ ही घर लौटा।
सतीश ने भारोत्तोलन की पुरुषों के 77 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में भारत को सोने का तमगा दिलाया।
सतीश ने स्नैच में 144 का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया तो वहीं क्लीन एंड जर्क में 173 का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया। कुल मिलाकर उनका स्कोर 317 रहा। उन्हें क्लीन एंड जर्क में तीसरे प्रयास की जरूरत नहीं पड़ी।
सतीश की मां एस. देवानाई ने आईएएनएस को फोन पर दिए बयान में कहा, खेलों से पहले उसे पैर में चोट लग गई थी। 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में वह अच्छी फॉर्म में थे।
देवानाई ने कहा, सतीश कभी भी बिना पदक के घर नहीं लौटा। ओलम्पिक खेलों का एक मौका था, जब वह पदक हासिल नहीं कर पाया था।
सतीश के पिता एन. शिवालिंगम ने कहा, हम बहुत घबराए हुए थे। सतीश हमेशा हमसे फोन पर बात करता था। उसने कहा था कि उसे आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलेगी।
भारत के पूर्व सैनिक शिवालिंगम ने कहा, सतीश जब पोडियम पर थे उस समय भारत का राष्ट्रगान बजने पर हमें बहुत गर्व महसूस हुआ।
खेल में अपने बेटे के शुरुआती दिनों को याद करते हुए शिवालिंगम ने कहा, सतीश जब आठवीं कक्षा में था, तो उसने हमसे कहा था कि उसके स्कूल के प्रशिक्षक मास्टर ने उसे भारोत्तोलन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कहा है। मैंने इसके लिए स्वीकृति दे दी और उसे प्रशिक्षित करना शुरू किया।
सतीश ने इसके बाद जिला स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता जीती और राष्ट्रीय स्कूल चैम्पियनशिप में भी खिताबी जीत हासिल की। इसके बाद उसने जूनियर और सीनियर वर्ग में भी खिताब जीते।
प्रशिक्षण के दौरान सतीश की डाइट के बारे में शिवालिंगम ने कहा, हम उसकी रोजमर्रा की प्रैक्टिस के अलावा उसके खाने-पीने का पूरा ध्यान रखते थे। हम उसे आधा लीटर दूथ, मीट और हर दिन दो अंडे खाने के लिए देते थे। खेल में काफी प्रोटीन की जरूरत होती है और एक खिलाड़ी को कभी थका हुआ महसूस नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा, कॉफी में कैफीन होता है, तो यह सतीश के लिए मना था। वह मेरी हर बात मानता था और प्रशिक्षण करता था। इसके बाद वह पटियाला में राष्ट्रीय शिविर के लिए गया।
तमिलनाडु के खेल विकास प्राधिकरण में भारोत्तोलन कोच एल. विनायगमूर्थी ने आईएएनएस को कहा, 2006 से 2009 के बीच सतीश ने मेरे मार्गदर्शन में प्रशिक्षण किया और 2010 में वह राष्ट्रीय शिविर में शामिल हुआ। स्कूल के दिनों में सतीश ने राष्ट्रीय स्तर पर 2007 में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने स्कूल की प्रतियोगिताओं और राष्ट्रीय भारोत्तोलन चैम्पियनशिपों में कई स्वर्ण पदक जीते।
शिवालिंगम के मुताबिक, पहले सातुवाचारी में लोग भारोत्तोलन जैसे खेल में शामिल हो जाते थे क्योंकि इससे रेलवे, सेना और अन्य सरकारी संगठनों में आसानी से नौकरी मिल जाती थी।
उन्होंने कहा कि वहां 40 साल पहले भी जिम हुआ करते थे।
विनायगमूर्थी के अनुसार, वैल्लोर जिले ने चार अर्जुन पुरस्कार खिलाड़ी, छह ओलम्पिक खिलाड़ी और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर 40 पदक जीतने वाले खिलाड़ी दिए हैं।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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