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प्रादेशिक

गर्मी से पहले ही सूखने लगी बेतवा

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हमीरपुर गर्मियों का महीना अभी आया भी नहीं है, मगर यहां की ऐतिहासिक यमुना व बेतवा नदियां सूखने लगी हैं। इससे तटवर्ती इलाकों में हायतौबा मच गई है। मजे की बात तो यह है कि बेतवा नदी में लगी लिफ्ट कैनाल का भी संचालन एक तरह से ठप हो जाएगा। जिले की अन्य नदियों व प्राचीन तालाबों की भी कुछ इसी तरह की स्थिति है जो कुदरत की काली छाया की चपेट में है। हमीरपुर जिले में कानपुर-सागर राजमार्ग के पश्चिमी किनारे यमुना नदी बहती है। इस जिले की जलवायु कर्क रेखा के समीप रहने से यमुना नदी के उत्तरी भाग की अपेक्षा अधिक शुष्क भी रहती है।

बताया जाता है कि यमुना 77 किलोमीटर लंबाई में बहकर ढाई सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को ऊबड़-खाबड़ बनाए है। यही स्थिति बेतवा नदी की है जो अभी से सूखने लगी है। जानकारों की मानें तो किसी जमाने में जेठ और आषाढ़ के महीनों में नाव से बेतवा नदी पार करने वाले अब पांव-पैदल ही नदी के आरपार हो रहे हैं और आवारा जानवर भी दिनभर नदी में उछलकूद करते हैं।

चिंता की बात तो यह है कि डिग्गी रमेड़ी के पास बेतवा नदी किनारे गहरे पानी में अरसे पहले लिफ्ट केनाल लगाई गई थी, जिससे किसानों को पानी मिलता था, मगर अब इन दिनों नदी के नाले में तब्दील हो जाने का सिलसिला शुरू होने से लिफ्ट केनाल का संचालन भी आने वाले समय में ठप हो जाएगा।

और तो और, सहजना लिफ्ट केनाल भी नदी में पानी कम होने के कारण बंद होने की स्थिति में आ गई है। बेतवा और यमुना नदियों के नाले में तब्दील होने का नजारा देख तटवर्ती इलाकों के लोग चिंता में पड़ गए हैं।

स्थानीय निवासी हिमांशु कुमार सैनी का कहना है कि इस महीने में बेतवा नदी का यह हाल है तो आने वाले दिनों में तो नदी में धूल उड़ेगी।

जिले के अन्य नदियों व प्राचीन तालाबों की भी यही हालत बताई जा रही है। इधर यमुना नदी में भी पानी कम हो गया है। नदी के बीचोबीच रेत का अंबार लग गया है, जबकि जलस्तर न के बराबर होने से नदी का बहाव भी कम हो गया है।

स्थानीय लोग पवित्र नदियों के नाले में तब्दील होने से काफी चिंतित हैं। उधर, मौदहा क्षेत्र की चंद्रावल नदी में कुदरत की काली छाया पड़ने से यह नदी सूखने के मुहाने आ गई है।

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छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में ठंड ने दी दस्तक, कड़ाके की ठंड के बीच 2 लोगों की मौत

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छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी है। आने वाले चार-पांच दिनों 4 से 5 डिग्री सेल्सियस तक गिरावट दर्ज की जा सकती है। वहीं कड़ाके की ठंड के बीच 2 लोगों की मौत हो गई। पहली मौत अंबिकापुर में शुक्रवार और दूसरी मौत बिलासपुर में हुई है। वहीं मैनपाट 6 डिग्री के साथ सबसे ठंडा और दुर्ग 30.4 डिग्री के साथ सबसे गर्म रहा।

मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश में अब न्यूनतम तापमान में परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। न्यूनतम तापमान में अब ज्यादा वृद्धि भी नहीं होगी, और न ही गिरावट आएगी। आगामी तीन दिनों में दक्षिण छत्तीसगढ़ में न्यूनतम तापमान में कोई विशेष बदलाव की संभावना नहीं है। मौसम एक्सपर्ट ने बताया कि आगामी तीन दिनों के बाद प्रदेश में न्यूनतम तापमान में वृद्धि होने की संभावना है। प्रदेश के दक्षिण भागों में दो डिग्री सेल्सियस तक न्यूनतम तापमान बढ़ सकता है। वहीं प्रदेश के शेष भागों में तापमान में कोई परिवर्तन नहीं होगी

इन दिनों सबसे ज्यादा ठंड अंबिकापुर में है। शनिवार को प्रदेश में सबसे कम न्यूनतम तापमान 08.4 डिग्री अंबिकापुर में दर्ज किया गया। वहीं सबसे अधिक तापमान 30.8 डिग्री सुकमा में रहा। अब दक्षिण छत्तीसगढ़ में अगले तीन दिन बाद न्यूनतम तापमान में एक-दो डिग्री की वृद्धि होने की संभावना है। राजधानी रायपुर में रविवार को बादल रहने की संभावना है। यहां अधिकतम तापमान 29 डिग्री और न्यूनतम तापमान 15 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है।

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