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कीटनाशी रसायनों से नहीं होता कैंसर का खतरा : शोध

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नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)| फसलों पर कीटनाशी रसायनों का इस्तेमाल किए जाने से उपभोक्ताओं को कैंसर का कोई खतरा नहीं होता है। यह बात एक हालिया शोध से प्रकाश में आई है।

गुजरात के वापी शहर स्थित जय रिसर्च फाउंडेशन (जेआरएफ) ने अपने एक शोध में वापी में कहा है कि कैंसर का कीटनाशक से कोई संबंध नहीं हैं। कीटनाशक और अन्य रसायनों पर तीन दशक से अधिक समय से रिसर्च कर रही जय रिसर्च फाउंडेशन (जेआरएफ) के निदेशक डॉ. अभय देशपांडे ने कीटनाशक से कैंसर होने के मिथक को महज भ्रांति बताया।

उन्होंने कहा, अगर कीटनाशक की वजह से कैंसर होता तो सरकार कब का इस पर प्रतिबंध लगा चुकी होती। कैंसर ले लिए कई कारक जिम्मेदार हैं जिनमें हम इंसानों की बदलती जीवनशैली बहुत बड़ा कारक बन रही है।

डॉ. देशपांडे ने कहा, कीटनाशक दवाइयां विभिन्न प्रकार के कीट पतंगों और फंगस से फसल की सुरक्षा कर उत्पादन बढ़ाने में कारगर साबित हुई हैं। खाद्यान्नों उपलब्धता बढ़ने से आज हमारे देश की वर्तमान औसत जीवन प्रत्याशा उम्र 69 वर्ष के आसपास है जो 60 के दशक में करीब 42 वर्ष के आसपास थी।

डॉ. देशपांडे ने बताया कि एक कीटनाशक के मॉलिक्यूल को लैब से खेत तक आने में करीब 9 से 12 साल का वक्त लग जाता है जिसमें करीब 5000 करोड़ रुपये तक का निवेश होता है। एक कीटनाशक के असर को पानी में मौजूद काई (एलगी) से लेकर पशुओं के तीन पीढ़ी तक अध्ययन किया जाता है अगर इनमें से किसी भी प्राणी पर इसका विपरीत असर दिखता है तो कीटनाशक को स्वीकृति नहीं मिलती।

उन्होंने कहा कि कीटनाशक को सभी प्रकार के वातावरण में परखा जाता है और सभी में सुरक्षित साबित होने के बाद ही इसे स्वीकृति मिलती है। इसके बाद इसे देश और विदेश के कई स्वीकृत एजेंसियों द्वारा टेस्ट किया जाता है फिर इनके इस्तेमाल की अनुमति दी जाती है। भारत मे कीटनाशकों को सेंट्रल इंसेक्टिसाइड बोर्ड एंड रेजिस्ट्रेशन कमिटी द्वारा अनुमति प्रदान की जाती है।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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