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फीफा विश्व कप : नेमार की कप्तानी में 16 साल का सूखा खत्म करने उतरेगा ब्राजील
नई दिल्ली, 17 मई (आईएएनएस)| ब्राजील ने 2002 में काफू के नेतृत्व में रिकार्ड पांचवीं बार फीफा विश्व कप जीता था लेकिन उसके बाद से वह तमाम प्रयासों के बावजूद खिताब तक नहीं पहुंच सकी। रूस में इस साल जून-जुलाई में होने वाले विश्व कप के लिए ब्राजीली टीम का नेतृत्व करिश्माई स्टार नेमार के हाथों में है और अब देखना यह है कि क्या नेमार अपनी टीम के लिए 16 साल का खिताबी सूखा खत्म कर पाते हैं या नहीं।
फीफा विश्व कप में ब्राजील का गौरवशाली इतिहास रहा है। वह विश्व में एकलौती ऐसी टीम है, जिसने इस टूर्नामेंट के सभी संस्करणों में भाग लिया है। ब्राजील भले ही फुटबाल जन्मदाता न हो लेकिन दक्षिण अमेरिका के इस देश ने फुटबाल को सुदंरता प्रदान करने का कार्य किया है। ब्राजील की अपनी एक अलग शैली है और दुनिया भर में इस शैली को पसंद किया जाता है। यही कारण है कि एशिया से लेकर प्रशांत तक दुनिया भर में ब्राजीली खिलाड़ियों और टीम के प्रशंसक हैं।
ब्राजील ने पहला विश्व कप 1958 में जीता था। उस विश्व में पहली बार प्रशंसकों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेले नामक जादूगर का कौशल देखा। 17 वर्षीय पेले ने टूर्नामेंट में कुल छह गोल किए, खासकर सेमीफाइनल एवं फाइनल मुकाबले में उन्होंने ब्राजील को एकतरफा जीत दिलाई। पेले ने फ्रांस के खिलाफ सेमीफाइनल में हैट्रिक लगाई जबकि फाइनल में मेजबान स्वीडन के खिलाफ दो गोल किए। वह विश्व कप जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने। पेले के आलावा गारिंचा और दीदी जैसे शीर्ष स्तरीय खिलाड़ियों ने भी टीम की जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
राइट विंग पर खेलने वाले गारिंचा अपनी कलात्मक ड्रिबलिंग के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध थे जबकि दीदी ब्राजील के मिडफील्ड की जाने थे। दीदी ने प्रतियोगिता के दौरान ब्राजील की डिफेंस को मजबूत तो किया ही, फारवर्ड लाइन को भी लगातार बेहतरीन पास दिए।
ब्राजील ने लगातार दूसरी बार 1962 में चिली में हुए विश्व कप जीत दर्ज की। हालांकि, इस संस्करण में दर्शकों को पेले का जलवा देखने को नहीं मिला लेकिन गारिंचा ने अपने खेल से सभी को मंदत्रमुग्ध कर दिया। पेले टूर्नामेंट के दूसरे मैच में चोटिल हो गए जिसके कारण उनके बिना ही ब्राजील ने खिताब पर कब्जा किया।
1970 के विश्व कप में ब्राजील एक टीम की तरह खेली और हर खिलाड़ी ने जीत ने अपना योगदान दिया। टीम में पेले, रिवेलिनो, गेरसोन, टोसाटो और जैरीजिन्हो जैसे खिलाड़ी थे जिन्होंने पूरे टूर्नामेंट के दौरान विपक्षी टीमों को परेशानी में डाले रखा।
पेले ने इटली के खिलाफ फाइनल मुकाबले के दौरान विश्व कप में ब्राजील का 100वां गोल दागा। टीम के कप्तान कार्लोस अल्बटरे विश्व कप जीतने वाले सबसे युवा कप्तान बने।
ब्राजील को अपना अगला विश्व कप जीतने के लिए 24 वर्षो का इंतजार करना पड़ा। 1994 में ब्राजील ने उतनी कलात्मक फुटबाल नहीं खेली जिसके लिए वह जाने जाते थे लेकिन पूरे टर्नामेंट के दौरान टीम को प्रदर्शन शानदार रहा। स्ट्राइकर रोमारियो ने प्रतियोगिता में कुल पांच गोल दागे।
वर्ष 2002 में पांचवीं बार खिताब जीतकर ब्राजील ने 1998 विश्व कप के फाइनल में फ्रांस के खिलाफ मिली हार 0-3 की हार का के गम भुलाया। इस विश्व कप में रोनाल्डो टीम के हीरो रहे। उन्होंने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा आठ गोल दागे और उस समय विश्व कप में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बने। बाद में उनका यह रिकॉर्ड जर्मनी के मीरोस्लाव क्लोस ने तोड़ा।
ब्राजील के मौजूद हालात भी 2002 विश्व कप से मिलते-जुलते हैं। 1998 के फाइनल में फ्रांस ने ब्राजील को 3-0 से मात दी थी जबकि 2014 विश्व कप में मेजबान टीम को सेमीफाइनल में जर्मनी के खिलाफ 1-7 की करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी और उस हार को भुलाकर खिताब जीतना टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
नेमार आज भी ब्राजीली टीम के सबसे चमकदार सितारे हैं लेकिन इस बार के हालात 2014 से कुछ अलग हैं। चार साल पहले ब्राजीली टीम पूरी तरह नेमार पर निर्भर थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। टीम का हर खिलाड़ी अपने दम पर मैच जिताने की कूव्वत रखता है। 2002 की तरह ही टीम का अटैक और मिडफील्ड मजबूत है जबकि डिफेंस और गोलपोस्ट में भी ब्राजील के पास अनुभवी खिलाड़ी है। हालांकि, टीम को दानी आल्वेस के अनुभव की कमी खल सकती है।
ब्राजील का आक्रमण विश्व कप में जर्मनी, स्पेन और फ्रांस जैसी मजबूत टीम के लिए मुश्किल का सबब बन सकता है। मैदान पर नेमार, फिलिप कोटिन्हो, विलियन, कैसिमीरो, मार्सेर्लो, रोबटरे फिर्मिनो और गेबर्यिल जीसस की मौजूदगी किसी भी टीम की डिफेंस को भेदने में सक्षम है।
नेमार पिछले कुछ समय से चोटिल होने के कारण मैदान से बाहर रहे हैं लेकिन अगर वह विश्व कप में पूरी तरह फिट होकर खेलते हैं तो ब्राजील छठी बार भी खिताब पर कब्जा कर सकता है। हालांकि इस क्रम में उन्हें मैदान के हर कोने से अपने साथियों के मदद की जरूरत होगी।
टीम :
गोलकीपर : एलिसन, कासियो, एंडरसन
डिफेंडर : डानिलो, गेरोमेल, फिलिपे लुइस, मार्सेलो, मार्किन्होस, मिरांडा, फागनेर, थियागो सिल्वा
मिडफील्डर : कैसिमीरो, फर्नाडिन्हो, फ्रेड, पॉलिन्हो, फिलिपे कोटिन्हो, रेनाटो ऑगस्तो, विलियन
फारवर्ड : डॉगलस कोस्टा, फिर्मिनो, गेब्रिएल जीसस, नेमार, टाइसन
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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