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बॉलीवुड एक्ट्रेस मल्लिका शेरावत पिंजरे में हुईं कैद और हो गई ऐसी हालत…

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कान्स फिल्म फेस्टिवल में बॉलीवुड और हॉलीवुड एक्ट्रेसेज का ग्लैमर लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। इसके चलते वे समारोह में चार चांद लगा रही हैं। वहीं, मल्लिका शेरावत खुद को पिंजरे में बंदकर खासी सुर्खियां बटोर रहीं हैं। काफी लंबे अरसे के बाद मल्लिका ने किसी समारोह में अपनी दमदार मौजूदगी का एहसास कराया है।

इन दिनों मल्लिका की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों में मल्लिका शेरावत जानवरों को बदं किए जाने वाले एक पिंजरे में बंद नजर आ रही हैं।

दरअसल, मल्लिका ‘Free A Girl India’ नाम के कैंपेन की एंबेसडर हैं। यह कैंपेन मानव तस्करी और बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ आवाजा उठाता है और जागरूकता फैलाने का काम करता है। मल्लिका ने इस समस्या की ओर लोगों का ध्यान खींचने लॉक मी अप कैंपेन चलाया और खुद को 12×8 फीट के पिंजरे में बंद किया है।

इस बारे में मल्लि‍का ने ट्वीट करते हुए लिखा.. ‘हर मिनट जिसमें हम कुछ नहीं कर रहे होते, एक महिला दुर्व्यवहार का सामना कर रही होती है। उन्होंने पिंजरे के अंदर रहकर उन बच्चों की हालत दिखाने की कोशिश की है, जिन्हें जबरन गुलाम बनाकर उनसे काम लिया जाता है।

मल्लिका ने कहा कि एक पिंजरे में बंद होकर मैं इसकी कल्पना करना चाहती थी कि कैसे युवा लड़कियों की तस्करी की जा रही हैं और कैसे वे कमरे में वे फंस जाती हैं।

बता दें कि मल्ल‍िका ने पिछले साल भी कान्स फिल्म फेस्ट‍िवल में ‘फ्री अ गर्ल इंडिया’ नाम के कैंपेन का प्रतिनिधित्व किया था। ये कैंपेन चैरिटेबल इवेंट के लिए जाना जाता है। मल्लिका लगातार 9 साल से कान्स फिल्म फेस्टिवल में अपने हुस्‍न के दीदार करा रही हैं। लिहाजा इस बार उन्होंने कुछ नए अंदाज और नए मिशन के साथ लोगों को ध्यान अपनी ओर खींचा हैं।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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