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प्रादेशिक

बेगम अख्तर पुरस्कार के लिए आवेदन करें 15 जून तक

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उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा विगत वर्ष 2017-18 की भांति वर्ष 2018-19 में मल्लिका-ए-गजल बेगम अ़ख्तर की स्मृति में दादरा/ठुमरी/गजल विद्याओं में प्रतिभावान गायक को ”बेगम अख्तर पुरस्कार” से सम्मानित किये जाने के लिए पात्र महानुभावों के नामांकन 15 जून तक मांगा गया है। संस्कृति विभाग के सचिव जगत राज ने आईपीएन को बताया कि चयनित कलाकार को 5 लाख रुपये की धनराशि, अंगवस्त्र एवं प्रशस्ति पत्र भेंट स्वरूप प्रदान की जायेगी। बेगम अ़ख्तर पुरस्कार के लिए विचार किये जाने वाले कलाकार की जन्मभूमि/कर्मभूमि उत्तर प्रदेश होनी चाहिए तथा उसकी आयु 40 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि उप्र संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ, भातखण्डे संगीत संस्थान सम-विश्वविद्यालय, लखनऊ, भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ, अयोध्या शोध संस्थान, अयोध्या, राष्ट्रीय कथक संस्थान, लखनऊ, गीत एवं नाटक प्रभाग, लखनऊ, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद, भारतीय सांस्कृतिक सम्बद्ध परिषद, लखनऊ आकाशवाणी, लखनऊ, दूरदर्शन केन्द्र, लखनऊ उ0प्र0 में स्थित विश्वविद्यालयों के संगीत संकाय के डीन/हेड अथवा विभिन्न जनपदों के जिलाधिकारियों/मण्डलायुक्तों से नामांकन मांगे जा रहे हैं। पुरस्कार सम्बन्धी नियमावली एवं निर्धारित प्रारूप वाला आवेदन पत्र संस्कृति विभाग, उ.प्र. की वेबसाइट पर प्राप्त किया जा सकता है।

बता दें कि बेगम अख्तर पुरस्कार प्रत्येक वर्ष एक ऐसे प्रतिभावान विशिष्ट गायक को प्रदान किया जाता है, जिसने दादरा, ठुमरी, गजल की विधाओं में अपने व्यक्तिगत प्रयासों से उत्कृष्ट आयाम स्थापित किया हो तथा इन विधाओं से राष्ट्र के गौरव में अभिवृद्धि की है।

गौरतलब है कि पद्मभूषण मल्लिका-ए-गजल मल्लिका-ए-गजल बेगम अ़ख्तर की स्मृति को चिरस्थायी बनाने एवं विरासत का संवर्धन करने के उद्देश्य से बेगम अख्तर शताब्दी वर्ष 2014-15 में ‘बेगम अख्तर पुरस्कार’ की स्थापना की गयी थी। (इनपुट आईएएनएस)

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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