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ऑफ़बीट

बिल्‍कुल मत सुनना ये गाना, नहीं तो कर लोगे सुसाइड

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क्‍या कोई ऐसा गाना हो सकता है जिसे सुनकर लोग सुसाइड कर लेते हो। आपका जवाब शायद ये होगा कि ये सच नहीं है। एक ऐसा गाना भी है जिस पर लगभग 63 सालों तक बैन लगा रहा क्योंकि इसे सुनकर लोग हैरतनाक तरीके से आत्महत्याएं कर रहे थे।

‘Rezso Seress’ जो हंगरी के रहने वाले थे, ने साल 1933 में ‘सैड संडे’ नामक एक सॉन्‍ग बनाया था। इस गीत में बेपनाह दर्द था कि जो इस गीत को एक बार सुन लेता था उसे अपने दर्द का एहसास होने लगता था। आलम कुछ ऐसा हुआ कि इस गाने को सुनने के बाद कई लोगों ने आत्महत्या कर ली।

1933 में ये गाना अपने रिलीज होने के वक्‍त से ही लोकप्रियता के शिखर पर जा पहुंचा था। ये एक दर्द भरा गाना है जो लोगों के दिल को छू जाता है। यही कारण था कि इस गाने को ‘सबसे उदास गाने’ की उपाधि मिली।

इस गाने को सुनकर आत्महत्या करने का सबसे पहला मामला बर्लिन में सामने आया था। उस वक्‍त एक लड़के ने इस गाने को सुनने के बाद खुद को गोली मार दी थी।

इसके अलावा न्यूयार्क में भी एक बुजुर्ग ने 7वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी। वहीं, हंगरी में एक 17 साल की लड़की ने इस गाने को सुनकर पानी में डूबकर खुद को खत्म कर लिया। अगली स्लाइड में सुनिए गाना। इस गाने के बोल इतने दर्दनाक हैं कि कोई भी इसे सुनकर इमोशनल हो जाएगा।

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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