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फीफा विश्व कप : क्या क्वालीफाइंग दौर की सफलता को कायम रख पाएगी ईरान?

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नई दिल्ली, 5 जून (आईएएनएस)| एशिया की सबसे मजबूत टीम मानी जाने वाली ईरान को इस महीने से रूस में शुरू हो रहे फीफा विश्व कप में क्वालीफाई करने में ज्यादा परेशानी तो नहीं हुई थी, लेकिन उसके लिए असल चुनौती यह है कि वह अपने पांचवें विश्व कप में इस सफलता को बनाए रखे।

यह किसी भी तरह से उसके लिए आसान नहीं होगा। क्वालीफाइंग दौर में शायद ही कभी ईरान को परेशानी आई हो। एशियाई क्वालीफाइंग के दूसरे और तीसरे दौर में तो वो बिल्कुल आसानी से पार हो गई। 18 क्वालीफाइंग मैचों में उसने सिर्फ पांच गोल खाए।

ब्राजील के बाद ईरान रूस के लिए टिकट कटाने वाली दूसरी टीम बनी। चुनौती उसके लिए अपने मौजूदा प्रदर्शन को जारी रखना और विश्व कप के बुरे इतिहास से आगे निकलने की है।

ईरान ने 1978, 1998, 2006 और 2014 फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया था, लेकिन किसी भी टूर्नामेंट में वह ग्रुप दौर से आगे नहीं जा पाई थी। 2014 में दूसरे मैच में अर्जेटीना के स्टार लियोनेल मेसी द्वारा अंतिम पलों में किया गया गोल उसके सपने को कुचलने वाला साबित हुआ था। उसे विश्व कप में इकलौती जीत 1998 में अमेरिका के खिलाफ मिली थी।

ईरान इस बार पुराने प्रदर्शन को भूलकर नई शुरुआत करना चाहेगी जिसमें यह टीम एक तरह से सक्षम भी है। ईरान में माद्दा है कि वह किसी भी टीम को उलटफेर करते हुए हरा सकती है। यह टीम बाकी टीमों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। बाकी टीमें भी भलीभांती इस बात को जानती हैं।

कोच कार्लोस क्वेइरोज की यह टीम 2014 की टीम से भिन्न है क्योंकि इस टीम का डिफेंस जितना मजबूत है उतना ही अटैक भी। इस यह बदली हुई टीम है जो अपनी आक्रमण पंक्ति से भी विरोधियों को भेदने का दम रखती है।

विंगर अलिरेजा जहांबख्श और स्ट्राइकर सरदार अजमोउन टीम की आक्रमणपंक्ति की नींव हैं और इन्हीं के दम पर ईरान की जिम्मेदारी है। इन दोनों के अलावा समन घोदोस ने भी हाल ही में स्वीडन में अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया है।

23 साल के सरदार ने चैम्पियंस लीग में शानदार प्रदर्शन किया था। अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए उन्होंने 32 मैचों में 23 गोल किए हैं जिनमें से 11 गोल क्वालीफाइंग दौर में आए थे। 21 साल के साइद इजातोलाही पर भी सभी की नजरें होंगी। वह तकनीकी तौर पर मजबूत हैं और मिडफील्ड की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाने में सक्षम भी हैं।

ईरान को विश्व कप में ग्रुप-बी में पुर्तगाल, स्पेन, मोरक्को के साथ रखा गया है। ग्रुप को देखकर ईरान की अगले दौर में जगह बनाने की राह मुश्किल नजर आती है। ईरान मोरक्को को हराने में सक्षम है लेकिन पुर्तगाल और स्पेन जैसे देशों से पार पाना उसके लिए किसी भी लिहाज से आसान नहीं होगा।

ईरान को अपना पहला मैच 15 जून को मोरक्को से खेलना है। इसके बाद वो 20 और 25 जून को क्रमश: स्पेन और पुर्तगाल का सामना करेगी।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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