प्रादेशिक
इंदौर के एक हाई प्रोफाइल संत ने खुद को मारी गोली… नाम जानेंगे तो चौंक जाएंगे
इंदौर के एक हाई प्रोफाइल संत #BhaiyyujiMaharaj ने खुद को मारी गोली, अस्पताल ले जाने के बाद इलाज के दौरान उन्होंने अपना दम तोड़ दिया।स्वयंभू संत भय्यूजी महाराज (उदय राव देशमुख) ने मंगलवार को यहां अपने खंडवा रोड स्थित आवास पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या की वजह का खुलासा फिलहाल नहीं हो पाया है।
इंदौर से विधायक रमेश मेंदोला ने यहां बॉम्बे अस्पताल से बाहर निकलते हुए संवाददाताओं से कहा, “हमारे सिर से संत और संरक्षक का साया उठ गया है। अब वह हमारे बीच नहीं रहे। वजह क्या थी, यह तो जांच से ही पता चलेगा।”
संत भय्यूजी महाराज को सादर श्रद्धांजलि। देश ने संस्कृति, ज्ञान और सेवा की त्रिवेणी व्यक्तित्व को खो दिया। आपके विचार अनंत काल तक समाज को मानवता की सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे।
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 12, 2018
इंदौर के पुलिस उपमहानिरीक्षक हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया, “भय्यूजी महाराज ने अपने आवास पर खुद को गोली मारी। उन्हें उपचार के लिए यहां बॉम्बे अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया। खुद को गोली मारने का कारण क्या है, इसका खुलासा नहीं हो पाया हो।”
भय्यूजी महाराज का सभी राजनीतिक दलों में दखल रहा है। कांग्रेस और संघ के लोगों से उनके करीबी रिश्ते रहे हैं। वे लगातार समाज के लिए कई प्रकल्प चला रहे हैं। इस घटना की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में भय्यूजी महाराज के समर्थक बॉम्बे हॉस्पिटल के बाहर जमा हो गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि भय्यूजी महाराज ने अपने दाएं हाथ से सिर में गोली मारी है। वह उस वक्त खंडवा रोड के सिल्वर स्प्रिंग इलाके में स्थित अपने मकान की पहली मंजिल पर थे। उनके आवास पर उपस्थित निकटस्थ लोग उन्हें गंभीर हालत में बॉम्बे अस्पताल लेकर पहुंचे। आईसीयू में इलाज चला, मगर उन्हें बचाया नहीं जा सका।
भय्यूजी महाराज का सभी राजनीतिक दलों में दखल रहा है। उनका कांग्रेस और संघ के लोगों से करीबी रिश्ता रहा है। वह लगातार समाज के लिए कई प्रकल्प चला रहे थे। पिछले दिनों मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया था, मगर उन्होंने उसे ठुकरा दिया था।
गौरतलब है कि भय्यूजी महाराज ने कांग्रेस के शासनकाल में अन्ना हजारे के अनशन को खत्म कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।
भय्यूजी महाराज का असली नाम उदय सिंह देशमुख (1968) में एक जमींदार परिवार में पैदा हुए थे। भय्यूजी ने अपने जीवन के शुरूआती दौर में मॉडलिंग भी की थी। पहली पत्नी का के देहांत के बाद उन्होंने एक डाक्टर लड़की से विवाह किया था। उनकी पहली पत्नी से एक लड़की है जो पुणे में शिक्षा ग्रहण कर रही है। (इनपुट आईएएनएस)
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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