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रिटायरमेंट के बाद आर्मी डॉग के साथ वही होता है, जो एनकाउंटर के वक़्त एक अपराधी के साथ होता है

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नई दिल्ली। पूरी दुनिया में गाय के बाद सबसे ज़्यादा पाला जाने वाला घरेलु जानवर अगर कोई है तो वो है कुत्ता। इसका कारण ये नहीं कि कुत्ते बहुत प्यारे होते हैं या क्यूट होते हैं। बल्कि इसका कारण है कि कुत्ता सबसे समझदार और वफादार जानवर होता है। कुत्ता ही एकमात्र ऐसा जानवर है, जो देश की सुरक्षा के लिए काम करता है। लेकिन सेवानिवृत होने के बाद एक इंसान को तो उम्रभर पेंशन मिलती है, लेकिन कुत्ते को क्या मिलता है। कुत्ते के हिस्से आती है सिर्फ ‘मौत’।

भारतीय सेना के साथ जो कुत्ते देश की सुरक्षा के लिए काम करते हैं, उनको रिटायरमेंट के बाद सेना के ही द्वारा गोली मार दी जाती है। कुत्तों को रिटायरमेंट के बाद मारे जाने को लेकर एक व्यक्ति ने आरटीआई के जरिए जब जवाब मांगा, तब पता चला कि इसके पीछे कई सुरक्षा कारण हैं। आर्मी का मानना है कि रिटायरमेंट के बाद कुत्ता किसी ऐसे आदमी के हाथ लग सकता है, जिससे देश को खतरा हो क्योंकि आर्मी के लिए काम करने वाले कुत्ते को आर्मी के हर गुप्त स्थान के बारे में पता होता है।

आर्मी ने ये बताया कि जब कुत्ते का स्वास्थ्य सही नहीं होता है तो उसका चेकअप करवाया जाता है। इलाज के दौरान एक महीने तक अगर कुत्ते की हालत में सुधार नहीं होता है तो उसको मार दिया जाता है।

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बेंगलुरु में ऑटो चालक ने लिखवाया अनोखा स्लोगन, सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट से मचा बवाल

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बेंगलुरु। आखिर ऑटो वाले ने अपनी गाड़ी के पीछे ऐसा क्या लिखवा दिया, जिस पर इतना हो हंगामा मच गया. दरअसल, ऑटो ड्राइवर ने महिलाओं के सम्मान में इंग्लिश में कुछ लाइनें लिखवाई थीं, ‘Slim or fat, black or white, virgin or not. All girls deserve respect.’ मतलब- मोटी हो या पतली, गोरी हो या काली, कुंआरी हो या न हो. सभी लड़कियों को सम्मान मिलना चाहिए. किसी राहगीर की नजर जब इस स्लोगन पर पड़ी, तो उसने फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी, जो अब इंटरनेट पर वायरल है.

सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट

30 सितंबर को @kreepkroop एक्स हैंडल से यूजर ने तस्वीर शेयर कर लिखा, बेंगलुरु की सड़कों पर कुछ कट्टर नारीवादी. इस पोस्ट को अब तक 90 हजार बार देखा जा चुका है, जबकि लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. जहां कई यूजर्स ने ऑटो वाले के स्लोगन को विवादित करार दिया, तो वहीं कई लोगों का मानना है कि इसमें कट्टर नारीवाद जैसा कुछ भी नहीं है.

एक यूजर ने कमेंट किया, ऑटो वाले भैया अधिकांश पढ़े-लिखे लोगों की तुलना में कहीं अधिक सम्य हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि लोगों को इसमें कट्टर नारीवादी सोच कहां से दिख गई. वहीं, दूसरे यूजर का कहना है, यह कट्टर नारीवाद नहीं है. पर इस बात से जरूर सहमत हूं कि लिखने का अंदाज थोड़ा अटपटा है. वर्जिन या नॉट वर्जिन की जगह मैरिड या अनमैरिड भी लिखा जा सकता था. फिर भी, ड्राइवर कम से कम महिलाओं का सम्मान तो कर रहा है. एक अन्य यूजर ने लिखा, कुछ भी बकवास लिखा है. ये वर्जिन क्या होता है

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