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पार्टियों को इलेक्टोरल बॉण्ड से मिले 384 करोड़ के चंदे

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भोपाल, 5 जुलाई (आईएएनएस)| राजनीतिक दलों को चुनावी चंदे दिए जाने में पारदर्शिता लाने के मकसद से सरकार और निर्वाचन आयोग की पहल पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई)की ओर से इलेक्टोरल बॉण्ड जारी किए गए हैं।

बीते तीन माह में दानदाताओं ने 438 करोड़ रुपये से ज्यादा के इलेक्टोरल बॉण्ड राजनीतिक दलों को दान में देने के लिए खरीदे हैं, इनमें से 384 बॉण्ड एक करोड़ के हैं, मगर दानदाताओं ने ये इलेक्टोरल बॉण्ड किस-किस राजनीतिक दलों को दिए हैं, यह बताने को बैंक तैयार नहीं है।

एसबीआई की ओर से मार्च में राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों के लिए इलेक्टोरल बॉण्ड जारी किए थे। ये इलेक्टोरल बॉण्ड 1000, 10,000, 1,00000, 10,00000 और 1,00,00000 रुपये मूल्य के हैं।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मध्य प्रदेश के नीमच जिले के निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने इलेक्टोरल बॉण्ड के संदर्भ में एसबीआई से जो ब्यौरा हासिल किया है, वह चौंकाने वाला है।

एसबीआई की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, मार्च, अप्रैल और मई की अवधि में यानी तीन माह में इस बैंक की विभिन्न शाखाओं से 438 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉण्ड दानदाताओं ने खरीदे। इनमें से नगदीकरण 417 करोड़ के इलेक्टोरल बॉण्ड का ही हुआ। इन बॉण्डों के नगदीकरण की समय-सीमा 15 दिन रखी गई है। इस ब्यौरे पर गौर करें तो एक बात तो साफ हो जाती है कि सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉण्ड करोड़पतियों ने खरीदकर राजनीतिक दलों को दिए हैं।

बैंक की ओर से जारी ब्यौरा बताता है कि इस साल मार्च में 222 करोड़ के 520 बॉण्ड खरीदे गए। वहीं अप्रैल में 115 करोड़ के 256 बॉण्ड खरीदे गए, जबकि मई में 101 करोड़ के 204 बॉड खरीदे गए। इस तरह तीन माह में 438 करोड़ के बॉण्ड खरीदे गए। इसमें से राजनीतिक दलों ने 417 करोड़ के बॉण्ड का ही नगदीकरण कराया है। इस तरह 21 करोड़ के बॉण्डों का नगदीकरण ही नहीं कराया गया।

बैंक का ब्यौरा बताता है कि एक करोड़ के जो बॉण्ड खरीदे गए, उनमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र की मुंबई ब्रांच से 206 बॉड, नई दिल्ली की मुख्य ब्रांच से 72, कर्नाटक की बैंगलोर शाखा से 41, पश्चिम बंगाल की कोलकाता मुख्य शाखा से 40, तामिलनाडु की चेन्नई शाखा से 14 और गुजरात की गांधीनगर शाखा से 11 बॉण्ड खरीदे गए।

गौड़ ने बैंक से जानना चाहा था कि किस-किस दल के खातों में कितने बॉण्ड गए और उनका नगदीकरण हुआ? तो बैंक ने तीसरे पक्ष (थर्ड पार्टी) का मामला होने का हवाला देते हुए ब्यौरा देने से इनकार कर दिया।

जब पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त शैलेश गांधी से संपर्क किया गया, तो उनका कहना है कि तीसरे पक्ष का जिक्र कर जानकारी न देना नियम सम्मत नहीं है, सूचना के अधिकार में इस तरह का प्रावधान नहीं है। कानून में तीसरे पक्ष को लेकर प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है, जिसके मुताबिक, तीसरे पक्ष से संबंधित जानकारी है तो सूचना अधिकारी को उससे (थर्ड पार्टी) पूछना चाहिए, उसकी ओर से उठाई गई आपत्ति नियम सम्मत हो तो लोक सूचना अधिकारी उसका ब्यौरे देने से इनकार कर सकता है।

गांधी आगे कहते हैं कि राजनीतिक दलों को काला धन देने के रास्ते को रोकने के लिए ही इलेक्टोरल बॉण्ड जारी किए गए हैं। अगर उसे छुपाया जाएगा तो जिस उद्देश्य को लेकर बॉण्ड जारी किए गए, वह पूरा ही नहीं होगा।

सवाल उठ रहा है कि, आखिर बैंक यह बताने से क्यों कतरा रहा है कि, किस दल को इलेक्टोरल बॉड के जरिए करोड़पति दानदाताओं ने कितने कितने का दान दिया हैं। बैक का रवैया उस कोशिश को आधात पहुंचाने वाला है, जिस मंशा से इलेंक्टोरल बॉड जारी किए गए।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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