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प्रादेशिक

मोदी का ‘आदर्श स्टेशन मिशन’ हो रहा विफल

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लखनऊ | उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इसके सहयोगी दल के लोकसभा सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आदर्श स्टेशन मिशन’ से किनारा किए हुए हैं। मोदी की अपील के बावजूद अभी तक पूर्वाचल के कई सांसदों व केंद्रीय मंत्रियों ने सांसद निधि का इस्तेमाल करने की पहल अब तक नहीं की है।

चुनाव जीतने के बाद पहली बार नवंबर में अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आए प्रधानमंत्री मोदी ने रेलवे स्टेशनों को स्वच्छ बनाने के लिए सांसदों से अपनी निधि से पैसे खर्च करने की अपील की थी। उन्होंने सांसदों से अनुरोध किया था कि वे सांसद निधि के धन का उपयोग स्टेशनों को स्वच्छ बनाने में करें। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सांसदों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई, जिस कारण ‘आदर्श स्टेशन’ की मुहिम आगे नहीं बढ़ पा रही है। रेलवे सूत्रों की मानें तो मोदी ने आदर्श स्टेशन मुहिम की शुरुआत करते हुए सांसद निधि से लगभग 40 लाख रुपये जारी करवाए थे। इस धनराशि का इस्तेमाल वाराणसी जंक्शन स्टेशन और काशी स्टेशन पर बैठने के लिए बेंच बनाने में किया गया। मोदी को उम्मीद थी कि उनकी इस पहल के बाद सभी सांसद अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में ऐसी ही पहल करेंगे, लेकिन पार्टी के सांसद ही मोदी की राह पर चलने को तैयार नहीं हैं।

कैंट स्टेशन के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक रवि प्रकाश चतुर्वेदी ने बताया कि प्रधानमंत्री की सांसद निधि से कैंट और काशी स्टेशनों पर लगभग 200 बेंच लगाने का काम पूरा हो चुका है। लेकिन वाराणसी के आसपास की लोकसभा सीटों से जीते कई दिग्गज नेताओं ने रेलवे स्टेशनों को आदर्श बनाने के लिए सांसद निधि से धन देने की पहल नहीं की है। उल्लेखनीय है कि रेलवे की तरफ से सांसदों को अपनी निधि से पैसे देने के लिए बकायदा अनुरोधपत्र भी जारी किया जा चुका है। पूवरेत्तर रेलवे (वाराणसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “सांसदों को वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) सी.एल. शाह की ओर से पत्र भेजा गया है। किसी ने अभी तक सांसद निधि से धन देने की सूचना नहीं दी है। जब तक आधिकारिक सूचना नहीं मिलेगी, तब तक हम कुछ नहीं कर सकते।”

वाराणसी के पास स्थित गाजीपुर संसदीय सीट से मनोज सिन्हा सांसद निर्वाचित हुए हैं और रेल राज्यमंत्री बनाए गए, लेकिन उनके सांसद निधि से भी रेलवे को अभी तक एक पैसा नहीं मिला है। सिन्हा के अलावा देवरिया से सांसद और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री कलराज मिश्र, गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ, बलिया से भरथ सिंह, चंदौली से महेंद्र पांडे, भदोही से वीरेंद्र सिंह मस्त, मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल और इलाहाबाद से श्यामाचरण गुप्ता सहित कई दिग्गजों ने मोदी की इस मुहिम को ठेंगा दिखा दिया है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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