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धारा 377 पर सुनवाई स्थगित करने से सर्वोच्च न्यायालय का इंकार

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नई दिल्ली, 9 जुलाई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को संविधान पीठ द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के विरुद्ध याचिकाओं पर 10 जुलाई को प्रस्तावित सुनवाई स्थगित करने की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी। भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत समलैंगिकता एक अपराध है। केंद्र ने मामले के संबंध में जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने मामले को स्थगित करने से इंकार कर दिया।

न्यायालय ने कहा कि मामला कुछ समय से लंबित पड़ा हुआ है और केंद्र को अपना जवाब दाखिल करना चाहिए। इसके साथ ही अदालत ने कहा, हम प्रस्तावित सुनवाई करेंगे। हम इसे स्थगित नहीं करेंगे। आप सुनवाई के दौरान कुछ भी दाखिल कर सकते हैं।

मामले की सुनवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की नई संविधान पीठ गठित की गई है।

न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा अब प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ के साथ मामले की सुनवाई करेंगे। ये दोनों न्यायमूर्ति ए.के.सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण का स्थान लेंगे।

इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 2013 में समलैंगिक सैक्स को दोबारा गैर कानूनी बनाए जाने के पक्ष में फैसला दिया था, जिसके बाद कई प्रसिद्ध नागरिकों और एनजीओ नाज फाउंडेशन ने इस फैसले को चुनौती दी थी। इन याचिकाओं को सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान पीठ के पास भेज दिया था।

शीर्ष न्यायालय ने आठ जनवरी को कहा था कि वह धारा 377 पर दिए फैसले की दोबारा समीक्षा करेगा और कहा था कि यदि ‘समाज के कुछ लोग अपनी इच्छानुसार साथ रहना चाहते हैं, तो उन्हें डर के माहौल में नहीं रहना चाहिए।’

सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में 2013 में दिए अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दो जुलाई, 2009 को दिए फैसले को खारिज कर दिया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिक सैक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के पक्ष में फैसला सुनाया था।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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