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बुंदेलखंड में आजादी की सालगिरह पर सच बोलना मना

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छतरपुर, 14 अगस्त (आईएएनएस)| पूरा देश बुधवार को आजादी की सालगिरह मनाएगा, सभी यही दोहराएंगे कि वे पूरी तरह आजाद हैं, सत्यमेव जयते, मगर बात मध्य प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड की करें तो यहां सच बोलने पर भी पाबंदी है। आजादी की सालगिरह के मौके पर यहां की छात्राएं एक नृत्य नाटिका के जरिए इलाके के हालात को बयां करना चाहती थीं, मगर उन्हें प्रशासन ने रोक दिया। प्रशासन का मानना है कि गीत के बोल सरकार के खिलाफ हैं।

भारत का संविधान बोलने की आजादी देता है। मगर मौजूदा दौर में अभिव्यक्ति की आजादी पर सबसे ज्यादा पहरा है, और अब तो आजादी की सालगिरह पर भी इस आजादी पर बेड़ियां डाली जा रही हैं।

बताया गया है कि प्रदेश के अन्य जिलों की तरह छतरपुर जिला मुख्यालय पर भी आजादी की वर्षगांठ का समारोह आयोजित किया गया है। इसकी अंतिम रिहर्सल सोमवार को हो रही थी। इस दौरान शासकीय कन्या विद्यालय की छात्राओं ने नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। इस नृत्य नाटिका में किसान आत्महत्या, किसान दुर्दशा और बेटियों की मन की बात का जिक्र था।

बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम में मौजूद लोगों ने बताया कि अंतिम रिहर्सल के समय जिलाधिकारी रमेश भंडारी सहित अन्य अधिकारी एक-एक कार्यक्रम को देख रहे थे। इसी दौरान वह नृत्य नाटिका भी आई जिसमें किसान आत्महत्या आदि का जिक्र था। इसे देखते ही प्रशासनिक अमला भड़क उठा और इस कार्यक्रम को तैयार करने वालों की क्लास ले डाली। बाद में यह तय हुआ कि इस नृत्य नाटिका को कार्यक्रम की सूची से हटा दिया जाए।

बुंदेलखंड के राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि सरकारी तौर पर होने वाले कार्यक्रम तो प्रशासन तय करता है, उसे इस बात की कहां चिंता होती है कि जनता के मन और दिल की बात क्या है। आजादी भले ही मिल गई हो, मगर आम जनता तो अब भी प्रशासनिक व्यवस्था की गुलाम है।

बुंदेलखंड में किसान दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है, यह सरकार से लेकर प्रशासन तक जानता है। अगर वह पूरी ईमानदारी से पहल करे तो हालात सुधार सकता है, मगर उसकी मंशा तो यह है कि लोग अपने दर्द तक का जिक्र करना तक भूल जाएं। उसी का एक नमूना मात्र है स्वाधीनता दिवस के कार्यक्रम से छात्राओं की नृत्य नाटिका को हटा देना।

इस नृत्य नाटिका में हिस्सा लेने वाली छात्राएं बेहद दुखी हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को जिलाधिकारी महोदय को गीत के बोल पसंद नहीं आए तो उन्होंने इस नृत्य नाटिका को ही स्वाधीनता दिवस के कार्यक्रम की सूची से हटाया दिया। छात्राओं ने बताया कि इस गीत में सूखा के संकट, किसानों की परेशानी, पानी का संकट, कर्ज की मार और आत्महत्या करते किसानों का जिक्र था।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की सूची से बालिकाओं की नृत्य नाटिका आखिर क्यों हटाई गई, यह जानने के लिए जिलाधिकारी भंडारी से कई बार संपर्क किया गया, मगर वे उपलब्ध नहीं हुए। उन्हें मैसेज भी किया गया, मगर उनका जवाब नहीं आया।

सवाल उठ रहा है कि यह कैसी आजादी है कि बच्चे अपने दर्द और क्षेत्र के हालात को भी कार्यक्रम के जरिए बयां न कर सकें। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस इलाके में बच्चों को अपनी बात सार्वजनिक तौर पर कहने से रोका जाए, वहां बड़े और बुजुर्गो का क्या हाल होगा।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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