बिजनेस
घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 14.8 फीसदी बढ़ी
नई दिल्ली | अंतर्राष्ट्रीय हवाई यातायात संगठन (आईएटीए) ने गुरुवार को कहा कि घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या फरवरी 2015 में 14.8 फीसदी बढ़ी। आईएटीए ने एक बयान में कहा, “भारत की घरेलू मांग फरवरी में 14.8 फीसदी बढ़ी-दुनिया में सर्वाधिक।”
बयान में कहा गया, “साल-दर-साल आधार पर भारत की घरेलू मांग फरवरी में 14.8 फीसदी बढ़ी। बाजार को दी जाने वाली राहत के कारण 2014 के आखिरी हिस्से में बाजार में मांग बढ़नी शुरू हुई, जो 2015 में कायम है।” आईएटीए के मुताबिक, भारत के बाद ब्राजील, चीन, अमेरिका और आस्ट्रेलिया में भी तेज वृद्धि दर्ज की गई। आईएटीए का कहना है कि जनवरी-फरवरी 2015 में भारत के घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 16.7 फीसदी बढ़ी। फरवरी में वैश्विक मांग साल-दर-साल आधार पर 5.3 फीसदी बढ़ी। इससे पहले नागरिक उड्डयन महानिदेशालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या फरवरी में 21.63 फीसदी अधिक 60.16 लाख रही, जो एक साल पहले 49.46 लाख थी।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के मासिक बयान के मुताबिक, “घरेलू विमानन सेवाओं के यात्रियों की संख्या जनवरी-फरवरी 2015 में 122.61 लाख रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 100.93 लाख थी। यह 21.48 फीसदी की वृद्धि है।” इस दौरान इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी सर्वाधिक 37.1 फीसदी, जेट एयरवेज की 19.8 फीसदी, एयर इंडिया की 17.8 फीसदी, स्पाइसजेट की 9.2 फीसदी, गोएयर की 8.9 फीसदी और जेट लाइट की 4.5 फीसदी रही। साथ ही एयरएशिया इंडिया की हिस्सेदारी 1.2 फीसदी, एयर कोस्टा की 1.00 फीसीद और विस्तार की 0.5 फीसदी रही।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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