प्रादेशिक
लखनऊ के 8 विकासखंडों में तेजी से किये गये जल संचयन के प्रयास से भूजल स्तर सुधरा
नई दिल्ली। गिरता भूजल स्तर जहां लखनऊ के चिनहट और सरोजनीनगर विकासखंड के लोगों के लिए बड़ी समस्या बना था। फसलों को पर्याप्त पानी मिलना तो दूर पीने का पानी भी मुश्किल से मिलता था। जल के अतिदोहित श्रेणी में आने का दंश भी लगा था। लखनऊ के 8 विकासखंडों की पहचान यहां के सूखे तालाब हुआ करते थे और खेती में कम जल खपत वाली विधियां भी विकसित नहीं थीं। …ऐसे में वर्ष 2017 के बाद से वर्षा जल संचयन के लिए तेजी से प्रयास शुरू हुए। नए तालाबों का निर्माण कराने के साथ पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया। 2093581 वृक्षों के रोपण के बाद देखते ही देखते अब विकासखंडों की स्थिति काफी सुधरने लगी है।
गांव के साथ शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संचयन के लिए 446 शासकीय और अर्ध शासकीय भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट भी लगाए गये हैं। चिनहट के पपनामऊ पंचायत के पूर्व प्रधान लवलेश सिंह बताते हैं कि बढ़ता पानी का दोहन और गिरता भूजल स्तर जहां चिनहट की पहचान बन चुका था। सरकार के प्रयासों से वर्षा जल को बचाने के प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। पूर्व महिला प्रधान उत्तरगौना चिनहट की पूनम सिंह ने बताया कि खेती में कम जल खपत वाली विधियों जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणाली को बढ़ावा मिला है। जिससे पानी का दोहन कम हुआ है।
सरोजनीनगर विकासखंड में रहने वाले सुशील कुमार सिंह ने बताया कि पहली बार इतनी तेजी से जल संचयन के लिए काम किया गया है। लखनऊ के समस्त 08 विकासखंडों में वर्तमान वर्ष में लघु सिंचाई विभाग ने 23 चेकडैम और 12 तालाबों का निर्माण पूरा किया है।
गौरतलब है कि पिछले वर्षों में लखनऊ के समस्त विकासखंडों में 319 तालाबों का निर्माण सरकार ने कराया है। सरोजनीनगर निवासी दिनेश शर्मा ने कहा कि लघु सिंचाई विभाग ने वर्षा जल संचयन और प्राकृतिक रूप से जल संचयन को बढ़ावा दिया है। लगातार जल संचयन और संवर्द्धन के लिए किये गये प्रयासों से अब लखनऊ के समस्त विकासखंड वापस सुरक्षित श्रेणी में पहुंचने लगे हैं।
प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि कार्ययोजना बनाकर प्रदेश भर में भूजल संरक्षण के लिए योजनाएं चलाई जा रही हैं। भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार जल संचयन के इंतजाम किये जा रहे हैं। स्थानीय लोग भी इसमें सहयोग कर रहे हैं जिससे परिणाम भी सकारात्मक मिल रहे हैं।
उत्तर प्रदेश
राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार
प्रयागराज। योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है। प्रयागराज नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प सरकार कर रही है। श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।
मिल रहा है भव्य स्वरूप
राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के भव्य निर्माण और गर्भ ग्रह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रभु राम के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। यूपी की पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पहचान दी है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां ₹3732.90 लाख की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है। निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण हेतु ₹ 1963.01 लाख के बजट से निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना व मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, बाउण्ड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया। इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के ₹ 1818.90 लाख के बजट से इस भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी , चित्रांकन, ध्यान केन्द्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल व टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं। 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
रूरल टूरिज्म का हब बनेगी निषादराज की नगरी
धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है ।अपराजिता सिंह के मुताबिक रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा । पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।
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