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अन्तर्राष्ट्रीय

अनुमान से सात गुना बड़ा है इस्लामिक स्टेट’

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लंदन| पश्चिमी देश सुन्नी कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट की ताकत को कमतर आंक रहे हैं। इस कट्टरपंथी संगठन ने दो लाख लड़ाकों की सेना खड़ी कर ली है। यह दावा एक कुर्दिश नेता ने किया है। कुर्द राष्ट्रपति मसूद बारजानी के कर्मचारी दल के प्रमुख फाद हुसैन ने रविवार को द इंडिपेंडेट को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि पश्चिमी खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि इस्लामिक स्टेट के पास लगभग 31,500 लड़ाके हैं, लेकिन असल में उनके लड़ाकों की संख्या इस अनुमान से सात से आठ गुना ज्यादा है।

हुसैन ने अनुमान लगाया है कि सीआईए और अमेरिकी खुफिया विभाग ने जिहादियों की संख्या के आकलन में केवल मूल सौनिकों की ही गिनती की है।

उन्होंने कहा कि इस्लामिक स्टेट ईराक और सीरिया में एक ही समय में हमला कर रहा है, उनकी इस क्षमता से उनके लड़ाकों की बढ़ती संख्या जाहिर होती है।

हुसैन ने कहा, “वे कोबेन में लड़ रहे हैं।” उन्होंने बताया, “पिछले महीने कुर्दिस्तान में सात अलग-अलग स्थानों के साथ-साथ उन्होंने पश्चिमी बगदाद के अनबर क्षेत्र की राजधानी रमादी और ईरान सीमा के पास बसे एक अरब-कुर्दिश शहर पर हमला कर दिया था। 20 हजार या उससे अधिक लोगों से बात करना असंभव है।”

उन्होंने अनुमान लगाते हुए कहा कि आईएस हर तीसरे ईराकी और सीरियाई नागरिकों पर शासन कर रहा है। यह नागरिक 250,000 वर्ग किलोमीटर में रहते हैं और इनकी संख्या एक करोड़ से ज्यादा है।

आईएस लड़कों की इस बड़ी संख्या से यह बात साफ तौर पर जाहिर होती है कि इन्हें खत्म करना बड़ा कठिन है। अमेरिकी हवाई हमले भी इन्हें इन इलाकों से दूर करने में आसानी से सफल नहीं हो सकते।

अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की इस्लामिक स्टेट के विध्वंस की प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगी दलों ने बाधाओं से निपटने की तौयारी शुरू कर दी है।

अमेरिकी जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन, जनरल मार्टिन डेम्पसी शनिवार को ‘अभियान का जायजा लेने’ के लिए बगदाद गए थे।

पिछले सप्ताह की शुरुआत में उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस को बताया था कि आईएस को पराजित करने के लिए 80,000 लोगों की जरूरत पड़ेगी। इराक में कई लोगों का मानना है कि उनके देश की सेना बस काम के लिए रह गई है।

कुर्दिश की क्षेत्रीय सरकार को इस्लामिक स्टेट की एक यूनिट के कारण उत्तरी इराक और सीरिया के बीच के 650 मील में फैले सीमावर्ती इलाके से कटान का सामना करना पड़ रहा है।

हुसैन ने कहा कि उनका सामना करने के लिए कुर्द को अपाचे हेलीकॉप्टरों, टैंक और तोपखाने जैसे भारी हथियारों की जरूरत है। कुर्दिश नेता के अनुसार, पिछले पांच माह से जारी युद्ध में आईएस एक भयंकर आतंकी बल के रूप में सामने आया है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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