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प्रादेशिक

उप्र : तेंदुरा गांव में किसानों पर 16 करोड़ रुपये कर्ज!

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बांदा | उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे किसानों की हालत अति गंभीर है। यहां बांदा जिले के एक गांव तेंदुरा में किसानों पर बैंक का सरकारी कर्ज 16 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह जानकारी एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने दी। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के किसान पिछले दो दशक से आपदा से जूझ रहे हैं। इस साल भी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की 60 से 80 फीसदी फसल चैपट हो गई है। औसतन 25 फीसदी फसल ही किसनों को नसीब हो पाई है।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘कृषि एवं पर्यावरण विकास संस्थान’ के निदेशक सुरेश रैकवार की मानें तो बांदा जिले के तेंदुरा गांव में पांच सौ किसानों पर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के अंतर्गत बैंक का सरकारी कर्ज 16 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। बकौल रैकवार, “इस गांव के पांच सैकड़ा से अधिक किसानों ने खाद-बीज और बेटियों की शादी के लिए इलाहाबाद बैंक की चौंसड़ शाखा से पांच साल के अंतराल में करीब 16 करोड़ रुपये से अधिक का सरकारी कर्ज ले चुके हैं। हर साल किसान को उम्मीद रहती है कि फसल बेचकर कर्ज की अदायगी हो जाएगी, लेकिन आपदा की मार से ऐसा संभव नहीं है।”

गांव के किसान रामफल दुबे ने बताया कि उसने बेटी शादी 27 अप्रैल को निश्चित की है, फसल बबार्दी के कारण हाल ही में इलाहाबाद बैंक की तेंदुरा शाखा से केसीसी बनवा कर सात लाख रुपये का कर्ज लिया है। कर्ज अदायगी के बारे में करीब सात बीघे खेत बेंच कर ही बैंक का कर्ज अदा कर पाएंगे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सगे साढ़ू (रिश्तेदार) और गांव के बड़े किसान रामलगन सिंह ने बताया कि ह्यउनके ऊपर बैंक का सोलह लाख रुपये से ज्यादा कर्ज बाकी है। फसल पैदावार के बारे में जिस खेत में छह से सात कुंतल प्रति बीघा की उपज मिलती थी, उसमें इस साल डेढ़ से दो कुंतल ही अनाज पैदा हुआ है।

कुल मिलाकर इस गांव के किसानों पर चढ़े कर्ज और पैदावार के आंकड़े महज बानगी है, पूरे इलाके के किसानों की कमावेश हालत यही है। अतर्रा के उपजिला अधिकारी आर.के. श्रीवास्तव का कहना है कि आपदा से नष्ट हुई फसल का मुआवजा प्रभावित किसानों को दिया जा रहा है और कर्ज वसूली पर रोक लगा दी गई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि भले ही सरकारी कर्ज वसूली पर रोक लगी हो, लेकिन कर्ज पर चलने वाला ब्याज लगातार अपनी गति से बढ़ता रहेगा और किसान इस बोझ तले दबता जाएगा।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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