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उत्तर प्रदेश

25 दिनों में योगी सरकार ने 9 लाख से अधिक आपदा पीड़ितों को दी “राहत”

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लखनऊ,: प्रदेश के बाढ़ प्रभावित इलाकों के पीड़ितों के लिए राहत भरी खबर सामने आयी है। दरअसल, नेपाल और पहाड़ी इलाकों से पानी छोड़े जाने के बाद प्रदेश के करीब 26 जिलों में बाढ़ के हालात हो गये थे। वहीं इन इलाकों में तेजी से सुधार हो रहा है। यहां का जलस्तर लगातार घट रहा है। इसी के साथ योगी सरकार ने इन इलाकों में संचारी रोगों की रोकथाम के लिए विशेष अभियान शुरू कर दिया है ताकि कोई भी व्यक्ति इसकी चपेट में न आये। इसके अलावा योगी सरकार का इन इलाकों में राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी है। योगी सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में पिछले 25 दिनों में 9,31,629 लोगों को राहत सहायता पहुंचायी। इसके साथ ही बाढ़ से क्षतिग्रस्त 2284 मकानों के सापेक्ष 2134 लाभार्थियों को निशुल्क आवास की सुविधा प्रदान की गयी है जबकि 150 लाभार्थियों को लाभ देने की प्रक्रिया चल रही है।

38 हजार से अधिक मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर किया गया शिफ्ट

राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 26 जनपद बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, कुशीनगर, शाहजहांपुर, बाराबंकी, सीतापुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बलिया, गोरखपुर, बरेली, आजमगढ़, हरदोई, अयोध्या, बहराइच, बदायूं, फर्रुखाबाद, बस्ती, देवरिया, मऊ, मुरादाबाद, रामपुर, महाराजगंज, उन्नाव, पीलीभीत और श्रावस्ती शामिल हैं। इन बाढ़ प्रभावित जिलों की 78 तहसील के 1813 गांवों, 40 वार्ड और 145 कटान गांव समेत कुल 15 लाख से अधिक जनसंख्या प्रभावित है। इनमें से 9,31,629 लोगों को राहत सहायता पहुंचाई गई है। वहीं अब तक 38,894 मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया है। आपदा में अब तक 17 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। इनके परिजनों को राज्य सरकार की ओर से 4-4 लाख रुपये की सहायता धनराशि प्रदान की जा चुकी है। वहीं 29 मवेशियों की बाढ़ के चपेट में आने से मौत हो चुकी है। योगी सरकार सभी पशु पालक को मुआवजा दे चुकी है। इतना ही नहीं बाढ़ की चपेट में आने से अब तक कुल 2284 मकानों क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिसके सापेक्ष 2134 लाभार्थियों को निशुल्क आवास की सुविधा प्रदान की गयी है जबकि 150 लाभार्थियों को लाभ देने की प्रक्रिया चल रही है। राहत आयुक्त ने बताया कि 282 सार्वजनिक परिसंपत्तियां भी बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।

1559 बाढ़ चौकियों से आपदा पीड़ितों की मदद की जा रही

राहत आयुक्त ने बताया कि वर्तमान में बाढ़ से प्रदेश की 3,12,232 हेक्टेयर जमीन प्रभावित है। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावितों की सहायता के लिए 1934 नाव और मोटरबोट का संचालन किया जा रहा है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में 2,21,199 खाद्यान्न पैकेट तथा 8,02,060 लंच पैकेट वितरित किए जा चुके हैं। इसके साथ ही 53 लंगर का संचालन किया जा रहा है। मवेशियों के लिए 3492.4 कुंटल से अधिक भूसा वितरित किया गया है। प्रदेश में अब तक 1357 बाढ़ शरणालय, 1559 बाढ़ चौकियां और 2278 मेडिकल टीम का गठन किया गया है। इसके अलावा अब तक कुल 15829 व्यक्तियों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है। प्रदेश में अब तक कुल 9,41,680 क्लोरीन टैबलेट एवं 3,71,235 ओआरएस का वितरण किया गया है। वर्तमान में बाढ़ शरणालय में 2731 व्यक्ति रह रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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