उत्तर प्रदेश
यूपी: भले ही कम होने लगा हो बाढ़ के पानी का स्तर पर तैनात रहेंगी रेस्क्यू टीमें
लखनऊ : मूसलाधार बारिश और नेपाल संग पहाड़ी क्षेत्र से छोड़े गये पानी से प्रदेश के 26 बाढ़ प्रभावित जिलों में पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है। वर्तमान में प्रदेश के आठ जिले ही बाढ़ से प्रभावित हैं, लेकिन यहां पर भी स्थिति सामान्य है जबकि आपदा पीड़ितों की लगातार मदद की जा रही है। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि पानी का स्तर भले ही कम हो गया है, लेकिन अभी खतरा कम नहीं हुआ है। सीएम ने कहा कि मॉनीटरिंग और अलर्टनेस से ही जनहानि और धनहानि को कम से कम किया जा सका है। उन्होंने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी को बाढ़ प्रभावित इलाकों में ही तैनात रखने के निर्देश दिये हैं। इसके अलावा पवित्र सावन माह में निकलने वाली कांवड़ यात्रा को देखते हुए कई जिलों में पीएसी और एनडीआरएफ की टीम को सावन ड्यूटी में तैनात किया गया है।
प्रदेश के 13 जिलों में तैनात है एनडीआरएफ की 15 टीमें
राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के आठ जिले लखीमपुर खीरी, अयोध्या, बलिया, फर्रुखाबाद, सीतापुर, बदांयू, कुशीनगर और हरदाेई बाढ़ की चपेट में हैं, लेकिन फिलहाल यहां पर भी स्थिति सामान्य है। वहीं सीएम योगी के निर्देश पर बाढ़ प्रभावित जिलों में रेस्क्यू टीम तैनात है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 13 जिलों में एनडीआरएफ की 15 टीमें तैनात हैं। इनमें गाजियाबाद, जीबी नगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बरेली, बिजनौर, मुरादाबाद, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, श्रावस्ती और महाराजगंज में एक-एक टीम तैनात है, जबकि लखनऊ में दो और वाराणसी में सावन ड्यूटी में 2 टीमें तैनात हैं। इसी तरह 14 जिलों में एसडीआरएफ की 16 टीमें तैनात हैं। इनमें प्रयागराज, गोंडा, गोरखपुर, मीरजापुर, अयोध्या, इटावा, मुरादाबाद, कुशीनगर, कासगंज, सहारनपुर, श्रावस्ती, वाराणसी और ललितपुर में एक-एक टीम तैनात है। वहीं लखनऊ में तीन टीमें तैनात हैं।
प्रदेश के 50 जिलों में तैनात है पीएसी की फ्लड यूनिट
प्रदेश के 50 जिलों में पीएसी की फ्लड यूनिट तैनात है। इनमें 32 जिलों में ड्राउनिंग ओपीएस टीम तैनात है जबकि 18 जिलों में पीएसी की टीम फ्लड सावन ड्यूटी में तैनात है। ड्राउनिंग पीएस टीम श्रावस्ती, सीतापुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, शाहजहांपुर, कनौज, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, सिद्धार्थनगर, बिजनौर, रामपुर, अमरोहा, गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया, गाेंडा, बलरामपुर, बाराबंकी, हरदोई, जौनपुर, गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, फर्रुखाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, प्रयागराज, इटावा, सहारनपुर, मेरठ और मैनपुरी में तैनात है। इसी तरह वाराणसी, बस्ती, कासगंज, फतेहपुर, आगरा, मथुरा, अयोध्या, रायबरेली, संतकबीरनगर, मीरजापुर, संभल, कानपुर, शामली, गाजियाबाद, फिरोजाबाद, बदांयू, मुज्जफरनगर और जीबी नगर में पीएसी की टीम फ्लड सावन ड्यूटी में तैनात है।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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