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अन्तर्राष्ट्रीय

आतंकवादियों को इंटरनेट से दूर किया जाए : भारत

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संयुक्त राष्ट्र| भारत ने संयुक्त राष्ट्र में 2008 के मुंबई हमले में इंटरनेट प्रौद्योगिकी के हुए इस्तेमाल का उल्लेख करते हुए आतंकवादियों को इसके जरिए आतंक फैलाने से रोकने के लिए इंटरनेट के प्रबंधन में बदलाव का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से संबंधित सत्र में भारतीय राजदूत अशोक कुमार मुखर्जी ने कहा कि प्रौद्योगिकी और संचार का और अधिक बर्बर आतंकी कृत्य में इस्तेमाल आसानी से बढ़ रहा है।

उन्होंने मुंबई हमले को याद करते हुए कहा, “यह पहला मौका था जब हमने आतंकी गतिविधियों को निर्देश देने वाले वॉइस ओवर प्रोटोकॉल का सामना किया।” मुखर्जी ने कहा, “हम मानते हैं कि अगर हम प्रभावी तरीके से इसका सामना करने को लेकर गंभीर हैं, तो हमें आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट के दुरुपयोग को रोकने के लिए मौजूदा वैश्विक इंटरनेट अधोसंरचना प्रबंधन में आवश्यक बदलाव के लिए सहमत होना होगा।”

उन्होंने परिषद से कांप्रिहिंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेरररिज्म के जल्द समाधान के लिए मिलकर आवाज उठाने की अपील की, जो कि सभी देशों पर आतंकवादियों के खिलाफ मुकदमा करने और उनका प्रत्यर्पण करने का दबाव डालेगा। परिषद में यह चर्चा उस खुलासे के बाद हुई है, जिसमें कहा गया है कि यूरोप सहित 80 देशों के 15,000 विदेशी लड़ाके सीरिया, इराक और अन्य पड़ोसी देशों में आतंकवादी संगठन से जुड़ गए हैं।

सत्र में 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की, जिसकी अध्यक्षता ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप ने की। कनाडा के स्थायी उप प्रतिनिधि माइकल डगलस ने 2008 के मुंबई हमले का जिक्र करते हुए कहा कि इसने यह जाहिर किया है कि कैसे संप्रभु देश के समर्थन से आतंकवादी और खतरनाक हो सकते हैं।

पाकिस्तान के राजदूत मसूद खान ने कहा कि उनके देश का अनुभव कहता है कि आतंकवादी और हिंसक चरमपंथियों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
परिषद की तरफ से बयान जारी करते हुए बिशप ने कहा कि सभी देशों को इंटरनेट और सोशल मीडिया पर हिंसक कट्टरपंथ के प्रचार का विरोध करना चाहिए।

अन्तर्राष्ट्रीय

तनावमुक्त रहना चाहते हैं तो सोशल मीडिया से एक हफ्ते के लिए बना लें दूरी, शोध में हुआ खुलासा

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नई दिल्ली। अगर आप भी तनावमुक्त और चिंतामुक्त रहना चाहते हैं तो सोशल मीडिया साइट्स फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम से दूरी बना लें। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि एक शोध में ये बात सामने आई है। साइबरसाइकोलॉजी, बिहेवियर एंड सोशल नेटवर्किं ग जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, सोशल मीडिया से मात्र एक सप्ताह की दूरी स्वास्थ्य के लिये बेहतर साबित होती है और इससे तनाव तथा व्यग्रता के लक्षणों में कमी आती है।

बाथ यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधकर्ता जेफ लैम्बर्ट ने कहा,हम जानते हैं कि सोशल मीडिया का बहुत इस्तमेाल होता है। इसी वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को लेकर भी चिंता बढ़ी है। इस अध्ययन के माध्यम से हमने यह जानने की कोशिश कि क्या मात्र एक सप्ताह तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल न करने से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।

उन्होंने कहा, हमने शोध में पाया कि कई प्रतिभागियों ने मात्र एक सप्ताह तक सोशल मीडिया न इस्तेमाल करने पर अपने मूड को बेहतर पाया और उनमें व्यग्रता के लक्षण भी कम दिखे। इससे पता चलता है कि सोशल मीडिया से एक छोटा सा ब्रेक भी स्वास्थ्य के लिये सकारात्मक हो सकता है।

शोध के लिये 18 से 72 साल की आयु के 154 प्रतिभागियों पर शोध किया गया। इनमें से कुछ को कहा गया कि वे पहले की तरह सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते रहें जबकि कुछ को इसे पूरी तरह बंद करने के लिये कहा गया। शोध की शुरूआत में ही सबके तनाव, चिंता और स्वास्थ्य का स्कोर ले लिया गया था। एक सप्ताह के बाद पाया गया कि जिन प्रतिभागियों ने सोशल मीडिया से दूरी बनाई थी, उनका मानसिक स्वास्थ्य दूसरे समूह के प्रतिभागियों से बेहतर था।

जिन प्रतिभागियों को सोशल मीडिया से दूर रहने के लिये कहा गया था, वे भी औसतन 21 मिनट सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे थे जबकि दूसरा समूह औसतन सात घंटे सोशल मीडिया पर था।

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