प्रादेशिक
पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप
लखनऊ, दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में आसमान से आग बरसने का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, पंजाब में चल रही लू का असर अब पहाड़ों यानी उत्तराखंड तक पहुंच गया है। विभाग के मुताबिक 27 मई तक मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ों तक लू का सिलसिला जारी रहेगा। यूपी में राजधानी लखनऊ सहित सूबे के कई जिलों में मंगलवार सुबह से ही चिलचिलाती धूप है। तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों के दौरान पारा और चढ़ने की संभावना जताई है।
दिल्ली में सोमवार को इस सीजन का सबसे गर्म दिन रहा। राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को अधिकतम पारा 45.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया जो सामान्य से पांच डिग्री ज्यादा है। इससे पूर्व मई माह में 2013 में पारा 45.7 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा था। वहीं न्यूनतम पारा 28 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
अहम बात यह रही कि दिल्ली के कुछ इलाकों में पारा 49 डिग्री के ऊपर दर्ज हुआ। जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय शामिल है जहां पर सोमवार को पारा 49.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इसके अलाव पालम में 46 डिग्री के ऊपर पारा रहा। एनसीआर के अधिकांश इलाकों में पारा 44-45 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा। गुड़गांव में तो यह पारा 45 को पार कर गया। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में मौसम इसी तरह बना रहेगा। इसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा। उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली के अलावा उत्तराखंड में तेज गर्म हवाएं चलेंगी। इसके अलावा कुछ इलाकों में धूल भरी हवाएं चलने का पूर्वानुमान है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि पारे में फिलहाल कोई गिरावट की उम्मीद नहीं है।
उत्तर प्रदेश मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता के अनुसार, दिन में आसमान साफ रहेगा और पारे में बढ़ोतरी होगी। बुंदेलखंड व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है। कुछ इलाकों में आंधी के साथ बूंदाबांदी के आसार हैं। लखनऊ में मंगलवार को न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किए जाने का अनुमान है। लखनऊ के अलावा वाराणसी में न्यूनतम तापमान 25 डिग्री, गोरखपुर में 26 डिग्री, इलाहाबाद में 27.2 डिग्री, कानपुर में 25.3 डिग्री और झांसी में 27.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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