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बिजनेस

विकास दर 7 फीसदी से अधिक

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नई दिल्ली,फीसदी,त्पादित वस्तुओं

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नई दिल्ली | देश की विकास दर 2014-15 में 7.3 फीसदी रही, जो एक साल पहले 4.7 फीसदी थी। इस आशय का सरकारी आंकड़ा शुक्रवार को जारी किया गया। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर इससे पहले के लगातार दो साल में पांच फीसदी से कम रही थी।

जीडीपी से देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कुल कीमत का बोध होता है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के मुताबिक, 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 2014-15 में जीडीपी का अनुमानित आकार 106.44 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2013-14 के 99.21 लाख करोड़ से 7.3 फीसदी अधिक है। वर्ष 2012-13 में देश की विकास दर 4.5 फीसदी रही थी।

ताजा आंकड़े के मुताबिक, 2014-15 की चौथी तिमाही में विकास दर 7.5 फीसदी रही, जो सितंबर-दिसंबर तिमाही में 6.6 फीसदी थी। विकास दर दूसरी तिमाही में 8.4 फीसदी और प्रथम तिमाही में 6.7 फीसदी रही थी।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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