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छठा जागरण फिल्मोत्सव 1 जुलाई से

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नई दिल्ली,छठे जागरण फिल्म उत्सव,राजधानी दिल्ली के सिरीफोर्ट सभागार,निर्देशक नीरज घैवन

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नई दिल्ली | छठे जागरण फिल्म उत्सव का आगाज एक जुलाई को होगा। यह पांच जुलाई तक राजधानी दिल्ली के सिरीफोर्ट सभागार में आयोजित होगा। इसकी थीम ‘खुशी’ है। दिल्ली के बाद यह देशभर के 15 शहरों का सफर करते हुए मुंबई में संपन्न होगा। छठे जागरण फिल्मोत्सव का आगाज निर्देशक नीरज घैवन की चर्चित फिल्म ‘मसान’ के प्रीमियर से होगा। इस दौरान घवन और फिल्म के कलाकार भी मौजूद रहेंगे। फिल्म इससे पूर्व कान्स अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में सम्मानित हो चुकी है। फिल्म में जाने-माने अभिनेता संजय मिश्रा, अभिनेत्री ऋचा चड्ढा, नवोदित अभिनेता विक्की कुशाल और श्वेता त्रिपाठी अहम भूमिका में हैं। फिल्मोत्सव में कई प्रतिष्ठित भारतीय और विदेशी फिल्में देखने को मिलेंगी।

जागरण फिल्मोत्सव के रणनीतिक सलाहकार मनोज श्रीवास्तव ने एक बयान में कहा, “इतनी प्रतिष्ठित और बहुमूल्य फिल्म से फिल्मोत्सव का आगाज एक सम्मान की बात है। ‘मसान’ तो बस शुरुआत है। इस साल फिल्मोत्सव में फिल्म प्रतिनिधियों के लिए बहुत कुछ है।” दिल्ली और मुंबई के अलावा कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, आगरा, मेरठ, देहरादून, हिसार, लुधियाना, पटना, रांची, जमशेदपुर, रायपुर, इंदौर और भोपाल में भी फिल्मों का प्रदर्शन होगा। यह देश का अकेला फिल्म महोत्सव है, जिसके तहत अलग-अलग शहरों में फिल्मों का प्रदर्शन होता है।

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हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक, कांग्रेस को भारी पड़ी गुटबाजी

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सुबह 8 बजे जब EVM खुलीं तो काँग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश हाई था .. जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ती गई कार्यकर्ताओं का जोश नाच गाने और लड्डू बांटने में तब्दील हो गया.. लेकिन ये क्या अचानक से वक्त बदल गया हालात बदल गए और देखते देखते जज़्बात ठंडे पड़ गए .. हरियाणा में जो काँग्रेस रुझानों में पूर्ण बहुमत में दिख रही थी वो अर्श से फर्श पर आ गई और जो बीजेपी फर्श पर पड़ी थी वो अर्श पर पहुँच गई. अब जोश वही था लेकिन हालात और जज़्बात अपनी जगह बदल चुके थे.. अब ढोल की गूंज बीजेपी ऑफिस पहुँच चुकी थी और लड्डू बीजेपी कार्यकर्ताओं का मुंह मीठा कर रहे थे .लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा के नतीजों ने भी चुनावी पंडितों को मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया.. सारे  पोल धाराशाई हो गए.. बीजेपी का कमल पूरे बहुमत के साथ खिल गया.. काँग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड के जिस कमरे में कौन बनेगा हरियाणा का मुख्यमंत्री पर चर्चा हो रही थी वहाँ का माहौल गमगीन हो गया और इस बात पर चर्चा होने लगी इस हार का बलि का बकरा कौन बनेगा.. 10 साल की एंटी इनकंबेंसी को बीजेपी की रणनीति ने प्रो इनकंबेंसी में बदल कर तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली. जान लेते हैं वो कौन सी वजहें थीं जिसने हरियाणा में कांग्रेस की नैया डुबाने का काम किया है.

गुटबाजी कांग्रेस को भारी पड़ी

हरियाणा चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी की होती रही. कुमारी शैलजा और हुड्डा के साथ एक खेमा रणदीप सिंह सुरजेवाला का भी था. ऊपर के नेताओं के बीच की इस खींचतान ने संगठन को नुकसान पहुंचाने का काम किया और कार्यकर्ताओं के अंदर भी असमंजस की स्थिति बनी रही. तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान प्रदेश में खेमेबाजी पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा और पार्टी जीती हुई लड़ाई हार गई।

एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में रही नाकामयाब

काँग्रेस अपनी अंदरूनी खींचतान से ही नहीं उबर पाई जिससे चुनाव प्रचार के दौरान काँग्रेस बीजेपी की गलतियों को भुनाने में नाकामयाब रही . हालांकि कांग्रेस के पास 10 साल की एंटी इनकंबेंसी,  मुख्यमंत्री बदलने जैसे मुद्दे थे. पहलवानों का प्रदर्शन और अग्निवीर योजना से लेकर किसान आंदोलन जैसे बड़े मुद्दों को प्रचार के दौरान ठीक से हवा नहीं दी जा सकी. लिहाजा पार्टी का पूरा ध्यान खेमेबाजी पर लगाम लगाने में ही रहा और इसका बीजेपी ने पूरा फायदा उठाया.

केजरीवाल की बेल ने बिगाड़ा खेल

चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जेल से बाहर आए तो गठबंधन के लिहाज से काफी देर हो चुकी थी .. केजरीवाल खुलकर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतार चुके थे लेकिन आम आदमी पार्टी के साथ अगर काँग्रेस का गठबंधन होता तो शायद तस्वीर अलग होती.

टिकट बंटवारे में दिखी गुटबाजी

टिकट बंटवारे में गुटबाजी और भाई भतीजाबाद को अलग रखकर सिर्फ विनिंग उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाती, तो भी नतीजे उलट सकते थे. आम आदमी पार्टी को भले ही किसी सीट पर जीत न मिली हो, लेकिन करीबी मुकाबले वाली सीटों पर उसने कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने का काम किया है…

एस एन द्विवेदी के साथ शिखा मेहरोत्रा की रिपोर्ट

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