मुख्य समाचार
राजद-जद (यू) : गठबंधन के बाद भी एकजुटता नदारद!
पटना। बिहार विधान परिषद के स्थानीय निकाय कोटे की 24 सीटों के परिणाम को भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास कार्यक्रमों से जोड़कर देख रहे हों, लेकिन राजनीति के जानकार इसे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (युनाइटेड) के वोटों का एक-दूसरे को हस्तांतरण न होना मान रहे हैं। दोनों दलों के कार्यकर्ता अभी भी एकजुट नहीं दिख रहे हैं।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि पटना, सारण, सीवान और गोपालगंज ऐसी विधान परिषद की सीटें हैं, जहां राजद-जद (यू) गठबंधन के उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है। पटना के बेउर जेल में बंद रीतलाल यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया है कि राजद के जनाधार वाले अधिकांश प्रतिनिधि भी उसके साथ हैं। रीतलाल ने हालांकि पूर्व में ही यह घोषणा कर दी थी कि वे ही राजद के असली उम्मीदवार हैं।
यहां राजद-जद (यू) गठबंधन की ओर से जद (यू) ने उम्मीदवार दिया था। यहीं नहीं लालू के जनाधार वाले सारण क्षेत्र से भी भाजपा के सच्चिदानंद राय ने जद (यू) के उम्मीदवार तथा विधान परिषद के उप सभापति सलीम परवेज को हरा दिया है। यहां भी माना जा रहा है कि राजद समर्थित मतदाताओं ने जद (यू) के उम्मीदवार को पसंद नहीं किया। सीवान क्षेत्र में भी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन का प्रभाव काम नहीं आया और महागठबंधन के उम्मीदवार मन्नु शाही की नाव मझधार में डूब गई।
इसी तरह लालू की जन्मभूमि गोपालगंज में भी राजद-जद (यू) गठबंधन के उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा। कुल मिलाकर राजद अध्यक्ष न तो अपनी जनम्भूमि गोपालगंज में कामयाब हो सके और न ही कर्मभूमि सारण की सीट को अपनी झोली में डाल सके। वैसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में महागठबंधन के प्रत्याशी ने जीत दर्ज कर यह जरूर साबित किया है कि नीतीश का प्रभुत्व कम नहीं हुआ है।
जानकार कहते हैं कि भले ही राजद-जद (यू) में गठबंधन हो गया है, लेकिन अभी कार्यकर्ता एक मंच पर नहीं आए हैं। राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह कहते हैं, “अभी तक गठबंधन का कोई स्वरूप नहीं दिखाई दे रहा है। चुनाव में उतरने से पहले गठबंधन का स्वरूप दिखना चाहिए। गठबंधन में शामिल दलों को साझा कार्यक्रम बनाकर लोगों के बीच जाना होगा।” राजनीति के जानकारों का कहना है कि लालू और नीतीश भले ही एक हो गए हों परंतु दोनों दलों के कार्यकर्ता एक-दूसरे के नेताओं को अपनाने में अभी तक संशय की स्थिति में हैं।
राजनीति के जानकार ज्ञानेश्वर कहते हैं कि इस चुनाव परिणाम ने यह साबित किया है कि दोनों दल एक-दूसरे के परंपरागत वोटों को सहयोगी पार्टियों में स्थानातंरण करने में असफल रहे हैं। उन्होंने कहा, “मधुबनी जैसे क्षेत्रों के परिणाम तो राजद के मुस्लिम-यादव समीकरण के भी दरकने के संदेश दे रहे हैं। पूर्णिया और कटिहार विधान परिषद की सीटें भी भाजपा की झोली में जाना भी इसी संकेत की पुष्टि करता है।” वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति के जानकार सुरेंद्र किशोर कहते हैं, “पिछले विधानसभा उपचुनाव के परिणाम को नहीं भूलना चाहिए, जिसमें 10 सीटों में से छह सीटों पर राजद-जद (यू) गठबंधन के उम्मीदवार विजयी हुए थे। इस चुनाव में धनबल का जमकर उपयोग हुआ, जिस कारण कई सीटों के परिणाम प्रभावित हुए।”
वे मानते हैं, “महागठबंधन में शामिल दलों के एक-दूसरे के परंपरागत वोट सहयोगी पार्टियों को हस्तांतरित कराना एक समस्या है, परंतु इस चुनाव को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखना जल्दबाजी होगी।” भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय कहते हैं कि विधान परिषद का चुनाव परिणाम भाजपा की नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं पर मुहर है। बिहार विधान परिषद की 24 सीटों में से राजग को 13, राजद-जद (यू) गठबंधन को 10 और एक सीट निर्दलीय को मिली है।
जद (यू) के एक वरिष्ठ नेता नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताते हैं कि यह हकीकत है कि कई क्षेत्रों में राजद के परंपरागत मतदाताओं का मत जद (यू) उम्मीदवार को नहीं मिले। उनका कहना है कि लालू और नीतीश भले ही एक हो गए हों, मगर दोनों दलों के कार्यकर्ता एक-दूसरे के नेताओं को अपनाने में अभी तक संशय की स्थिति में हैं।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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