प्रादेशिक
बुंदेलखंड : पर्यावरण के लिए जारी है संघर्ष
भोपाल| जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चुनौती का विषय बना हुआ है, हर तरफ इसको लेकर बहस छिड़ी हुई है, मगर हर मामले में पिछड़े माने जाने वाले बुंदेलखंड के कई हिस्सों में आम आदमी ने पर्यावरण की सुरक्षा की मुहिम छेड़ रखी है, कहीं नदी और तालाब को प्रदूषण मुक्त करने का अभियान चल रहा है, तो कहीं किसान रासायनिक खाद से तौबा कर रहे हैं। इतना ही नहीं, अपने खेतों में ऐसे पेड़ों को उगा रहे हैं जो आमदनी के साथ पर्यावरण को सुधारने में भी मददगार है।
बुंदेलखंड की पहचान कभी नदी, बावड़ी और तालाब से लेकर घने जंगलों को लेकर रही है, मगर अब यह इलाका भी उनमें शुमार कर गया है जहां की नदियां ज्यादा समय सूखी रहती हैं, तालाबों का पानी पीने के लायक नहीं है और घने जंगल मैदानों में बदल चुके हैं। इसका सीधा असर लोगों की जिंदगी पर पड़ा है। पानी की अनुपलब्धता ने यहां की खेती के अवसर को कम कर दिया है।
टीकमगढ़ जिले के बनगांय के हरिराम अहिरवार ने कहा कि उनके गांव में एक नहीं तीन चंदेलकालीन तालाब हैं, यह तालाब यहां की जिंदगी का हिस्सा थे। यह तालाब इंसान और मवेशी के पीने के पानी की जरूरत को पूरा करने के साथ सिंचाई का साधान थे, मगर सरकारी मशीनरी में व्याप्त भ्रष्टचार और गड़बड़ प्रबंधन के चलते तालाब अनुपयोगी होते गए।
अहिरवार के अनुसार, गांव के लोगों ने खुद मिल बैठकर तालाबों की सूरत बदलने की ठानी। इसके लिए लोगों ने न केवल श्रमदान किया बल्कि अंशदान भी दिया, इसका परिणाम यह हुआ कि तालाबों का हाल बदल गया है और अब पानी भी तालाबों में नजर आने लगा है। इसके चलते एक तरफ जहां पानी की जरूरत पूरी होगी, वहीं खेती के लिए भी पानी मिलने लगेगा।
इसी जिले की बिंदारी पंचायत के कई किसानों ने तो फलदार पौधों की खेती शुरू कर दी है। धनीराम बताते हैं कि उन्होंने अपने खेत में कतारबद्ध नींबू, अमरूद, आंवला आदि के पेड़ लगाए हैं, यह पेड़ एक तरफ जहां उनके लिए आर्थिक तौर पर मदद पहुंचाएंगे, वहीं पर्यावरण के लिहाज से भी बेहतर हैं। इतना ही नहीं इन पेड़ों के बीच वे अन्य फसल की खेती भी कर रहे हैं।
एक तरफ जहां टीकमगढ़ जिले का किसान अपने स्तर पर पर्यावरण के लिए काम कर रहा है, वहीं पन्ना जिले की प्रणामी संप्रदाय की गंगा कही जाने वाली किलकिला नदी को प्रदूषण मुक्त करने का स्थानीय लोगों ने बीड़ा उठाया है। सामाजिक कार्यकर्ता बृजेंद्र सिंह बुंदेला ने आईएएनएस को बताया कि आम लोगों ने मिलकर नदी की जलकुंभी को साफ कर दिया है, साथ ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों से लेकर समाजसेवियों ने इस नदी को निर्मल व प्रवाहमान बनाने के लिए राशि भी जमा की है।
बुंदेलखंड में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुल 13 जिले आते हैं। यहां की पानी की समस्या किसी से छुपी नहीं है। यहां हर तीन से पांच साल में सूखे के हालात बनते हैं, क्योंकि पानी रोकने के बेहतर प्रबंध नहीं है। यही कारण है कि यहां के हजारों परिवार रोजी रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेशों को पलायन करते हैं।
बुंदेलखंड के कई जिलों में पानी के प्रति लोगों में जनजागृति लाने के लिए अरसे से सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह का कहना है कि इस इलाके के लोग प्रशासनिक स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं, बुंदेलखंड पैकेज की राशि की बंदरबांट से सभी दुखी हैं, यही कारण है आमलोग पानी के संरक्षण के साथ पर्यावरण की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। वहीं कई गांव में तो लोगों ने अपने स्तर पर पौधरोपण का भी अभियान छेड़ रखा है।
उत्तर प्रदेश
राम नगरी अयोध्या के बाद भगवान श्री राम से जुड़ी एक और नगरी को भव्य स्वरूप दे रही योगी सरकार
प्रयागराज। योगी सरकार प्रयागराज महाकुंभ को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान कर रही है। प्रयागराज नगरी के साथ ही जिले में गंगा किनारे स्थित निषादराज गुह्य की राजधानी रहे श्रृंगवेरपुर धाम का भी कायाकल्प सरकार कर रही है। श्रृंगवेरपुर धाम में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन के साथ रूरल टूरिज्म की भी संभावनाएं विकसित हो रही हैं।
मिल रहा है भव्य स्वरूप
राम नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के भव्य निर्माण और गर्भ ग्रह में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रभु राम के अनन्य भक्त निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर को भी भव्य स्वरूप दिया जा रहा है। यूपी की पूर्व की सरकारों में उपेक्षित रहे प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई पहचान दी है। सामाजिक समरसता के प्रतीक इस स्थान को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के साथ अब रूरल टूरिज्म के साथ भी जोड़ कर विकसित किया जा रहा है।
प्रयागराज की क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह बताती हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम का कायाकल्प का कार्य समापन के चरण में है। इसके अंतर्गत यहां ₹3732.90 लाख की लागत से निषादराज पर्यटन पार्क स्थल का निर्माण कार्य दो फेज में किया गया है। निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण हेतु ₹ 1963.01 लाख के बजट से निषादराज एवं भगवान श्रीराम मिलन की मूर्ति की स्थापना व मूर्ति के पैडेस्टल का कार्य, पोडियम का कार्य, ओवर हेड टैंक, बाउण्ड्रीवाल, प्रवेश द्वार का निर्माण, गार्ड रूम आदि कार्य कराया गया। इसी तरह श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क (फेज-2) के ₹ 1818.90 लाख के बजट से इस भगवान श्रीराम के निषादराज मिलन से सम्बन्धित गैलरी , चित्रांकन, ध्यान केन्द्र, केयर टेकर रूम, कैफेटेरिया, पॉथ-वे, पेयजल व टॉयलेट ब्लॉक, कियास्क, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हॉर्टिकल्चर,आउटर रोड, सोलर पैनल, मुक्ताकाशी मंच आदि कार्य कराए गए हैं। 6 हेक्टेयर में बनाए गए इस भव्य पार्क का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
रूरल टूरिज्म का हब बनेगी निषादराज की नगरी
धार्मिक और आध्यत्मिक पर्यटन के साथ श्रृंगवेरपुर धाम को ग्रामीण पर्यटन के साथ जोड़कर विकसित करने का रोड मैप तैयार किया गया है ।अपराजिता सिंह के मुताबिक रूरल टूरिज्म के अन्तर्गत श्रृंगवेरपुर धाम को विकसित किये जाने के लिए सबसे पहले यहां ग्रामीण क्षेत्र में होम स्टे की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। इसके लिए यहां स्थानीय लोगों को अपने यहां मड हाउस या हट बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि पर्यटकों को कुछ अलग अनुभव हो सके। इन सभी स्थानों पर थीमेटिक पेंटिंग होगी, स्थानीय खानपान और स्थानीय संस्कृति को भी यहां संरक्षित किया जाएगा । पर्यटक भी यहां स्टे करने के दौरान स्थानीय ग्रामीण क्राफ्ट का हिस्सा बन सके ऐसी उनकी कोशिश है।
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