Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

सपनों और उम्मीदों में हमेशा अमर रहेंगे डॉ. कलाम

Published

on

Loading

मिसाइलमैन और लोगों के राष्ट्रपति के रूप में मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आज हमारे बीच नहीं हैं। अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी डॉ. कलाम का भौतिक शरीर भले ही हमें अलविदा कह गया हो लेकिन अपनी शिक्षाओं, उम्मीदों के सहारे वह हमेशा अमर रहेंगे। जब-जब भारत के विकास की चर्चा होगी, डॉ. कलाम उसके प्रणेता के रूप में याद किए जाएंगे। कलाम साहब की उपलब्धियों की चर्चा करना सूरज को दिया दिखाने के बराबर है। उन्होंने देश को पृथ्वी, अग्नि, नाग मिसाइलों के साथ-साथ परमाणु सुरक्षा कवच और अंतरिक्ष तकनीक दी। वह जीवनभर युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने में लगे रहे। वह हमेशा ऊंचा सोचने और उसे पाने का संकल्प दोहराते रहे। इसका अहम उदाहरण उनके नेतृत्व में 11 मई 1998 को हुआ परमाणु परीक्षण था। इस परीक्षण में डॉ. कलाम की खास भूमिका थी। पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद ही देश परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। डॉ. कलाम के इसरो के प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर के पद पर रहते भारत ने पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। उनके दिशा-निर्देशन में ही 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और देश अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बना। डॉ. कलाम ने स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया। उन्होंने भारतीय तकनीक से मिसाइल कार्यक्रम का विकास किया।

डॉ. कलाम की उपलब्धियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है लेकिन उनका दिल हमेशा आम आदमी की जिंदगी की बेहतरी के लिए धड़कता रहा। जब वह राष्ट्रपति बने तो भी राष्ट्रपति भवन की गरिमा व प्रोटोकॉल उनके सरल और अतुलनीय व्यक्तित्व के आड़े नहीं आया। बताया जाता है कि राष्ट्रपति बनने के बाद कपड़ों से भरा एक बैग लेकर उन्होंने राष्ट्रपति भवन में प्रवेश किया। फिजूलखर्ची रोकने के उद्देश्य से उन्होंने राष्ट्रपति भवन के बाकी सभी कमरे बंद करवा दिए और कहा कि मुझे तो एक कमरे में ही सोना है। पदमुक्त होने के बाद वह बस एक बैग लेकर ही राष्ट्रपति भवन से विदा हुए।

डॉ. कलाम के व्यक्तित्व का एक आकर्षक पहलू यह था कि बच्चों से मुलाकात के दौरान वह खुद बच्चे हो जाते। यही वजह है कि ताउम्र बच्चों से मिलने में उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया। लाखों बच्चों से मुलाकात की। वे बच्चों की जिज्ञासा और उत्सुकता को शांत करने की कोशिश करते। भले ही कोई बच्चा बार-बार एक ही सवाल पूछे, मगर वह कभी नाराज नहीं होते। डॉ. कलाम उन्हीं के बीच बैठकर सवालों के जवाब देते।

कलाम साहब ने हमेशा देश को विकसित बनाने का सपना देखा। इसके लिए वे देश के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की वकालत करते थे। वह कम्प्यूटर, प्रौद्योगिकी विकास जैसे क्षेत्रों में देश को आगे बढ़ाने की बात करते थे। उनका मानना था कि गुणी वैज्ञानिकों, सक्षम शिक्षकों और शिल्पकारों व प्राकृतिक स्त्रोतों के जरिये इसे हासिल किया जा सकता है। डॉ. कलाम का मानना था कि विकसित होने के बाद देश को और खुशहाली के रास्ते पर ले जाना होगा।

बच्चों से लेकर नौजवान तक उनमें उम्मीद की किरण देखते थे। गरीबी, बेरोजगारी और परेशानियों से जूझते देश को उन्होंने सपने देखने सिखाया। वे हमेशा कहते थे- कामयाब वही होते हैं, जो बड़े सपने देखते हैं। यकीनन जिसने उन्हें सुना, देखा या पढ़ा होगा वह जरूर बड़े सपने देखेगा और कामयाब भी होगा। विजन-2020 का वह सपना जिसकी बात डॉ. कलाम हमेशा किया करते थे, उसके सहारे आज देश तरक्की की नई परिभाषा लिखने के लिए तैयार है।

डॉ. कलाम अपने इन्हीं सपनों और उम्मीदों के सहारे अमर हो चुके हैं। अपनी सोच, शिक्षाओं और ज्ञान के माध्यम से वह हमेशा अमर रहेंगे। ऐसे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को कोटि-कोटि नमन…

मुख्य समाचार

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

Published

on

Loading

पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

Continue Reading

Trending