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प्रादेशिक

नेपाल : महिलाओं ने जिंदा रखी कपड़ा बुनाई की परंपरा

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काठमांडू| नेपाल में अप्रैल में आए भूकंप ने देश को जो जख्म दिए वो अभी भी पूरी तरह नहीं भरे हैं। लेकिन, यहां लिखी जा रही है जिजीविषा की कहानियां। भूकंप से बेघर होने वाली उन महिला कामगारों ने फिर से अपने हुनर को आजमाना शुरू कर दिया है जो घरों में रहकर काम करती थीं।

ये काम है हाथ से कपड़े की परंपरागत बुनाई का। हाथ से बुने ‘ढाका’ कपड़े उस वक्त भी नजर आए जब मौत और निराशा के बीच राहत का काम चल रहा था। आज चार महीने बाद यही महिलाएं फिर से अपनी इस परंपरा में जान डालने लगी हैं।

ऐसी करीब 2800 महिला कामगार हैं, जो सार्क बिजनेस एसोसिएशन आफ होम बेस्ड वर्कर्स (साबाह-नेपाल) के तहत काम कर रही हैं। ये ढाका कपड़ा बनाती हैं जो शुद्ध सूती पर एक खास ज्यामितीय अकार में बनाया जाता है या जो केला, बांस और आलो नाम के पेड़ से मिलने वाली चीजों से बनाया जाता है।

एक मीटर ढाका कपड़ा बनने में पांच दिन लग जाते हैं। महिलाएं इसके लिए रोजाना सात घंटे काम करती हैं। वे घर से भी यह काम करती हैं या फिर भक्तपुर, बुंगामति और खोखाना के सामुदायिक केंद्रों पर जाकर भी कर सकती हैं।

इस बुनावट और कपड़ों को भारतीय सिल्क और खादी के साथ जोड़ कर नेपाल की फैशन पसंद महिलाओं के लिए डिजानइर जैकेट, अन्य परिधान, ब्लाउज और कुर्ते बनाए जाते हैं। सोफे आदि का कुशन और चादरें भी बनाई जाती हैं।

भूकंप ने हालांकि इनकी जिंदगियों की रफ्तार रोक दी। इनके घर ढह गए, वे सामुदायिक केंद्र ढह गए जहां ये ढाका कपड़ा बुनती थीं।

मुक्ता श्रेष्ठ ने नेपाल की राजधानी के दौरे पर आई आईएएनएस संवाददाता से कहा, “शुरू-शुरू में तो ये घर से काम करने वाली महिला कामगार पूरी तरह से सदमे में थीं। लेकिन, फिर इनकी मनोवैज्ञानिक-सामाजिक काउंसलिंग की गई। धीरे-धीरे ये सदमे से उबरने लगीं। उनका ध्यान इस त्रासदी से हटाने और इन्हें व्यस्त रखने के लिए हमने इन महिलाओं को भूकंप राहत में काम आने वाले टेंट और बैग को सिलने का काम दिया। ”

श्रेष्ठ ने कहा, “उस वक्त (भूकंप के समय) अधिकांश काम पर नहीं लौट सकीं। इन तक संदेश भेजने का कोई जरिया भी नहीं था। लेकिन अब, ये फिर से तैयार हो रही हैं। भूकंप के बाद अपनी जिंदगी को सहेजने के लिए कुछ न कुछ कर धन कमाने की कोशिश कर रही हैं। ”

साबाह-नेपाल एक ऐसा सामाजिक व्यावसायिक संगठन है, जो आर्थिक रूप से कमजोर और हाशिये पर पड़ी घरेलू कामगार महिलाओं को उनकी जीविका चलाने में मदद करता है।

 

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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