प्रादेशिक
बिहार चुनाव में नक्सली हिंसा बड़ी चुनौती
पटना| बिहार विधानसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग जहां मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कवायद में जुटी है, वहीं नक्सली संगठन चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर मतदाताओं को मतदान नहीं करने की चेतावनी दे रहे हैं। माना जा रहा है कि पांच चरणों में होने वाले चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती नक्सली हिंसा की होगी। पुलिस और निर्वाचन विभाग हालांकि इस चुनौती से निपटने की तैयारी में जुटे हैं।
राज्य में पांच चरणों में होने वाले चुनाव में पहले तीन चरणों में नक्सल प्रभावित इलाकों को रखा गया है, जहां सुबह सात बजे से लेकर अपराह्न् तीन या चार बजे तक ही मतदान होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में नक्सलियों के प्रभाव वाले क्षेत्र का दायरा भी बढ़ा है।
नक्सली चुनाव से पहले अपनी धमक जताने के लिए गया, जमुई, अरवल और औरंगाबाद जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में बड़े स्तर पर मतदान बहिष्कार की चेतावनी देते हुए पर्चे फेंककर या चिपकाकर अपने मंसूबों को साफ कर चुके हैं। इन पोस्टरों और पर्चो में मतदान का बहिष्कार करने की अपील की गई है, साथ ही वारदातों को अंजाम देने की चेतावनी भी दी गई है।
बिहार में नक्सली समस्या तेजी से बढ़ी है। राज्य के कुल 38 में से 29 जिले कम या ज्यादा नक्सल प्रभावित हैं। सभी 29 नक्सल प्रभावित जिलों को नक्सली गतिविधियों और वारदातों के हिसाब से तीन श्रेणियों ए, बी और सी में बांटा गया है।
इस चुनाव में दूसरे और तीसरे चरण में जिन 12 जिलों की 82 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है, वे सभी क्षेत्र श्रेणी ए, बी और सी के अंतर्गत हैं। इन जिलों में प्रशासन को शांतिपूर्ण मतदान कराना बेहद चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए हैं। इन जिलों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के अलावा कई तरह से सुरक्षात्मक प्रबंध किए जा रहे हैं।
चुनाव को लेकर हेलीकॉप्टरों से हवाई निगरानी की जाएगी और जमीन पर बारूदी सुरंगों का पता लगाकर उसे निष्क्रिय करने के लिए विशेषज्ञों की विशेष टीम की तैनाती की जानी है। जंगली इलाकों में घुड़सवार बल का भी बड़े पैमाने पर उपयोग होगा। इसमें अर्धसैनिक बलों के अलावा बिहार पुलिस की विशेष टीम भी होगी।
गया, जमुई, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर और जहानाबाद जिले पूर्णत: नक्सली प्रभावित इलाका माना जा रहा है। इन जिलों की विधानसभा सीटों में चुनाव कराना बेहद मशक्कत भरा माना जा रहा है। विधानसभा सीटों में जरूरत के हिसाब से केंद्रीय बलों को तैनात किया जाएगा।
एक अनुमान के मुताबिक, एक जिले में लगभग पांच हजार से ज्यादा केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की जाएगी।
प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) प्रत्येक चुनाव के बहिष्कार के नाम पर अक्सर चुनावों के समय हिंसक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में भी नक्सलियों ने जमुई लोकसभा क्षेत्र में बारूदी सुरंग विस्फोट केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ ) के गश्ती दल को निशाना बनाया था। इसमें दो जवान शहीद हो गए थे, जबकि छह अन्य घायल हो गए थे।
राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी के अनुसार, प्रथम चरण के मतदान में जिन 10 जिलों की 49 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है, उनमें से नौ क्षेत्र सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित हैं। इनमें मतदान का समय सुबह सात बजे से अपराह्न् तीन बजे तक रखा गया है।
सभी राजनीतिक दलों ने भी चुनाव के दौरान राज्य के प्रत्येक मतदान केंद्र पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती करने की मांग की है।
राज्य के पुलिस महानिदेशक पी़ क़े ठाकुर के अनुसार, नक्सली हर बार चुनाव बहिष्कार की घोषणा करते हैं। पुलिस उनसे निबटने की तैयारी कर रही है, मतदान केंद्रों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती भी की जाएगी। उनका कहना है कि राज्य में निष्पक्ष और शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न कराना चुनौती है तो प्राथमिकता भी है।
एक अन्य पुलिस अधिकारी कहते हैं कि संवेदनशील क्षेत्रों में नक्सलियों के खिलाफ कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं। क्षेत्रों में ‘डी-माइनिंग’ ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं, ताकि बारूदी सुरंगों का पहले ही पता लगाकर उसे निष्क्रिय किया जा सके। इसके अलावा सीमावर्ती राज्यों के साथ मिलकर भी अभियान चलाए जा रहे हैं।
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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई
नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।
बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।
बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।
ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।
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