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आकाशगंगा के केंद्र में मिले ब्रह्मांड के प्राचीनतम तारे

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सिडनी| खगोलविदों ने अंतरिक्ष विज्ञान में बेहद अहम खोज करते हुए अब तक ज्ञात ब्रह्मांड के सर्वाधिक प्राचीनतम तारों की खोज की है। ये तारे हमारी आकाशगंगा ‘मिल्की वे’ के केंद्र के नजदीक पाए गए तथा ये मिल्की वे बनने से भी पहले के हैं, जब ब्रह्मांड की आयु 30 करोड़ वर्ष थी।

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, आश्चर्यजनक तरीके से पाए गए सभी नौ तारे विशुद्ध हैं, लेकिन उनमें हाइपरनोवा विस्फोट के कारण नष्ट हुए एक अन्य प्राचीनतम तारे के तत्व भी मौजूद हैं।

अध्ययन के मुख्य लेखक आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) के लुइस होवेस के अनुसार, “ये तारे ब्राह्मांड में सही-सलामत बचे बिल्कुल प्रारंभिक तारों में से हैं तथा निश्चित तौर पर अब तक ज्ञात प्राचीनतम तारे हैं।”

होवेस ने कहा, “ये तारे मिल्की वे बनने से भी पहले के हैं और हमारी आकाशगंगा इन्हीं तारों के ईद-गिर्द निर्मित हुई।”

इन नौ तारों के पाए जाने के बाद ब्रह्मांड निर्मित होने के समय के पर्यावरण से संबंधित मौजूदा सिद्धांत पर प्रश्न उठने लगे हैं।

होवेस ने बताया, “इन तारों में आश्चर्यजनक रूप से कार्बन, आयरन और अन्य भारी तत्वों का स्तर काफी कम है, जो इस ओर संकेत करता है कि प्रारंभिक तारों में सामान्य सुपरनोवा की तरह विस्फोट नहीं हुआ होगा।”

उन्होंने आगे कहा, “संभव है, प्रारंभिक तारे हाइपरनोवा की तरह विस्फोट के बाद नष्ट हुए। हाइपरनोवा विस्फोट में सामान्य सुपरनोवा विस्फोट की अपेक्षा 10 गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित होती है।”

इस शोध परियोजना के प्रमुख एएनयू के प्राध्यापक मार्टिन आस्प्लंड के अनुसार, मिल्की वे के केंद्र में अरबों की संख्या में तारे हैं और उनके बीच इन तारों की खोज भूसे के ढेर में सूई खोजने के समान है।

अनुसंधानकर्ताओं की टीम इससे पहले 2014 में मिल्की वे के किनारे पर एक बेहद प्राचीन तारे की खोज की थी, लेकिन उसके बाद अनुसंधानकर्ताओं ने मिल्की वे के केंद्रीय हिस्से पर काम शुरू कर दिया।

यह खोज प्रतिष्ठित शोध पत्रिका ‘नेचर’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुई है।

 

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फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन, जानें कुछ उनके बारे में

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नई दिल्ली। इंडियन न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक और फेमस न्यूक्लियर फिजिस्ट होमी जहांगीर भाभा का आज जन्मदिन है। जे. भाभा, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के फाउंडिंग डायरेक्टर और फिजिक्स के प्रोफेसर भी थे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 में एक अमीर पारसी परिवार में हुआ था। होमी जहांगीर भाभा के पिता का नाम जहांगीर होर्मुस्जी भाभा और माता का नाम मेहरबाई भाभा था, इनके पिता एक जाने-माने वकील थे जबकि माँ एक गृहिणी थीं।

होमी भाभा ने 16 साल की आयु में ही सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा पास कर ली थी। फिर वे गोनविले और कैयस कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कैम्ब्रिज गए। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज में कैवेंडिश लैब में रिसर्च करना शुरू किया और उनका पहला रिसर्च पेपर 1933 में प्रकाशित हुआ। दो साल बाद, उन्होंने अपनी पीएचडी हासिल की और 1939 तक कैम्ब्रिज में रहे।होमी भाभा ने छात्र के रूप में कोपेनहेगन में नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोहर के साथ काम किया और क्वांटम सिद्धांत के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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