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प्रादेशिक

डिग्रीधारी ही बेच सकेंगे खाद, कीटनाशक

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537477925रायपुर| केंद्र सरकार ने अब कीटनाशक व उर्वरक की बिक्री करने वाले दुकान संचालकों के लिए नया मापदंड तैयार किया है। इसके अनुसार, कृषि या विज्ञान विषय के डिग्री व डिप्लोमाधारी ही खाद व कीटनाशक की दुकान के लिए लाइसेंस प्राप्त सकेंगे। विभाग द्वारा डिग्री के आधार पर उन्हें लाइसेंस दिया जाएगा। ऐसे में बीएससी उत्तीर्ण बेरोजगारों को दुकानों में रोजगार मिल सकेगा, तो वहीं किसानों को भी अच्छी दवाइयां मिल सकेंगी।

छत्तीसगढ़ कृषि विभाग के उपसंचालक एल.एम. भगत ने बताया कि केंद्र सरकार के बनाए नए नियम के अनुसार, रासायनिक उवर्रक व कीटनाशक बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किया जाएगा। पुराने दुकानदारों को इसकी सूचना दे दी गई है। उन्हें नियमानुसार दो साल में डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त करना होगा या योग्यताधारी कर्मचारी रखना होगा।

राज्य में खाद-बीज, कीटनाशक वाले अधिकांश दुकानदारों के पास लाइसेंस तो है, लेकिन न तो उनके पास कृषि संबंधी पर्याप्त जानकारी है और न ही उन्हें नए-नए कृषि संबंधी उवर्रक खादों की जानकारी है। ऐसे में प्रदेश के अधिकांश दुकान संचालकों द्वारा जानकारी के अभाव में किसानों को गलत दवा या सलाह दे देते हैं। वहीं किसानों को नए-नए रसायनिक खाद बीज, कीटनाशक की उपयोगिता, फायदे सहित सही मात्रा में छिड़काव की सही जानकारी नहीं मिल पाती। ऐसे में किसानों की फसल प्रभावित होती है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा नया नियम बनाया गया है। नए नियम के तहत कृषि या विज्ञान विषय की डिग्री या डिप्लोमाधारी ही खाद व कीटनाशक की दुकान खोल सकेंगे। विभाग द्वारा डिग्री के आधार पर उन्हें लाइसेंस दिया जाएगा। इसे केंद्र के राजपत्र में भी प्रकाशित किया गया है। भगत ने बताया कि पूर्व के लाइसेंसी व्यापारी उर्वरक और कीटनाशक (संशोधन) नियम-2015 के अनुसार, कृषि स्नातक, जैव, रसायन, प्राणी, प्रौद्योगिकी, जीवन विज्ञान या वनस्पति विज्ञान डिग्री या डिप्लोमाधारी कर्मचारी रखने या स्वयं के इन विषयों में स्नातक या डिप्लोमा होने पर ही कीटनाशक व रसायनिक खाद बिक्री के लिए लाइसेंस मिलेगा।

वहीं पुराने दुकान संचालाकों के लिए डिप्लोमा या डिग्री लेने के लिए दो साल का समय भी निर्धारित किया गया है। संशोधित नियम के तहत किसानों को दुकान संचालकों से ही फसल की विभिन्न किश्मों सहित नए-नए खाद, बीज सहित उपज में खाद बीज की सही मात्रा की जानकारी मिल सकेगी। भगत ने कहा कि नए नियम के क्रियान्वयन के लिए विभाग द्वारा सभी कीटनाशक दुकान व उवर्रक केंद्र संचालकों को नए नियम के अनुसार लाइसेंस बनवाने के लिए नोटिस भी दिया जा रहा है। कई तहसीलों के दुकानों में नोटिस वितरण किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि इससे किसानों की उपज पैदावार तो बढ़ेगी, वहीं पढ़े लिखे बेरोजगारों को स्वरोजगार व दूसरे के दुकानों में रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। नए अनिधियम के तहत नए दुकान संचालकों से किसानों को जानकारी मिल सकेगी कि किस फसल के लिए कौन सी दवा कारगर होगी, दवा की क्या मात्रा होनी चाहिए, प्रति हेक्टेयर कितने उर्वरक का उपयोग होना चाहिए। सही दवा, कीटनाशक, बीज व उर्वरक के उपयोग करने सहित विभिन्न तरीके भी बताए जाएंगे।

केंद्र सरकार के नए नियम के तहत पुराने दुकान संचालाकों को कृषि या विज्ञान विषय में डिग्री या डिप्लोमा अनिवार्य किया गया है। अधिनियम के तहत पुराने दुकान संचालकों को दो साल के अंदर कृषि या विज्ञान विषय में स्नातक या डिप्लोमा प्राप्त करना होगा या दुकान में डिग्री या डिप्लोमाधारी कर्मचारी रखना होगा। नया अधिनियम लागू होने से बीएससी उत्तीर्ण बेरोजगारों को खाद व कीटनाशक दवाओं की दुकानों में रोजगार मिल सकेगा, तो वहीं किसानों को भी अच्छी दवाइयां मिल सकेंगी।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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