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अब तक के 85 बजट के बारे में 85 महत्तवपूर्ण बातें
नई दिल्ली। भारत सरकार के वित्त मंत्री अरूण जेटली आगामी 28 फरवरी को देश का आम बजट पेश करेंगे। यह भारत को 86वां बजट होगा। ‘हलवा सेरेमनी’ के साथ आज इसकी विधिवत शुरूआत भी हो गई वित्त मंत्री की उपस्थिति में नार्थ ब्लॉक में हलवा रस्म का आयोजन किया गया। बजट किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम होता है। भारत जैसे विशाल देश के लिए बजट बेहद महत्वपूर्ण है। बजट ही एकमात्र ऐसा जरिया है, जिसके माध्यम से हम जान पाते हैं कि आने वाले एक वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था की क्या स्थिति रहने वाली है। देश की आजादी के बाद से ही भारत में बजट को लेकर काफी उत्सुकता रही है। तो आइए जानते हैं पूर्व के 85 बजटों के बारे में कुछ खास बातें-
- भारत में सबसे पहले ब्रिटिश शासनकाल में 1860 में आम बजट प्रस्तुत किया गया था। जिसका श्रेय फाइनेंस मेंबर जेम्स विल्सन को जाता है, जिन्होंने 18 फरवरी 1860 को वायसराय की परिषद में पहली बार बजट पेश किया था।
- भारत में एक अप्रैल से 31 मार्च तक चलने वाला वित्तीय वर्ष 1867 से शुरू हुआ। इससे पहले तक एक मई से 30 अप्रैल तक का वित्तीय वर्ष होता था।
- ‘बजट’ लैटिन शब्द ‘बोजते’ से बना है, जिसका अर्थ होता है, ‘चमड़े का थैला’। मध्यकाल में पश्चिमी देशों के व्यापारी रुपए-पैसे रखने के लिए चमड़े के थैले का प्रयोग करते थे। बाद में आय-व्यय का ब्योरा ‘बजट’ भी सदन में पेश करने के लिए बैग में ही रखकर लाया जाने लगा।
- आजादी से पहले अंतरिम सरकार का बजट ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के लियाकत अली खां ने 9 अक्टूबर 1946 से लेकर 14 अगस्त 1947 तक के लिए पेश किया था।
- आजाद भारत का पहला अंतरिम बजट 26 नवंबर 1947 को आरके षण्मुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया था।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद-112 में भारत के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। जो कि भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है।
- आम बजट हर साल फरवरी के अंतिम कार्य दिवस को संसद में पेश किया जाता है। जिसे भारत के वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
- बजट को लागू करने से पहले इसे संसद द्वारा पास करना आवश्यक होता है।
- जॉन मथाई आजाद भारत के दूसरे वित्त मंत्री बने थे। उन्होंने 1949-1950 का बजट पेश करते हुए पूरा बजट नहीं पढ़ा था। बल्कि, बजट के कुछ खास बिंदुओं को सदन में पढ़ा। इस बजट में पहली बार योजना आयोग और पंचवर्षीय योजना का जिक्र किया गया था।
- सीडी देशमुख रिजर्व बैंक के एकमात्र ऐसे गवर्नर हैं, जिन्होंने 1951-52 में अंतरिम बजट प्रस्तुत किया था।
- 1955-56 से बजट के दस्तावेज को हिंदी में भी तैयार किए जाने लगा।
- भारत के केंद्रीय बजट में 1955-56 में पहली बार कालाधन उजागर करने की स्कीम शुरू की गई थी।
- पहला विशेष बजट यानी मिनी बजट वित्त विधेयकों के माध्यम से प्रचलित घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति की मांग पर ताजा कराधान प्रस्तावों के रूप में 30 नवंबर 1956 को टीटी कृष्णमाचारी द्वारा पेश किया गया था।
- पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बजट को संसद में प्रस्तुत किया।
- मोरारजी देसाई अपने आठ साल के कार्यकाल में सर्वाधिक 10 बार संसद में बजट प्रस्तुत किए। मोरारजी देसाई जवाहर लाल नेहरु के कार्यकाल में पांच साल, जबकि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में तीन साल देश के वित्त मंत्री रहे।
- वर्ष 1964 और 1968 में वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने आम बजट अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रस्तुत किया था। ऐसा करने वाले वे एकमात्र वित्त मंत्री हैं।
- मोरारजी देसाई ने चार मौकों पर उप प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किए।
- देसाई के इस्तीफा देने के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय का पदभार संभाली।
- संसद में बजट प्रस्तुत करने वाली एकमात्र महिला इंदिरा गांधी हैं, जिन्होंने 1970 में बजट पेश किया था। इंदिरा गांधी वित्त मंत्री का पद संभालने वाली एकमात्र महिला हैं।
- चौधरी चरण सिंह मोरारजी देसाई की नेतृत्व वाली सरकार में एक बार आम बजट पेश किए। उस समय वे देश के उप प्रधानमंत्री भी थे।
- वित्त पोर्टफोलियो को हासिल करने वाले राज्यसभा के पहले सदस्य प्रणव मुखर्जी ने 1982-83, 1983-84 और 1984-85 के वार्षिक बजट को प्रस्तुत किया।
- 1987-88 में वीपी सिंह द्वारा सरकार से अलग हट जाने के बाद राजीव गांधी देश के तीसरे ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होंने अपनी मां इंदिरा गांधी और नाना जवाहरलाल नेहरू के बाद बजट को प्रस्तुत किया।
- राजीव गांधी ने 1987 के बजट में पहली बार कॉरपोरेट टैक्स का न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स से परिचय कराया था।
- 1991 में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री बने, लेकिन चुनाव की विवशता के कारण पहली बार उन्होंने 1991-92 के लिए अंतरिम बजट ही प्रस्तुत कर सके।
- 1991-92 में अंतरिम तथा फाइनल बजट को अलग-अलग दलों के वित्त मंत्रियों ने संसद में रखा। अंतरिम बजट यशवंत सिन्हा जबकि फाइनल बजट को मनमोहन सिंह ने प्रस्तुत किया।
- तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बजट 1992-93 में अर्थव्यवस्था को मुक्त कर दिया। उन्होंने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और आयात कर को कम करते हुए 300 से अधिक प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक किया।
- 1994 में सेवा कर का प्रावधान केंद्रीय बजट में किया गया था। इस बजट को तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था।
- टैक्स के दायरे में सर्विस सेक्टर को लाने के विचार के कारण ही बजट में सर्विस टैक्स का प्रावधान किया गया था।
- 1996 में चुनाव के बाद एक गैर-कांग्रेसी नेता ने वित्त मंत्री का पद ग्रहण किया। इसलिए 1996-97 का अंतरिम आम बजट पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत किया गया। चिदम्बरम उस समय तमिल मानिला कांग्रेस (यूनाईटेड फ्रंट) से संबंधित थे।
- एक संवैधानिक संकट के बाद जब इंद्र कुमार गुजराल का कार्यकाल खत्म हो रहा था, तब पी. चिदंबरम के 1997-98 के आम बजट को पारित करने के लिए संसद की एक विशेष सत्र बुलाई गई थी।
- 1997-98 के आम बजट को बिना बहस के ही पारित किया गया था। यह दूसरी बार था जब अंतरिम और फाइनल बजट अलग-अलग पार्टियों के दो मंत्रियों द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
- वर्ष 2000 तक अंग्रेजी परंपरा से अनुसार बजट शाम को पांच बजे प्रस्तुत किया जाता था। लेकिन, 2001 में एनडीए सरकार ने इस परंपरा को तोड़ते हुए शाम की बजाय सुबह 11 बजे संसद में बजट पेश किया।
- वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने पहली बार शाम की बजाय सुबह के वक्त बजट प्रस्तुत किया। तब से लेकर हर साल सुबह के ही वक्त बजट पेश किया जाता है।
- सामान्य स्थिति में बजट निर्माण की प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो जाती है।
- बजट के लिए सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को सर्कुलर भेजा जाता है, जिसके जवाब में विवरण के साथ उन्हें आगामी वित्तीय वर्ष के अपने-अपने खर्च, विशेष परियोजनाओं का ब्यौरा और फंड की आवश्यता की जानकारी देनी होती है। यह बजट की रूपरेखा के लिए एक आवश्यक कदम हैं।
- बजट को सार्वजनिक करने से पहले इसे बेहद ही गुप्त रखा जाता है।
- बजट बनाने के दौरान वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग टेक्नीशियन और स्टेनोग्राफर्स नार्थ ब्लॉक में एक तरह से कैद में रहते हैं।
- बजट को संसद में पेश करने से पहले सात दिनों तक इससे जुड़े अधिकारी बाहरी दुनिया से एकदम कट जाते हैं। वे परिजनों से भी बात नहीं कर सकते हैं। किसी आपातकालीन स्थिति में, इन अधिकारियों के परिवार उन्हें दिए गए नंबर पर संदेश छोड़ सकते हैं, लेकिन उनसे सीधे बात नहीं कर सकते।
- इस दौरान नॉर्थ ब्लॉक में ‘हलवा सेरेमनी’ का आयोजन किया जाता है। इसके लिए बड़े पैमाने पर हलवा (स्वीट डिश) तैयार किया जाता है। जिसे बजट से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों के बीच बांटा जाता है। वित्त मंत्री भी इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं।
- संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी बजट बनाने वाली टीम की गतिविधियों और फोन कॉल्स पर नजर रखते हैं।
- इस दौरान स्टेनोग्राफर्स पर सबसे अधिक नजर रखी जाती है।
- साइबर चोरी की आशंका से बचने के लिए स्टेनोज के कम्प्यूटर्स को नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) सर्वर से अलग रखा जाता हैं।
- इस दौरान एक पॉवरफुल मोबाइल जैमर नार्थ ब्लॉक में कॉल्स को ब्लॉक करने और जानकारियों के लीक होने से बचने के लिए इंस्टॉल किया जाता है।
- जहां स्टेनोग्राफर और अन्य अधिकारी काम करते हैं और रहते हैं, वहां वित्त मंत्री के साथ ही इंटेलिजेस ब्यूरो चीफ अचानक दौरा कर सकते हैं। यही क्रम नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट के प्रिंटिंग प्रेस क्षेत्र में भी जारी रहता है।
- पहले बजट पेपर्स राष्ट्रपति भवन में ही छपा करते थे लेकिन, 1950 में बजट पेपर लीक हो जाने के बाद बजट पेपर्स को मिंटो रोड स्थित सिक्योरिटी प्रेस में छापा जाने लगा।
- 1980 से बजट पेपर नॉर्थ ब्लॉक से प्रिंट होने लगा।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद-122 के अनुसार, देश का आम बजट बनाने के लिए 14 जरूरी डॉक्यूमेंट्स की आवश्कता होती है।
- इन दस्तावजों में Annual Financial Statement, Demands for Grants, Receipts Budget, Expenditure Budget Volume-1, Expenditure Budget Volume-2, Finance Bill, Appropriation Bill, Memorandum explaining the provisions in the Finance Bill, Budget at a Glance, Highlights of the Budget, Macro-economic policy framework for the relevant financial year, Fiscal Policy Strategy Statement for the Financial year, Medium term Fiscal Policy Statement, Medium term Expenditure Framework Statement
- बजट का भाषण वित्त मंत्री का एक सबसे सुरक्षित दस्तावेज है। इसे बजट की घोषणा होने के दो दिन पहले मध्यरात्री में प्रिंटर्स को सौंपा जाता है।
- बजट का भाषण आमतौर पर दो भागों में संसद में पेश होता है।
- जिस साल लोकसभा का चुनाव होता हैं। उस साल दो बार बजट पेश किया जाता है। पहला- वोट ऑन एकाउंट बजट होता है तो दूसरा कुछ महीने बाद फुल बजट पेश किया जाता है।
- आमतौर पर बजट 11 महीने का तैयार किया जाता है। जोकि, अप्रैल से शुरु होकर अगले साल की मार्च तक चलता है।
- देश का बजट एक लीगल डॉक्यूमेंट होता है। जोकि विधानमंडल द्वारा पास कराया जाता है। इसे देश का राष्ट्रपति एप्रूव करता है।
- बजट के लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवंबर में रायसीना हिल्स पर नॉर्थ ब्लॉक में अपने स्टेकहोल्डर्स के साथ कंसल्ट शुरू करते हैं। वे सभी मिलकर टैक्स छूट और राजकोषीय प्रोत्साहनों पर बहस करते हैं।
- इस दौरान आगामी वर्ष की बड़ी संभावनाओं पर फोकस रहता है। हितधारकों के साथ आखिरी बैठक होती है, जिसकी खुद वित्त मंत्री अध्यक्षता करते हैं।
- योजनाओं में सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक झुकाव और उसके सहयोगी दलों की इच्छाओं के हिसाब से सुधार किया जाता है।
- आम बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस के दिन पेश किया जाता है। सरकार को इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होती है।
- राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री संसद में आम बजट को पढ़ते हैं।
- संसद के दोनों सदनों में बजट रखने से पहले इसे यूनियन कैबिनेट के सामने रखना होता है।
- वित्त मंत्री लोकसभा में बजट सुबह 11 बजे पेश करते हैं।
- बजट दो भागों में बंटा होता है। पहले भाग में सामान्य आर्थिक सर्वे और नीतियों का ब्यौरा होता है। जबकि, दूसरे भाग में आगामी वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष करों के प्रस्ताव को रखा जाता हैं।
- बजट प्रस्तुत किए जाने के बाद बजट के प्रस्तावों पर संसद में सामान्य और विस्तृत बहस होती है। आमतौर पर यह बहस लोकसभा में दो से चार दिन तक चलती है।
- सदन में बहस के अंतिम दिन स्पीकर की ओर से सभी बकाया अनुदान मांगों को वोट पर रखा जाता है।
- लोकसभा में बहस के बाद विनियोग विधेयक पर वोटिंग के साथ वित्त और धन विधेयक पर वोटिंग होती है।
- संसद की मंजूरी के बाद विधेयक को 75 दिन के भीतर मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति के विधेयक को मंजूरी के साथ ही बजट प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
- आजादी के बाद से अब तक 85 बार आम बजट पेश किया जा चुका है। जिसमें सामान्य और अंतरिम दोनों शामिल हैं।
- अब तक, 67 सामान्य वार्षिक बजट और 14 अंतरिम बजट पेश किया जा चुका है। जबकि, चार मौकों पर विशेष बजट (special occasion budgetary proposals) पेश किए गए हैं।
- अरुण जेटली आजा़द भारत के 26वें वित्त मंत्री हैं, जो संसद में बजट प्रस्तुत करेंगे।
- मोरारजी देसाई के बाद पी. चिदंबरम दूसरे ऐसे वित्त मंत्री हैं जिन्होंने सबसे ज्यादा बार बजट पेश किए हैं।
- पी, चिदंबरम कुल नौ बार बजट पेश कर चुके हैं।
- मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, यशवंत सिन्हा, वाईबी चव्हाण और सीडी देशमुख ने देश के लिए सात-सात बार बजट पेश किए हैं।
- मार्च 1998 के सामान्य चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय सरकार का गठन करने वाली थी, तब इस सरकार के वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1998-99 के अंतरिम और अंतिम बजट को प्रस्तुत किया था।
- 1999 के सामान्य चुनाव के बाद यशवंत सिन्हा एक बार फिर वित्त मंत्री बने और 1999-2000 से 2002-2003 तक चार वार्षिक बजट प्रस्तुत किए।
- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्त मंत्री रहते हुए छह बार बजट पेश कर चुके हैं।
- देश के चौथे वित्त मंत्री टीटी कृष्णमचारी ने भी छह बार बजट पेश किए है।
- आर वेंकटरमण और हरिभाई एम. पटेल ने तीन-तीन बार आम बजट संसद में प्रस्तुत किए।
- जसवंत सिंह, वीपी सिंह, सी. सुब्रमण्यम, आजाद भारत के पहले वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी तथा दूसरे वित्त मंत्री जॉन मथाई ने दो-दो बार देश के लिए बजट पेश किए हैं।
- मई 2004 में चुनाव होने के कारण अंतरिम बजट को जसवंत सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया।
- पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, चरण सिंह, एनडी तिवारी, मधु दंडवते, एसबी चव्हाण और सचिंद्र चौधरी ने एक-एक बार बजट पेश किए हैं।
- एनडी तिवारी ने 1988-89, एसबी चव्हाण ने 1989-90 के लिए जबकि मधु दंडवते ने 1990-91 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत किए थे।
- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के लोगों को सबसे ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ता है।
- इस बार के बजट में मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, कौशल विकास योजना जैसे पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी योजनाओं को ज्यादा तरजीह देने की उम्मीद है।
- मोदी सरकार का यह दूसरा पूर्ण आम बजट है। हर बार की तरह इस बार भी आम बजट में महंगाई, खाद्य सुरक्षा, होम लोन, सस्ते मकान, शिक्षा, रोजगार, कृषि आदि महत्वपूर्ण मुद्दों से जुड़ी नीतियों व संभावित घोषणाओं पर लोगों की नजर रहेगी।
- इस बार के बजट में सातवें वेतन आयोग और वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के लिए दिए जाने वाली राशि पर भी खासा उम्मीदें टिकी हैं।
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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