प्रादेशिक
महिलाओं को आत्मनिर्भर, सशक्त और रोजगार से जोड़ने की बड़ी पहल कर रही योगी सरकार
लखनऊ। राज्य सरकार ने महिलाओं को रोजगार देने की में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पहल की है। गांव-गांव तक बैंकिंग सेवाओं को पहुंचाने के लिये उसने 17500 बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बनाने का काम पूरा कर लिया है।
प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 17500 बीसी सखी का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है और उनको पैसा हस्तांतरित किया जा रहा है। इसके अलावा 58 हजार बीसी सखी को प्रशिक्षण देने का काम तेज गति से किया जा रहा है।
सरकार के इस प्रयास से बैंकिंग सेवाएं लोगों के घरों तक पहुंची हैं। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने बैंक खातों से धनराशि निकालने और उसे जमा करने में बड़ी आसानी हुई है। उनका बैंक शाखाओं तक जाने का खर्चा बच रहा है और घर के करीब ही बैंक के रूप में बीसी सखी मिल जा रही हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये मिशन रोजगार, मिशन शक्ति और मिशन कल्याण योजनाओं को शुरु किया है। इसके तहत तैयार किये गये मास्टर प्लान को सरकार से सम्बद्ध संस्थान तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। इस क्रम में बैंक ऑफ बड़ौदा और यूको बैंक के सहयोग से यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) ने 1200 बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बना लिये हैं। कम्पनी अगले साल तक 7000 बीसी सखी बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में लगी है। गांव से लेकर शहरों में बीसी सखी 24 घंटे बैंकिंग सेवाएं दे रहे हैं।
22 मई 2020 से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिये बीसी सखी योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य की सभी महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। उत्तर प्रदेश् राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से प्रदेश में 30 हजार हजार बीसी सखी बनाने का कार्यक्रम बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ मिलकर किया जा रहा है। यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) इसमें भी सहयोगी की भूमिका निभा रहा है। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति, वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से 500 अनुसूचित जाति के युवक-युवतियों को रोजगार के अवसर देते हुए बीसी सखी बनाए हैं।
बीसी सखी बनाने के लिये पूर्व सैनिकों, पूर्व शिक्षकों, पूर्व बैंककर्मियों और महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है। बीसी सखी बनने के लिये योग्यता में 12वीं कक्षा पास होना अनिवार्य किया गया है। अभ्यर्थी को कम्यूटर चलाना आना चाहिये, उसपर को वाद या पुलिस केस नहीं होना चाहिये। ऐसे अभ्यर्थी के चयन से पहले एक छोटी सी परीक्षा भी ली जाती है। इसमें उत्तीर्ण होने वाला अभ्यर्थी बीसी सखी बन सकता है।
इज्जतदार काम मिला और लोगों की सेवा का अवसर भी
बड़हलगंज जिला गोरखपुर में बीसी सखी योजना से जुड़ने वाले धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि वो पहले वस्त्र उद्योग से जुड़े थे। बीसी सखी योजना से जुड़ने के बाद उनको काफी फायदा हुआ। उनका कहना है कि इज्जदतार काम मिलने के साथ लोगों की सेवा का भी बड़ा अवसर मिला है। लोगों को तत्काल बैंकिंग सेवा मिलने से खुद को भी खुशी होती है।
बीसी सखी योजना से जुड़कर प्रत्येक माह मिलने लगी एक निश्चित आमदनी
कस्बा सेथल जिला बरेली के आसिफ अली ने बताया कि बीसी सखी बनने के बाद भविष्य सुरक्षित करने के लिये प्रत्येक माह एक निश्चित आमदनी का माध्यम बना है। इससे पहले मैं ऑनलाइन कैफे चलाता था, ऑनलाइन आधार बनाने का भी काम करता था। इन सेंटरों के बंद होने के बाद रोजगार नहीं था। इसके बाद बीसी सखी योजना से जुड़कर एक स्थायी रोजगार मिला है।
लोगों को बैंकों में लाइन लगाना और समय लगाना हुआ बंद
लखनऊ में नक्खास निवासी मोहसिन मिर्जा ने बताया कि बीसी सखी योजना के तहत बैंकिंग सेवाओं को देना रोजी-रोटी का बेहतर साधन बना है। सबसे अधिक फायदा इससे बैंक के ग्राहकों को हुआ है। उनको बैंक में लाइन लगाने और समय लगाना बन्द हो गया है और बैंक तक जाने का किराया भी उनका बचा है। छोटे स्तर पर बैंकिंग सेवाएं लोग हमारे केंन्द्रों से ले रहे हैँ।
बैंकिंग सेवाओं को आसानी से प्राप्त करने की बड़ी पहल
सोनभद्र के भगवान दास बताते हैं कि बीसी सखी योजना से उनको रोजगार मिला है। प्रत्येक माह उनकी आमदनी बढ़ती जा रही है। सबसे अधिक सुविधा ग्राहकों को मिली है। सरकार की ओर से बैंकिंग सेवाओं की बड़ी सौगात खासकर गांव के लोगों को दी गई है। ग्रामीण पहले बैंक से पैसा निकालने और जमा करने में आने-जाने में जो खर्चा करते थे उसकी भी बचत हो रही है।
उत्तराखंड
गुजरात से हरिद्वार गंगा स्नान के लिए आए दो बच्चों की डूबने से मौत, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
हरिद्वार। गुजरात से हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए आए एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। यहां एक परिवार के 2 नाबालिग बच्चों की गंगा नदी में डूबने से मौत हो गई। हादसा बुधवार सुबह 10 बजे उत्तरी हरिद्वार के सप्तऋषि क्षेत्र में संतमत घाट पर हुआ। हादसे के बाद परिवार के सदस्यों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे।
गुजरात के तापी जिले के वलोड थाना अंतर्गत बाजीपुरा गांव निवासी विपुल भाई पवार अपने परिवार के साथ गंगा दर्शन और स्नान के लिए हरिद्वार पहुंचे थे। बुधवार सुबह लगभग 10:00 बजे पूरा परिवार उत्तरी हरिद्वार के परमार्थ घाट के पास संतमत घाट पर गंगा स्नान कर रहा था।
स्नान के दौरान विपुल भाई की 13 वर्षीय बेटी प्रत्यूषा और 6 वर्षीय बेटा दर्श अचानक गंगा की तेज धारा में बहने लगे। परिजन और घाट पर मौजूद अन्य श्रद्धालु बच्चों को बचाने के लिए दौड़े, लेकिन तेज बहाव और गहरे पानी के कारण उन्हें बचाने में असफल रहे। देखते ही देखते दोनों बच्चे गंगा की लहरों में आंखों से ओझल हो गए।
घटना की सूचना मिलते ही सप्तऋषि पुलिस चौकी से पुलिस टीम मौके पर पहुंची। जल पुलिस और गोताखोरों की मदद से बच्चों को तलाश किया गया। कुछ ही देर बाद दोनों को ठोकर नंबर 13 के पास पानी से बेसुध हालत में बाहर निकाला गया। तत्काल 108 एंबुलेंस की सहायता से दोनों को हरिद्वार जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।
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