अन्तर्राष्ट्रीय
अफगानिस्तान में एक और आपात स्थिति उत्पन्न, अकाल का भी खतरा: UNO
काबुल। यूनाइटेड नेशंस ने कहा कि पहले ही सूखे और गरीबी की मार झेल रहे अफगानिस्तान में भीषण भूकंप के कारण देश के सामने एक और आपात स्थिति उत्पन्न हो गई है। दुनिया में सबसे ज्यादा लोग अफगानिस्तान में ही अकाल के खतरे का सामना कर रहे हैं और देश के नए तालिबान शासकों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ रहा है।
3.8 करोड़ की आबादी के सामने गंभीर समस्या
यूनाइटेड नेशंस के वरिष्ठ अधिकारियों मानवीय मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स और अफगानिस्तान के लिए यूनाइटेड नेशंस के उप विशेष प्रतिनिधि रमिज़ अलकबरोव ने अफगानिस्तान की 3.8 करोड़ की आबादी के समक्ष खड़ी गंभीर कठिनाइयों और खतरों का जिक्र किया। अफगानिस्तान में 22 जून को आए भीषण भूकंप के बाद सुरक्षा परिषद की एक बैठक में अधिकारियों ने ये बयान दिए।
भूकंप में एक हजार लोगों की मौत
अफगानिस्तान की सरकारी मीडिया के अनुसार, इस भूकंप में करीब एक हजार लोग मारे गए हैं। हालांकि, यूनाइटेड नेशंस ने पक्तिका और खोस्त प्रांतों में भूकंप के कारण करीब 770 लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया है।
सैकड़ों अन्य लोग घायल भी हुए हैं, जिस कारण अधिकारियों ने आगाह किया है कि हताहतों की संख्या बढ़ सकती है। 23 जून को भी शवों को मलबे से निकालने का काम जारी था।
सुखाड़ से भी जूझ रहा है अफगानिस्तान
मार्टिन ग्रिफिथ्स ने इस ऑनलाइन बैठक में कहा कि तालिबान के पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में लेने के बाद से अफगानिस्तान के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में बदलाव आया है और ‘देश के लोग अविश्वसनीय मानवीय पीड़ा’ का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ’30 साल में सबसे खराब सूखे से जूझने के कारण प्रांतों के तीन-चौथाई हिस्से प्रभावित हुए हैं, जिससे फसल का उत्पादन औसत से कम होने की उम्मीद है।’
66 लाख लोग ‘आपात’ स्थिति में
ग्रिफिथ्स ने कहा कि देश की 2.5 करोड़ आबादी गरीबी में गुजर-बसर कर रही है, यह आंकड़ा 2011 की तुलना में दोगुना है। इनमें से 66 लाख लोग ‘आपात’ स्थिति में है। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे अधिक लोग अफगानिस्तान में ही अकाल से प्रभावित हैं।
अलकबरोव ने कहा कि भूकंप ने लोगों के सामने एक और मुसीबत खड़ी कर दी है। उन्होंने कहा कि तालिबान के खिलाफ सशस्त्र विपक्षी समूहों के उदय के कारण वहां सुरक्षा को लेकर अनिश्चितताएं उत्पन्न हो रही हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तानी हवाई हमले से बौखलाया तालिबान, 15 लोगों की मौत
काबुल। अफगानिस्तान में पक्तिका प्रांत के बरमल जिले पर पाकिस्तान ने की हवाई हमले किए जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है। खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 24 दिसंबर की रात को पाकिस्तान के हमलों में लमान सहित सात गांवों को निशाना बनाया गया, जहां एक ही परिवार के पांच सदस्य मारे गए। स्थानीय सूत्रों का दावा है कि बमबारी के लिए पाकिस्तानी जेट जिम्मेदार थे। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि बरमाल में मुर्ग बाज़ार गांव पूरी तरह से नष्ट हो गया है, इस हमले में कई लोग घायल भी हैं।
पाकिस्तानी हवाई हमले से बौखलाया तालिबान
खामा प्रेस ने बताया कि इस हवाई हमले की जांच की जा रही है और इसकी पुष्टि करने और हमलों की जिम्मेदारी स्पष्ट करने के लिए आगे की जांच की आवश्यकता है। तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने बरमाल, पक्तिका पर हवाई हमले के बाद जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है। मंत्रालय ने कहा कि अपनी भूमि और संप्रभुता की रक्षा करना उनका वैध अधिकार है, और हमले की निंदा करते हुए दावा किया कि लक्षित लोगों में “वज़ीरिस्तानी शरणार्थी” भी शामिल
पाकिस्तान ने साधी चुप्पी
पाकिस्तानी अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर हवाई हमले की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सेना के करीबी सुरक्षा सूत्रों ने सुझाव दिया कि हमला सीमा के पास तालिबान के ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया था। यह हवाई हमला पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुआ है। खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी तालिबान या तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने हाल के महीनों में पाकिस्तानी बलों पर अपने हमले बढ़ा दिए हैं, पाकिस्तान ने अफगान तालिबान पर इन आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया है।
बढ़ सकती है मृतकों की संख्या
तालिबान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्ला ख्वारज़मी ने पाकिस्तानी दावों का खंडन किया और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया कि हवाई हमले में “नागरिक लोग, ज्यादातर वज़ीरिस्तानी शरणार्थी” मारे गए थे। ख्वारज़मी ने कहा कि हमले में “कई बच्चे और अन्य नागरिक शहीद और घायल हुए”, हालांकि हताहतों की कोई आधिकारिक संख्या उपलब्ध नहीं कराई गई। सूत्रों ने बताया कि महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 15 शव बरामद किए गए हैं, और खोज प्रयास जारी रहने के कारण मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
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