बिजनेस
ऐक्सिस बैंक ने की वित्तीय परिणामों की घोषणा की
मुंबई। ऐक्सिस बैंक लिमिटेड के निदेशक मंडल ने मुंबई में हुई बैठक में 31 दिसंबर 2015 को समाप्त हुई तिमाही और शुरूआती 9 महीनों के वित्तीय परिणामों को मंजूरी दे दी। बैंक के सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा अकाउंट्स की सीमित समीक्षा किया जाना अनिवार्य है।
लाभ एवं नुकसान का विवरण: 31 दिसंबर 2015 को समाप्त अवधि तक
मुख्य परिचालन राजस्व एवं शुद्ध लाभ
31 दिसंबर 2015 को समाप्त तिमाही एवं शुरूआती 9 महीनों में प्रमुख राजस्व में विकास के लिहाज से बैंक ने स्वस्थ प्रदर्शन किया है। साथ ही बैंक की अर्निंग गुणवत्ता सुदृढ़ बनी हुई है। वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही में बैंक का मुख्य परिचालन राजस्व वार्षिक आधार पर 20 प्रतिशत बढ़कर 3,571 करोड़ रूपये रहा और अप्रैल से दिसंबर 2015 के दौरान राजस्व में 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 10,477 करोड़ रूपये पहुंच गया। वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही और शुरूआती 9 महीनों के दौरान शुद्ध लाभ वर्ष दर वर्ष क्रमशः 15 प्रतिशत और 17 प्रतिशत की बढ़त के साथ 2,175 करोड़ रूपये और 6,069 करोड़ रूपये रहा।
शुद्ध ब्याज आय एवं शुद्ध ब्याज मार्जिन
वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही के दौरान बैंक की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) वर्ष दर वर्ष 16 प्रतिशत बढ़कर 4,162 करोड़ रुपये पहुंच गई। वित्त वर्ष 2015 की तीसरी तिमाही में एनआईआई 3,590 करोड़ रुपये थी। वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही में बैंक का शुद्ध ब्याज मार्जिन 3.79 प्रतिशत के मजबूत स्तर पर रहा। वित्त वर्ष 2015 के शुरूआती नौ महीनों के 10,425 करोड़ रूपये की तुलना में वित्त वर्ष 2016 के पहले 9 महीनों में एनआइआइ वार्षिक आधार पर 18 प्रतिशत की बढ़त के साथ 12,280 करोड़ रूपये रही।
अन्य आय
अन्य आय (जिसमें फीस, कारोबारी मुनाफा और अन्य कई आमदनी शामिल होती है) वित्त वर्ष 2015 की तीसरी तिमाही के 2,039 करोड़ रूपये की तुलना में वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही में 15 प्रतिशत बढ़कर 2,338 करोड़ रूपये रही। वित्त वर्ष 2016 के शुरूआती 9 महीनों में अन्य आय 18 प्रतिशत की बढ़त के साथ 6,677 करोड़ रूपये दर्ज की गई। समीक्षाधीन तिमाही के दौरान, फीस आय 12 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ 1,885 करोड़ रूपये पहुंच गई। बैंक की फीस आय में मुख्य योगदानकर्ताओं में खुदरा बैंकिंग थी जिसमें वर्ष दर वर्ष 14 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया और बैंक की कुल फीस आय में इसने 40 प्रतिशत का योगदान किया।
ट्रांजैक्शन बैंकिंग फीस में साल दर साल 9 प्रतिशत की बढ़त हुई और कुल फीस आय में इसका योगदान 20 प्रतिशत रहा। ट्रेजरी एवं डीसीएम फीस परफाॅर्मेंस भी मजबूत रहा और इसमें 15 प्रतिशत का उछाल देखा गया। कुल फीस आय में इसका योगदान 10 प्रतिशत रहा। वित्त वर्ष 2016 के शुरूआती नौ महीनों के दौरान फीस आय में वार्षिक आधार पर 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह मुख्य रूप से खुदरा फीस में 17 प्रतिशत एवं ट्रेजरी व डीसीएम में 37 प्रतिशत की बढ़त से संचालित रही।
बैलेंस शीट: 31 दिसंबर 2015 तक
31 दिसंबर 2015 तक बैंक की बैलेंस शीट वर्ष दर वर्ष 18 प्रतिशत बढ़कर 4,96,391 करोड़ रुपये रही जबकि बैंक का एडवांस वार्षिक आधार पर 21 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3,15,367 करोड़ रुपये पहुंच गया। 31 दिसंबर 2015 तक बैंक का खुदरा एडवांस 27 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ 1,25,796 करोड़ रूपये दर्ज किया गया और बैंक के शुद्ध एडवांस का 40 प्रतिशत रहा। यदि हम एसएमई लोन को मिला लें जोकि रेगुलेटरी रिटेल के रूप में क्वालिफाई हो गया है, तब कुल लोन में रिटेल लोन की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत होगी। काॅर्पोरेट क्रेडिट वर्ष दर वर्ष 21 प्रतिशत बढ़कर 1,48,385 करोड़ रूपये रहा और शुद्ध एडवांस का 47 प्रतिशत दर्ज किया गया। एसएमई एडवांस 7 प्रतिशत उछलकर 41,186 करोड़ रूपये रहा और शुद्ध एडवांस का 15 प्रतिशत रहा।
31 दिसंबर 2015 तक बैंक के निवेश पोर्टफोलियो की बुक वैल्यू 1,15,445 करोड़ रूपये रही। जिनमें से सरकारी प्रतिभूतियों में 83,711 करोड़ रूपये और कार्पोरेट बान्ड्स में 23,997 करोड़ रूपये निवेश किया गया। जबकि 7,737 करोड़ रूपये इक्विटीज, तरजीही शेयरों, म्यूचुअल फंडो इत्यादि अन्य सिक्युरिटीज में लगाये गये। 31 दिसंबर 2015 को सीएएसए डिपाजिट कुल जमा का 43 प्रतिशत रहा। बचत खाता जमा में वर्ष दर वर्ष 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई जो कि पिछली तिमाही में हुये 12 प्रतिशत के विकास से अचानक बढ़ी। रोजाना औसत आधार पर सीएएसए में 14 प्रतिशत का विकास हुआ, जिसमें बचत बैंक जमा में सालाना 13 प्रतिशत और चालू खाता जमा में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रोजाना औसत आधार पर सीएएसए का अनुपात पिछली तिमाही के समान स्तर पर रहा और कुल जमा का 40 प्रतिशत रहा। सीएएसए और रिटेल टर्म डिपाजिट बीते वर्ष की समान अवधि के 78 प्रतिशत की तुलना में 31 दिसंबर 2015 को कुल जमा का 79 प्रतिशत रहे।
नेशनल
ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला
हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला
क्या है पूरा मामला ?
सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।
कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।
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