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प्रादेशिक

आयुर्वेदिक कॉलेजों को आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय से जोड़ा जाएगा: सीएम योगी

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लखनऊ। अयोध्या को ऐसी नगरी के रूप में विकसित करना है जिसको दुनिया देखती रह जाए। अयोध्या को जल्द ही अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट मिलने जा रहा है जिससे देश के कई देश सीधे यहां से जुड़ सकेंगे। इसके साथ ही अयोध्या को जलमार्ग से जोड़ने की भी तैयारी शुरू करनी होगी। जिससे अयोध्या का एक नया रूप देश और दुनिया के सामने आ सके। यह बातें अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक कालेज के शिलान्यास के साथ ही 500 हेल्थवेलनेस सेंटर और छह जनपदों में 50 शैय्या वाले आयुष अस्पताल की सौगात देने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी आयुर्वेदिक कालेजों को आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय से भी जोड़ने का काम किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि रामराज्य के लिए रामभक्तों की सरकार चाहिए। जनता को रामभक्तों पर गोली चलाने वाली सरकार नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त 2020 को भव्य राममंदिर के निर्माण का शुभारम्भ प्रधानमंत्री मोदी ने किया। अयोध्या हम सबकी आस्था की प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं अयोध्या को ऐसी नगरी के रूप में विकसित करके दुनिया में सबसे सुंदर नगरी बनाना है। लेकिन इसके लिए सबका साथ चाहिए तभी सबका विकास होगा। आज केन्द्र सरकार अयोध्या में एक आयुर्वेदिक कालेज दे रही है। अभी कुछ दिनों में प्रधानमंत्री अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का शिलान्यास करने जा रहे हैं। तब यहां से किसी भी देश की यात्रा की जा सकेगी।

उन्होंने कहा कि अयोध्या को जलमार्ग से जोड़ने की भी तैयारी होनी चाहिए। यह काम केन्द्रीय सरकार के जरिए करेगी। उन्होंने कहा कि अयोध्या का कोरिया से दो हजार वर्ष पुराना रिश्ता अयोध्या में कोरिया ने यहां एक स्मारक भी बनाया हुआ है। कहते हैं कि कोरिया की राजकुमारी रत्ना अयोध्या से जलमार्ग से होते हुए कोरिया से अयोध्या पहुंची थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार प्रदेश के सभी आयुर्वेदिक कालेज और इससे जुड़े कालेजों को एक विश्वविद्यालय से जोड़ने पर काम कर रहे हैं। इस आयुष के विश्वविद्यालय का शिलान्यास गोरखपुर में राष्ट्पति द्वारा किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि कुछ समय में आयुर्वेदिक चिकित्सा की मान्यता बढ़ी है। कोरोना काल में अब कोई चाय नहीं आयुष के काढ़ा को प्राथमिकता दे रहा है।
उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में अयोध्या से 50-50 शैय्या वाले एकीकृत आयुष चिकित्सालय एवं 500 आयुष-हेल्थ वेलनेस सेंटर्स का लोकार्पण एवं राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं चिकित्सालय, अयोध्या का शिलान्यास एवं जनपद उन्नाव, श्रावस्ती, गोरखपुर, हरदोई, संभल एवं मिर्जापुर में 50-50 शैय्या वाले एकीकृत आयुष चिकित्सालय लखनऊ, कानपुर, कानपुर देहात में एवं 250 राजकीय आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी/ आयुष-हेल्थ वेलनेस सेंटर्स का भी शिलान्यास किया गया है।

अयोध्या में श्रीराम सत्संग भवन का लोकार्पण

इसके पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम सत्संग भवन का लोकार्पण किया। यहां उन्होंने कहा कि अयोध्या में दीपोत्सव से एकजुटता और शांति का संदेश पूरे देश में दिया गया। 2019 से पहले अयोध्या में जब हम आते थे तो एक आवाज आती थी योगी जी एक काम करो मंदिर का निर्माण करो। हमारी सरकार ने जो भी कहा वह करके दिखाया। भगवान राम का मंदिर ऐसा भव्य बनेगा कि दुनिया देखती रह जाएगी। यहां आने वाले संतों और श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो इसके प्रयास सरकार लगातार कर रही है। इसी कड़ी में श्रीराम सत्संग भवन सभी श्रद्धालुओं को सुविधाएं प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने दुनिया में उन सबको अपने चपेट में ले रही है जो लापरवाही करेगा वह परेशानी में पड़ सकता है। लेकिन हमारी सरकार जीवन और जीविका को बचाने का काम कर रही है। हमने एक प्रोटोकाल बनाया है जिसमें दो गज की दूरी मास्क है जरूरी का पालन करें साथ ही वैक्सीन जरूर लगवाएं। केन्द्र और प्रदेश सरकार की कोरोना पर गाइडलाइन का सभी पालन करें जिससे कोरोना हारेगा और देश जीतेगा।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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