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बकरीद 2018 : यूपी के इस शहर में तनाव, कुर्बानी के बाद नदी में फेंके पुशओं के अवशेष

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बकरीद के दिन जानवर की कुर्बानी देने का रिवाज हैं। यह बात तो हम सभी जानते हैं, लेकिन यूपी के एक गांव में कुर्बानी के बाद अवशेषों को लेकर हंगामा हो गया हैं। दरअसल, यूपी में बिजनौर के गांव पाडली मांडू में पशु कुर्बानी के बाद अवशेषों को गागन नदी में फेंके जाने लोगों में गुस्सा भड़क हुआ हैं। घटना की सूचना ग्रामीणों ने एसडीएम और सीओ को दी। आरोप है कि पशुओं के अवशेषों को गांव में इर्द गिर्द ही फेंका जा रहा है।

धामपुर गांव के ओमकार सिंह का कहना – उन्होंने मंगलवार को एसडीएम आलोक कुमार यादव को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें अवगत कराया गया था कि उनके गांव के दूसरे समुदाय के लोग पशु कुर्बानी के बाद अवशेषों को नदी-नालों में फेंकते हैं, इससे गांव का माहौल खराब होता है। इस बात पर गांव के अन्य लोगों ने इनका साथ दिया।

ग्रामीणों का आरोप है कि कुर्बानी के बाद कुछ लोगों ने पशुओं के अवशेषों को गागन नदी में फेंकना शुरू किया तो इसकी सूचना एसडीएम, सीओ को दी, लेकिन कोई अधिकारी गांव में नहीं पहुंचा। काफी देर तक जब पुलिस गांव में नहीं पहुंची तो ग्रामीणों ने खुद ही दूसरे सुमदाय का विरोध किया। इसके बाद गांव के दूसरे रास्तों से निकल कर और अन्य स्थानों पर अवशेषों को फेंकना शुरू कर दिया। जिससे गांव में तनाव की स्थिति बनी है।

वहीं, दूसरे सुमदाय का कहना है उनके ऊपर लगाए जा रहे सभी आरोप गलत हैं। सीओ महावीर सिंह का कहना – ‘गांव में पुलिस को भेजा गया है। हिदायत दी है कि पशु कुर्बानी के बाद अवशेषों को गड्डा खोदकर ही दफन किया जाएगा। यदि किसी ने मनमाने तौर पर नदी, नालों या जंगलों में फेंकने का प्रयास किया तो कार्रवाई होगी।’

Image Copyright : Google

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बिहार का ‘उसैन बोल्ट’, 100 किलोमीटर तक लगातार दौड़ने वाला यह लड़का कौन

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चंपारण। बिहार का टार्जन आजकल खूब फेमस हो रहा है. बिहार के पश्चिम चंपारण के रहने वाले राजा यादव को लोगों ने बिहार टार्जन कहना शुरू कर दिया है. कारण है उनका लुक और बॉडी. 30 मार्च 2003 को बिहार के बगहा प्रखंड के पाकड़ गांव में जन्मे राज़ा यादव देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाना चाहते हैं.

लिहाजा दिन-रात एकक़र फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ रेसलिंग में जुटे हैं. राज़ा को कुश्ती विरासत में मिली है. दादा जगन्नाथ यादव पहलवान और पिता लालबाबू यादव से प्रेरित होकर राज़ा यादव ने सेना में भर्ती होने की कोशिश की. सफलता नहीं मिली तो अब इलाके के युवाओं के लिए फिटनेस आइकॉन बन गए हैं.

महज 22 साल की उम्र में राजा यादव ‘उसैन बोल्ट’ बन गए. संसाधनों की कमी राजा की राह में रोड़ा बन रहा है. राजा ने एनडीटीवी से कहा कि अगर उन्हें मौका और उचित प्रशिक्षण मिले तो वे पहलवानी में देश का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं. राजा ओलंपिक में गोल्ड मेडल लाने के लिए दिन रात मैदान में पसीना बहा रहे हैं. साथ ही अन्य युवाओं को भी पहलवानी के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

’10 साल से मेहनत कर रहा हूं. सरकार ध्यान दे’

राजा यादव ने कहा, “मेरा जो टारगेट है ओलंपिक में 100 मीटर का और मेरी जो काबिलियत है उसे परखा जाए. इसके लिए मैं 10 सालों से मेहनत करते आ रहा हूं तो सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. मेरे जैसे सैकड़ों लड़के गांव में पड़े हुए हैं. उन लोगों के लिए भी मांग रहा हूं कि उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुविधा मिले तो मेरी तरह और युवक उभर कर आएंगे.”

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