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उत्तर प्रदेश

भदोही: दुर्गा पंडाल में लगी आग, पांच की मौत; 64 से अधिक झुलसे

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भदोही

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भदोही (उप्र)। उप्र के भदोही के औराई कोतवाली से कुछ दूर स्थित एकता दुर्गा पूजा पंडाल में रविवार रात करीब आठ बजे आरती के समय आग लग गई। हादसे में एक बालक अंकुश सोनी (12) व महिला जयादेवी (45) समेत पांच की मौत हो गई और 64 से अधिक लोग झुलस गए।

झुलसने वालों में महिलाएं और बच्चे ज्यादा हैं। इन्हें सीएचसी व निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। यहां से 37 लोगों को वाराणसी रेफर कर दिया गया। इनमें 20 की हालत चिंताजनक है। हादसे की सूचना मिलते ही डीएम-एसपी व अन्य अधिकारी और दमकल टीम मौके पर पहुंच गई।

डीएम गौरांग राठी और एसपी डॉ. अनिल कुमार मौके पर बचाव कार्य की निगरानी करते और जरूरी निर्देश देते रहे। बाद में एडीजी जोन रामकुमार और विंध्याचल कमिश्नर योगेश्वर राम मिश्र भी पहुंचे। डीएम के मुताबिक, आशंका है कि शार्ट सर्किट से आग लगी है। दमकल टीम ने एक घंटे में आग पर काबू पाया। 150 से अधिक लोग मौजूद थे।

औराई-भदोही मार्ग पर स्थित पंडाल काफी आकर्षक ढंग से सजा था। रविवार शाम 150 से अधिक महिला-पुरुष यहां आरती में शामिल होकर जयकारे लगा रहे थे। पंडाल में डिजिटल शो भी चल रहा था। उसी दौरान पंडाल में बनी गुफा में आग लग गई और तेजी से फैल गई।

आग लगते ही मदद के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण भी पहुंच गए। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 52 एंबुलेंस लगाई गई। मृतक अंकुश गांव जेठूपुर औराई का रहने वाला था। वाराणसी में मंडलीय अस्पताल लाते वक्त 45 वर्षीय महिला जयादेवी की मौत हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, दो अन्य मृतकों में युवती और एक साल का बच्चा है।

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हादसे की जांच के लिए चार सदस्यीय एसआईटी बनाई गई है। टीम में अपर जिलाधिकारी (वित्त राजस्व), अपर पुलिस अधीक्षक, एक्सईएन हाईडिल और फायर सेफ्टी ऑफिसर शामिल हैं। घटना के कारण और लापरवाही के आरोपों की जांच होगी। दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने ली जानकारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलाधिकारी से हादसे के बारे में जानकारी ली और झुलसे लोगों के बेहतर इलाज का प्रबंध करने के लिए कहा। मुख्यमंत्री ने हादसे के तुरंत बाद राहत कार्य युद्धस्तर पर चलाने के निर्देश दिए।

अपनों को ढूंढती दिखीं आंखें

घर से दुर्गापूजा देखने की बात कहकर निकले जो बच्चे, बच्चियां या फिर परिजन घर नहीं पहुंचे थे। उनके परिवार के लोग घटनास्थल पर अपनों को ढूंढ़ते दिखे। कभी इस हॉस्पिटल तो कभी उस हॉस्पिटल में पहुंच कर अपनों के बारे में जानने का प्रयास करते और हर किसी से उनके बारे में पूछते दिखे।

औराई के दुर्गा पूजा पंडाल की घटना ने हर किसी को झकझोर दिया। शाम करीब आठ बजे जैसे आग लगी तो किसी को कुछ समझ में नहीं आया। करीब 20 मिनट बाद दमकल के वाहन मौके पर पहुंचे लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका। सूचना पर भदोही और ज्ञानुपर से भी दमकल की गाड़ियां पहुंची।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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