उत्तर प्रदेश
उप्र निकाय चुनाव में करीब 200 सीटों पर भाजपा ने मुस्लिम चेहरों को दिया मौका
लखनऊ। उप्र नगर निकाय चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इस बार भाजपा ने बड़े पैमाने पर मुस्लिमों को भी टिकट दिया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो नगर निगम पार्षद और नगर पालिका की करीब 200 सीटों पर मुस्लिम चेहरों को मौका दिया गया है।
रामपुर जिले में भाजपा ने दो मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। टांडा नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष पद पर मेहनाज जहां और रामपुर नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष पद पर डॉ. मुसरेत मुजीब को प्रत्याशी बनाया है। इसी तरह आजमगढ़ की मुबारकपुर से तमन्ना बानो और बदायूं जिले की ककराला पालिका अध्यक्ष पद पर मरगून अहमद खां को टिकट दिया है।
बिजनौर जिले की अफजलगढ़ नगर पालिका परिषद में खतीजा को प्रत्याशी बनाया है। इस तरह कुल पांच पालिकाओं में मुसलमानों को टिकट दिया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में पार्षद के उम्मीदवार भी मुस्लिम हैं। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में ऐसा भी हुआ कि भाजपा को मुस्लिम चेहरे नहीं मिल पाए।
लखनऊ में दो मुस्लिम चेहरों को मौका
सूबे की राजधानी लखनऊ से भाजपा ने दो मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी ने कल्बे आबिद से कौसर मेंहदी शम्सी आजाद और हुसैनाबाद से लुबना अली खान को टिकट दिया है।
बरेली में पार्षद के नौ उम्मीदवार मुस्लिम
बरेली में 80 में से नौ सीटों पर भाजपा ने मुस्लिम चेहरों को मौका दिया है। ये मुस्लिम आबादी वाली सीटें हैं। पिछली बार भाजपा ने ऐसी सात सीटों पर टिकट ही नहीं दिया था, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक थी। इस बार भाजपा ने नौ मुस्लिम प्रत्याशी भी मैदान में उतारे हैं। यानि सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं।
वार्ड प्रत्याशी
फरीदपुर साजिद हुसैन
शाहबाद जुनैद अली खान
नई बस्ती फिजा अली
विढौलिया सलीम खान
ढेर शेख मिट्ठू फजल काजिमी
एजाज नगर अफरोज जहां
इंग्लिश गंज शाहरुख खान
सूफी टोला शबीना बी कुरैशी
चक महमूद नगर खुर्शीदा बेगम
अलीगढ़ में सबसे ज्यादा 18 मुस्लिम उम्मीदवार
भाजपा ने अलीगढ़ में सबसे ज्यादा 18 मुस्लिम चेहरों को उम्मीदवार बनाया है। ये इलाके मुस्लिम आबादी वाले हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछली बार इनमें से ज्यादातर सीटों पर भाजपा ने कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा किया था।
वार्ड प्रत्याशी
मकदूम नगर सद्दीक मोहम्मद
बदरबाग सरफराज अनवर
नग्ला आशिक गली राजुद्दीन ठेकेदार
दोदपुर महरोज अहमद गाजी
जाकिर नगर जाहिदा बेगम
मौलाना आजाद नगर नूर बानो
एडीए शांति निकेतन कॉलोनी मो. इमरान
उस्मान पांड़ा शकिव बेग
टनटनपाडा मोहम्मद अनवर
केलानगर यामीन
शाहजमाल जौहर बेगम
हमदर्द नगर बाबर अली खान
भुजपुरा हाजी अनवार अहमद
बादाम नगर साजदा
सुपुर कॉलोनी रूस्तम कसगर
बनियापाडा बदरून
तेली पाडा सलमा
नगला पटवारी बबली
कानपुर में 11 मुस्लिम चेहरे
भाजपा ने पहली बार कानपुर में भी पार्षद के पद जीतने के लिए मुस्लिम कार्ड खेला है। रविवार को जारी हुई सूची में भाजपा ने 11 मुस्लिम चेहरों को उम्मीदवार बनाया है। जिसमें छह महिलाएं शामिल है। इतना ही नहीं चुनाव मैदान में कई पुराने चेहरों को भी फिर से चुनावी मैदान में उतारा गया है।
वार्ड प्रत्याशी
जाजमउ दक्षिणी एजाज अहमद
दलेलपुरवा नजमा बेगम
जाजमउ राबिया खातून
बेकनगंज गुलनाज जहां अंसारीख
चंदारी मासूमा खातून
बेगमपुरवा रफत नाज
बाबूपुरवा मो. फैसल अयूबी
चमनगंज मीनू खान
तलाकमोहाल रईस बापू मंसूरी
नाजिरबागज गुफरान अहमद
कर्नलगंज नासिर मूसा
ये भी हैं भाजपा के मुस्लिम प्रत्याशी
शाहजहांपुर में भाजपा ने 60 में से एक सीट पर मुस्लिम चेहरे को मौका दिया है। किला वार्ड से कहकशां को प्रत्याशी बनाया गया है।
प्रयागराज में तीन वार्ड में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। दायराशाह अजमल से जैनब बानो, गुरु तेग बहादुर नगर से सीमा बेगम और अटाला से बिलाल अहमद को प्रत्याशी बनाया गया है।
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र यानी वाराणसी में भी भाजपा ने तीन क्षेत्रों से मुस्लिम चेहरों को मौका दिया है। जमालुद्दीन्पुरा से अहमद अंसारी, बधू कच्ची बाग से रेशमा बीबी और मदनपुरा से हुमा बानो को मैदान में उतारा गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर से भी भाजपा ने मुस्लिम उम्मीदवार पर भरोसा जताया है। हकीबुलन्निशा को बाबा गंभीरनाथ नगर से प्रत्याशी बनाया गया है।
झांसी के मुकरयाना से रुबीना को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। झांसी में रूबीना भाजपा की एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी हैं।
फिरोजाबाद के वार्ड संख्या 62 से भाजपा ने मुस्लिम चेहरे पर भरोसा जताया है। यहां से मोहम्मद मुबीम अंसारी को टिकट दिया गया है।
गाजियाबाद के वार्ड नंबर 90 से अनिश सैफी, 92 से शहला नदीम, 93 से सितारा को टिकट दिया है।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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