उत्तर प्रदेश
मुख्यमंत्री ने दुष्कर्म पीड़िता की मां को दिया भरोसा, बख्शे नहीं जाएंगे दरिंदे
लखनऊ/अयोध्या। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या की दुष्कर्म पीड़िता बच्ची की मां को आश्वस्त किया है कि उन्हें न्याय दिलाने के लिए सरकार उनके साथ खड़ी है। बच्ची के साथ दरिंदगी करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा उनपर कठोरतम कार्रवाई होगी। शुक्रवार को दुष्कर्म पीड़ित बच्ची की मां ने मुख्यमंत्री से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। सीएम से मिलने के बाद पीड़िता की मां ने मीडिया को बताया कि उनकी बच्ची के साथ दरिंदगी करने वालों के लिए उन्होंने सरकार से फांसी की सजा की मांग की है, इसपर मुख्यमंत्री जी ने भी आश्वस्त किया है कि बच्ची को हर कीमत पर न्याय दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। बच्ची की मां ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस बात को लेकर भी आश्वस्त किया है कि आरोपित सपा नेता मोईन खान की संपत्तियों की जांच कराई जाएगी और अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलेगा। मुख्यमंत्री आवास पर शुक्रवार को पीड़िता की मां से सीएम योगी की मुलाकात के दौरान बीकापुर के विधायक अमित सिंह चौहान भी मौजूद रहे।
सपा सांसद का करीबी है आरोपित मोईन खान
बता दें कि अयोध्या के पूरा कलंदर थानाक्षेत्र में घटी शर्मनाक घटना में पिछड़ा वर्ग की 12 वर्षीय बच्ची के साथ सपा नेता मोईन खान और उसके नौकर पर दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग का आरोप है। आरोपित मोईन खान फैजाबाद से सपा सांसद अवधेश प्रसाद का करीबी बताया जाता है। एक दिन पहले ही सीएम योगी ने विधानसभा में इस मामले पर बोलते हुए गहरी नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने इस मामले में समाजवादी पार्टी की ओर से आरोपितों को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर रखने के लिए सपा नेताओं की कड़े शब्दों में भर्त्सना की थी।
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य को बच्ची से मिलने भेजा
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को पीड़ित बच्ची की मां से मिलने के बाद अधिकारियों को निर्देशित किया है कि बच्ची के स्वास्थ्य और उसकी सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंधन किये जाएं। सीएम योगी ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य अनीता अग्रवाल को अयोध्या जिला महिला चिकित्सालय में दुष्कर्म पीड़ित बालिका से मुलाकात करने के निर्देश भी दिये। वहीं अयोध्या पहुंचीं आयोग की सदस्य ने पीड़ित बच्ची का हाल-चाल जाना तथा उसके परिजनों से विशेष मुलाकात करते हुए उनको न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में 12 वर्षीय की बालिका के साथ दरिंदगी निंदनीय घटना है। परिजनों द्वारा अवगत कराया गया है की बच्ची अक्सर खेतों में काम करने जाती थी। बहला फुसला कर उसके साथ हैवानियत की गई है। दरिंदों को कड़ी से कड़ी सजा मिले, इसके लिए आरोपितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो रही है। इसको लेकर जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा भी हमें आश्वस्त किया गया है।
सदन में सपा की हो चुकी है फजीहत
महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। एक दिन पहले ही महिला संबंधी अपराध के मामलों पर भी सीएम ने समाजवादियों को आईना भी दिखाया था। सपा सरकार के दौरान जहां दुष्कर्मियों का यह कहकर बचाव किया जाता था, कि लड़के हैं, लड़कों से गलतियां हो जाती हैं, वहीं इस मामले में योगी सरकार की कठोर नीतियों का ही प्रतिफल है कि प्रदेश में महिला अपराधों में अप्रत्याशित कमी दर्ज की गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में दहेज मृत्यु दर में 17.43, बलात्कार में 25.30, शीलभंग में 16.56, अपहरण में 0.17 फीसदी की कमी आई है। महिलाओं के विरुद्ध घटित अपराधों में राष्ट्रीय औसत पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में 2017 से 2022 तक महिलाओं के प्रति अपराध बहुत कम हुए हैं। 2017 से 2022 में यूपी के सापेक्ष तेलंगाना, उड़ीसा, राजस्थान, पं. बंगाल, महाराष्ट्र में अपराध अधिक बढ़े थे। बलात्कार के मामले में इस दौरान छत्तीसगढ़, केरल, राजस्थान व झारखंड में यूपी से अधिक अपराध घटित हुए थे। यूपी का इसमें 24वां स्थान है। शील भंग में यूपी का 17वें स्थान पर है यानी 16 राज्यों में यूपी से अधिक महिला संबंधित अपराध हुए हैं।
बच्ची की सुरक्षा का रखा जाएगा विशेष ध्यान
आयोग की सदस्य अनीता अग्रवाल ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया की सर्वप्रथम पीड़िता को जनरल वार्ड से प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया जाए तथा किसी भी अनजान व्यक्ति को उससे मिलने ना दिया जाए। उन्होंने जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से कहा कि पीड़िता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला चिकित्सालय एवं उसके आवास पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएं। उन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारी को निर्देश दिया कि बच्ची का बैंक में खाता खोलकर उसको शासन द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलवाया जाए। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य ने इस संबंध में जिला स्तरीय अधिकारियों से मुलाकात करते हुए स्थिति की समीक्षा की और कहा कि यह बहुत ही शर्मनाक घटना है, जिसका मुख्यमंत्री जी द्वारा स्वयं संज्ञान लेते हुए पीड़िता की मां को मुलाकात करने के लिए बुलाया गया है तथा जांच करने के लिए मुझे तत्काल यहां भेजा गया है।
उत्तर प्रदेश
योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच
लखनऊ | योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।
कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान
राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।
हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश
टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।
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