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उत्तर प्रदेश

शारदीय नवरात्रि में जल्द ही मिशन शक्ति के पांचवें चरण का शुभारंभ कर सकते हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार अपने विजन को प्रदेश में ‘मिशन शक्ति’ के रूप में आगे बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मिशन को और अधिक प्रभावी बनाने और महिलाओं को और अधिक सशक्त करने के लिए शारदीय नवरात्रि में इसके पांचवें चरण की शुरुआत करने जा रहे हैं। मिशन शक्ति के पांचवें चरण के तहत व्यापक पैमाने पर गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है जो कि दिसंबर माह तक चलेगा। इन कार्यक्रमों में महिलाओं के साथ-साथ बच्चों को भी सम्मिलित किया गया है। कार्यक्रमों की इस शृंखला में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, ऑपरेशन मुक्ति, बाल कार्निवाल, वीरांगना दिवस, स्वावलंबन कैंप समेत कई कार्यक्रम शामिल हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य प्रदेश में संचालित विभिन्न योजनाओं और सेवाओं के प्रति जागरूकता लाने के साथ-साथ उन्हें इससे लाभान्वित करना भी है।

11 अक्टूबर तक चलाया जाएगा अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस समारोह

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आगामी मिशन शक्ति अभियान के अंतर्गत अक्तूबर से दिसंबर तक जो गतिविधियां संचालित की जानी हैं, उसके अनुसार 11 अक्टूबर तक अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लैंगिक समानता पर सेमिनार के साथ ही सफल महिलाओं के साथ टॉक शो, एक दिन की सांकेतिक जिलाधिकारी, कन्या जन्मोत्सव, बाल विवाह, संवाद, घरेलू हिंसा व कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न, अनंता जैसे विषयों पर जागरूकता का संदेश दिया जाएगा। 11 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन होगा, जिसमें प्रत्येक आंगनबाड़ी तथा राजकीय बालिका/शिशु गृहों में विशेष कन्या पूजन व उनके लिए प्रसाद ग्रहण का आयोजन किया जाएगा।

बाल विवाह और बाल श्रम के विरुद्ध चलेगा ‘ऑपरेशन मुक्ति’

इसी माह 21 से 31 अक्तूबर तक ऑपरेशन मुक्ति अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत बाल विवाह तथा बाल श्रम के विरुद्ध सप्ताह भर जागरूकता एवं रेस्क्यू के लिए वृहद अभियान चलेगा। इस दौरान विभागों एवं प्राधिकारियों के बीच समन्वय के साथ कार्य करते हुए बाल विवाह या बाल श्रम के प्रकरणों में बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए ऑपरेशन को संचालित किया जाएगा। रेस्क्यू किए गए सभी बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कर उन्हें उत्तर प्रदेश बाल सेवा योजना से जोड़ा जाएगा।

‘बाल कार्निवाल’ में बच्चों के हुनर को मिलेगी पहचान

10 से 14 नवंबर के बीच बाल कार्निवाल का आयोजन किया जाएगा। इसमें योग व मेडिटेशन के अतिरिक्त बच्चों द्वारा महापुरुषों के जीवन पर आधारित नाटक एवं ड्रामा का प्रदर्शन होगा। साथ ही खेलकूद प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी, जबकि नृत्य गायन प्रतियोगिताओं के साथ-साथ पेंटिंग प्रतियोगिता कराई जाएगी। 14 नवंबर को बाल दिवस के उपलक्ष्य में कार्निवाल समापन समारोह में बच्चों द्वारा तैयार किए गए विभिन्न कार्यक्रमों जैसे म्यूजिक, गीत, गान, नाटक आदि का आयोजन, व्यवसायिक शिक्षा, कौशल विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत बच्चों द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। प्रतियोगिताों में फर्स्ट, सेकेंड और थर्ड आने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।

वीरांगनाओं को समर्पित होगा ‘वीरांगना दिवस’

19 नवंबर से प्रदेश के समस्त जनपदों में भव्य समारोह का आयोजन करते हुए वीरांगना दिवस पर समाज में बदलाव के लिए प्रयासरत महिलाओं की प्रेरक कहानियों को जनपद स्तर पर विभिन्न माध्यमों से जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। इस दौरान ऐसी वीरांगनाओं को सम्मानित किया जाएगा, जिससे ये महिलाएं समाज में अन्य बालिकाओं तथा महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन सकें। साथ ही प्रदेश में संचालित सभी बाल देखरेख संस्थाओं, महिला आश्रय गृहों में भी झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर नुक्कड़ नाटक या स्टोरी टेलिंग सत्र का आयोजन कराया जाएगा। इसके अलावा 20 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस पर संस्थाओं में बाल अधिकारों पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। राज्य स्तर पर कौशल विकास में शामिल बच्चों पर आधारित हैंडबुक, कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया जाएगा।

महिला स्वावलंबन के लिए चलेगा ‘स्वावलंबन कैंप’

30 नवंबर से स्वावलंबन कैंप की शुरुआत होगी। इसमें केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं (मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, निराश्रित महिला पेंशन, स्पॉन्सरशिप योजना) से लाभान्वित किए जा सकने वाले परिवारों, महिलाओं तथा बच्चों के आवेदनों की समस्त कार्यवाही इन वन विंडो कैंपस के माध्यम से पूरी की जाएगी। कार्यक्रम के दौरान महिलाओं के संबंध में संचालित योजनाओं का प्रचार प्रसार व महिलाओं एवं बालिकाओं को संरक्षण प्रदान करने वाले प्रमुख कानूनों व प्रावधानों के बारे में आमजन को जागरूक किया जाएगा। इसी तरह, 4 दिसंबर को समस्त जनपदों में कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के अंतर्गत गठित स्थानीय व आंतरिक परिवाद समितियों का प्रशिक्षण कराया जाएगा।

हक की बात जिलाधिकारी के साथ

6 दिसंबर को जनपद स्तर पर यौन हिंसा, लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, कार्यस्थर पर लैंगिक उत्पीड़न तथा दहेजा हिंसा आदि की पीड़ित महिलाओं के संरक्षण, सुरक्षा तंत्र, सुझावों तथा सहायता के लिए जिलाधिकारी के साथ 2 घंटे के पारस्परिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसके अलावा, 10 दिसंबर को प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर महिला एवं बाल सभाओं का आयोजन तथा महिलाओं तथा बच्चों से संबंधित संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा होगी। वहीं 16 दिसंबर को प्रदेश के समस्त वन स्टॉप केंद्रों पर जन प्रतिनिधियों के साथ विभागीय योजनाओं तथा कार्यक्रमों पर चर्चा की जाएगी। यही नहीं, प्रदेश में पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत पीड़ित बच्चों मुख्य रूप से बालिकाओं को कानूनी प्रक्रिया के दौरान समर्थन देने के लिए लगभग 300 सहायक व्यक्तियों का आवासीय प्रशिक्षण भी कराया जाएगा।

आकस्मिक सहायता के लिए संचालित सेवाओं के प्रति किया जाएगा जागरूक

कार्ययोजना के सुगम संचालन के लिए अतिरिक्त दिशा निर्देश भी दिए गए हैं। इसके तहत मिशन के दौरान महिलाओं तथा बच्चों को आकस्मिक सहायता प्रदान करने के लिए संचालित 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन, 181 महिला हेल्पलाइन, 1090 विमन पावरलाइन, 112 पुलिस सहायता व महिलाओं तथा बालिकाओं को एक ही छत के नीचे रेस्क्यू, आश्रय, विधिक/पुलिस परामर्श तथा चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के सभी जनपदों में संचालित वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर तथा अन्य योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। समस्त जनपदों को निर्देशित किया गया है कि अब तक के चरणों में जिन क्षेत्रों में नहीं पहुंच सके हैं, वहां भी ग्राम सभाओं, क्षेत्रों के अधिक से अधिक परिवारों को योजना से लाभान्वित किया जाए।

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उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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