प्रादेशिक
मुख्यमंत्री योगी का निर्देश, ड्रग्स के अवैध कारोबार के खिलाफ तेज होगा अभियान
● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंगलवार को एनकॉर्ड राज्य स्तरीय समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में भारत सरकार व राज्य सरकार के अनेक अधिकारियों की सहभागिता रही। विशेष बैठक में मुख्यमंत्री जी द्वारा दिए गए प्रमुख दिशा-निर्देश…
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● मादक पदार्थों की तस्करी की समस्या किसी एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि एक व्यापक समस्या है और इससे निपटने के प्रयास भी एकीकृत होने चाहिए। प्रवर्तन से जुड़े सभी बल एकजुट होकर इस दिशा में कार्यवाही करें। हमें ड्रग्स के सोर्स की पड़ताल, उसके नेटवर्क की समाप्ति, दोषियों की गिरफ्तारी और नशा करने वालों के पुनर्वास के बहुआयामी प्रयास करने होंगे।
● प्रदेश में मादक पदार्थों के अवैध निर्माण, खरीद-फ़रोख़्त और ड्रग ट्रैफिकिंग के विरुद्ध अभियान को और तेज करने की आवश्यकता है। पुख्ता इंटेलिजेंस इकट्ठा करें, बेहतर कार्ययोजना तैयार करें और फिर पूरी तैयारी के साथ बड़ी कार्रवाई करें। जो भी व्यक्ति ऐसे असामाजिक कार्य में संलिप्त पाए जाएं, उनके खिलाफ कुर्की सहित कठोरतम कार्रवाई की जाए। ड्रग माफिया के पूरे नेटवर्क के खात्मा किया जाना आवश्यक है।
● संवेदनशील जिलों में सतर्कता और इंटेलिजेंस को और बेहतर करना होगा। अंतरराज्यीय व अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चौकसी बढ़ाई जाए। गृह विभाग के साथ-साथ नगर विकास व ग्राम्य विकास विभाग को भी इस अभियान में सहयोग करना होगा। बेहतर समन्वय के साथ ड्रग माफिया के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
● नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, भारत सरकार (एनसीबी) द्वारा गोरखपुर में नया ज़ोन मुख्यालय बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। मुख्यालय के भवन के लिए आवश्यक भूमि आदि संसाधनों की उपलब्धता प्रदेश सरकार द्वारा कराई जाए। एनसीबी का यह प्रयास प्रदेश में नशे के अवैध कारोबार की समाप्ति में हमारा बड़ा सहयोगी होगा।
● ड्रग ट्रैफिकिंग के अवैध कारोबार में संलिप्त लोग समाज के दुश्मन हैं। यह मानवता के अपराधी हैं। ऐसे मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए। एनडीपीएस के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जानी जरूरी है, ताकि अपराधियों को शीघ्र सजा मिले। एनडीपीएस अधिनियम के तहत सर्वाधिक लंबित मुक़दमों वाले जिलों में विशेष न्यायालय का गठन किया जाना चाहिए। इस संबंध में शासन स्तर से आवश्यक कार्यवाही की जाए।
● प्रदेश में ड्रग ट्रैफिकिंग के विरुद्ध सुनियोजित और प्रभावी कार्यवाही के लिए विगत वर्ष महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सरकार द्वारा अगस्त 2022 में ‘एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स’ का गठन किया गया है। एएनटीएफ के पास सर्च, जब्ती, गिरफ्तारी, कुर्की, अभिरक्षा, विवेचना जैसे सभी जरूरी अधिकार हैं। यह हर्ष का विषय है कि एएनटीएफ प्रमुखों के राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तर प्रदेश की व्यवस्था को आदर्श मानकर इसे अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय माना गया। एएनटीएफ की आवश्यकता के अनुरूप सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
● एएनटीएफ में अवस्थापना सुविधाओं को विस्तार देते हुए वर्तमान में गोरखपुर, मेरठ और बाराबंकी में एएनटीएफ थाने स्थापित किए गए हैं। जबकि 05 ऑपरेशनल यूनिट क्रियाशील हैं। अब अगले चरण में झांसी, सहारनपुर और गाजीपुर में भी थाने क्रियाशील किए जाएं।
● मादक पदार्थों के अवैध क्रय, विक्रय, उपयोग आदि पर प्रभावी लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। वर्ष 2020 में 11400 से अधिक अपराधियों की गिरफ्तारी हुई, जबकि वर्ष 2021 और 2022 में क्रमशः 11749 और 11595 लोगों की गिरफ्तारी हुई। अकेले एएनटीएफ द्वारा 26 मामलों में 64 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, जबकि 27 करोड़ 43 लाख के अवैध मादक पदार्थ जब्त किए गए हैं।
● मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए भारत सरकार के एनकॉर्ड पोर्टल और निदान प्लेटफॉर्म का समुचित उपयोग करना चाहिए। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स को और मजबूत बनाया जाए, ताकि मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक कार्रवाई की जा सके।
● भारत सरकार की मंशा के अनुरूप जिला-स्तरीय और राज्य-स्तरीय एनकॉर्ड की बैठकें नियमित अन्तराल पर की जाएं। हैं। यह बैठक प्रत्येक दशा में हर माह होनी चाहिए। कतिपय जिलों में बैठक में देरी की सूचना है। प्रमुख सचिव गृह और स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था द्वारा इन जिलों की समीक्षा की जाएगी।
● ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई सिर्फ किसी एक सरकार की लड़ाई नहीं जन-जन की लड़ाई है। नशे के खिलाफ लड़ाई को जन आंदोलन बनाना होगा। इस वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती (25 सितंबर) से महात्मा गांधी जी की जयंती (02 अक्टूबर) तक नशा मुक्ति विषयक प्रदेशव्यापी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी करें।
● शिक्षण संस्थानों में नशा मुक्ति के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए और बेहतर कार्य किया जाना चाहिए। नशा छोड़ चुके लोगों के अनुभवों के वीडियो प्रसारित किए जाएं। उच्च शिक्षण संस्थानों में जागरूकता सामग्री का वितरण कराया जाए, कॉन्फ्रेंस के आयोजन भी होने चाहिए। अवकाश के दिनों में शिक्षकों का प्रशिक्षण भी कराया जाए।
● नशे के आदी लोगों को नशामुक्ति की राह दिखाकर नया जीवन देते हुए उनके पुनर्वास की दिशा में वाराणसी में ‘अपना घर’ जैसे स्वयंसेवी/गैर सरकारी संस्थाओं ने प्रेरक कार्य किया है।सभी जिलों में ऐसे गैर सरकारी संस्थाओं, धार्मिक संस्थाओं को प्रोत्साहित किया करना होगा। प्रथम चरण में सभी मंडल मुख्यालयों पर ऐसे पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की तैयारी की जाए।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन
महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।
महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।
महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान
महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।
प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम
दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।
महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार
महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।
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