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CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- अस्थायी था आर्टिकल 370 और ट्रांजिशन के लिए ही था
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी 11 दिसबंर को फैसला सुना रही है। इस अनुच्छेद के जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था।
देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की पीठ ने सुबह 11 बजे ही इस मामले में फैसला पढ़ना शुरू किया। इस पीठ में CJI के अलावा, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत हैं। गौरतलब है कि सितंबर माह में लगातार 16 दिनों तक सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट में पहुंचे सभी 5 जज
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सभी 5 जज पहुंच चुके हैं। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ अपना जजमेंट पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में 3 जजमेंट आएगा। CJI चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि आर्टिकल 370 अस्थायी था।
उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 में साफ कहा गया था कि ये अस्थायी था और ट्रांजिशन के लिए था।
राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी। यह भी संकेत मिलता है कि यह एक अस्थायी प्रावधान है। सीमांत नोट कहता है कि यह अस्थायी और क्षणभंगुर है। अनुच्छेद 370 (3) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना जारी करने की शक्ति है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता पर चीफ जस्टिस का फैसला
चीफ जस्टिस ने केंद्र की तरफ से लिया गया हर फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र के फैसले से किसी तरह की मुश्किल की बात हो तब इसे चुनौती दी जा सकती है।
CJI ने कहा कि आर्टिकल 356 के बाद केंद्र केवल संसद के द्वारा कानून ही बना सकता है, ऐसा कहना सही नहीं होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने जब भारत में शामिल हुआ तो उसकी संप्रभुता नहीं रह जाती है।
सभी जज एकमत से दे रहे हैं फैसला
तीन जज जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस गवई और चीफ जस्टिस साथ में जजमेंट लिखा है। बाकी दो जजों ने अलग-अलग लिखा है फैसला। हालांकि सभी जज एकमत से दे रहे हैं फैसला। कोर्ट ने कहा कि प्रेसिडेंशियल प्रोक्लेमेशन वैध था या नहीं इसपर हम विचार ही नहीं कर रहे हैं क्योंकि इसे किसी ने चुनौती नहीं दी थी।
गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को 2019 में एक संविधान पीठ को भेजा गया था। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के चलते पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।
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महाराष्ट्र सरकार ने 12 आईएएस अधिकारियों का किया तबादला
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को 12 आईएएस अधिकारियों का तबादला किया। इसके तहत आईएएस अधिकारी अंबलगन पी को उद्योग सचिव और हर्षदीप कांबले को मुंबई नागरिक परिवहन उपक्रम (BEST) का महाप्रबंधक बनाया गया है। इसी तरह कुल 12 आईएएस अधिकारियों के तबादले किये हैं। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 1990 बैच के आईएएस अधिकारी अनिल दिग्गिकर, जो BEST महाप्रबंधक (जीएम) थे, उनको मुंबई में दिव्यांग कल्याण विभाग, मंत्रालय (राज्य सचिवालय) में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में तैनात किया गया है। वर्ष 1997 बैच के अधिकारी हर्षदीप कांबले बीईएसटी में दिग्गिकर का स्थान लेंगे। इससे पहले कांबले उद्योग, ऊर्जा और श्रम विभाग के प्रमुख सचिव (उद्योग) थे।
इन अधिकारियों का भी तबादला
बयान के अनुसार, संयुक्त आयुक्त (राज्य कर) वनमती सी को वर्धा में कार्डिले के स्थान पर भेजा गया है। चंद्रपुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) संजय पवार वनमती का स्थान लेंगे। नागपुर के आयुक्त (कपड़ा) अविश्यंत पांडा गढ़चिरौली जिला के नये कलेक्टर होंगे। इसमें बताया गया कि विवेक जॉनसन (वर्ष 2018 बैच) चंद्रपुर में पवार की जगह लेंगे। पुणे मंडल के उपायुक्त (राजस्व) अन्नासाहेब दादू चव्हाण को मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां वह महात्मा फुले जियावंदई आरोग्य योजना सोसाइटी के सीईओ का पद संभालेंगे। बयान में कहा गया है कि गोपीचंद मुरलीधर कदम (राज्य सिविल सेवा से आईएएस कैडर में पदोन्नत) को सोलापुर में स्मार्ट सिटी के सीईओ के रूप में तैनात किया गया है।
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