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प्रादेशिक

यूपी में टीकाकरण 13 करोड़ के पार, देश में सर्वाधिक वैक्सीनेशन करने वाला बना पहला राज्य

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लखनऊ। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने शुक्रवार को प्रदेश में टीकाकरण की रफ्तार को तेजी से बढ़ाने के निर्देश देते हुए 15 दिसंबर तक प्रदेश के सौ फीसदी (18 से ऊपर आयु वाले) लोगों को टीके की डोज दिए जाने के आदेश अधिकारियों को दिए हैं। दूसरे देशों में एक बार फिर से बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच प्रदेशवासियों को टीका कवच देने के लिए संकल्पित प्रदेश सरकार जल्‍द से जल्‍द लोगों के टीकाकरण की प्रक्रिया को एक बार फिर से रफ्तार देने जा रही है। उत्‍तर प्रदेश ने देश के दूसरे प्रदेशों के मुकाबले अब तक सबसे अधिक टीकाकरण कर कीर्तिमान स्‍थापित किया है। अब तक यूपी में 13 करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। देश में दूसरे प्रदेशों की अपेक्षा सबसे अधिक टीकाकरण करने वाला राज्य यूपी है।

24 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर प्रदेश में पूरी तौर पर नियंत्रण में है जिसकी गवाही रोजाना कम होते आंकड़े दे रहे हैं। प्रदेश में कोरोना एक्टिव केस की संख्या अब 100 से कम है। बीते 24 घंटों में सक्रिय केसों की संख्‍या 98 है तो वहीं 40 जिलों में एक भी एक्टिव केस की पुष्टि नहीं हुई। 24 घंटों में 01 लाख 80 हजार से अधिक टेस्टिंग में यूपी के 07 जिलों में 08 नए संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई, जबकि इस दौरान 12 मरीजों ने कोरोना को मात दी है। अब तक 16 लाख 87 हजार 135 प्रदेशवासी कोरोना संक्रमण को मात दे चुके हैं।

यूपी में एक नवंबर से होगी क्लस्टर मॉडल 2.0 की शुरूआत

सीएम के निर्देशानुसार टीकाकरण के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए एक बार फिर से एक नवंबर से प्रदेश सरकार क्लस्टर अप्रोच 2.0 की शुरूआत करने जा रही है। प्रदेश में दूसरी डोज वैक्सीनेशन को वरीयता देते हुए शत-प्रतिशत टीकाकरण किया जाएगा। क्लस्टर मॉडल के जरिए जिन ग्रामों, मोहल्लों में प्रथम डोज लगाने का कार्य सफलतापूर्वक किया गया था उन ग्रामों में क्लस्टर मॉडल के तहत दूसरी डोज को लगाने का काम किया जाएगा। टीकाकरण की दोनों डोज के निर्धारित लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए अब ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ब्लाक स्तर पर सहभागी संस्थाओं (डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ समेत अन्‍य) के सहयोग से ग्रामों को वरीयता देते हुए क्लस्टर मॉडल कार्ययोजना बनाई जाएगी।

महाराष्‍ट्र के झूठे दावे, यूपी बना रहा कीर्तिमान

24 करोड़ के आबादी वाले उत्तर प्रदेश से देश के दूसरे प्रदेश टीकाकरण में कहीं पीछे हैं। पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों में जहां कम आबादी होने के बावजूद टीकाकरण धीमी गति से चल रहा वहीं यूपी लगातार रिकॉर्ड बना रहा है। यूपी से आधी आबादी वाले महाराष्‍ट्र में अब तक 09 करोड़ 74 लाख टीकाकरण किया जा चुका है जिसमें 06 करोड़ 67 को पहली डोज, 03 करोड़ को दूसरी डोज दी जा चुकी है। इसके इतर यूपी टीकाकरण में महाराष्‍ट्र की तुलना में उससे कहीं आगे है। एक ओर सोशल मीडिया पर महाराष्‍ट्र सरकार ने टीकाकरण की दूसरी डोज को लेकर किए गए झूठे दावे के बाद अपने ट्वीट को डिलीट करना पड़ा था वहीं यूपी में योगी सरकार जो कहा वो किया के संकल्‍प को पूरा कर रही है।

उत्तर प्रदेश

प्रयागराज में स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम, जिनके श्राप के कारण हुआ था समुद्र मंथन

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 महाकुम्भ। सनातन संस्कृति में तीर्थराज, प्रयागराज को यज्ञ और तप की भूमि के रूप में जाना जाता है। वैदिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रयागराज में अनेक देवी, देवताओं और ऋषि-मुनियों ने यज्ञ और तप किये हैं। उनमें से ही एक है ऋषि अत्रि और माता अनसूईया के पुत्र महर्षि दुर्वासा। महर्षि दुर्वासा को पौरिणक कथाओं में उनके क्रोध और श्राप के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवता शक्तिहीन हो गये थे। तब देवताओं ने भगवान विष्णु के कहने पर असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। महर्षि दुर्वासा की तपस्थली प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है। मान्यता है कि अपने क्रोध के कारण ही महर्षि दुर्वासा को प्रयागराज में शिव जी की तपस्या करनी पड़ी थी।

महर्षि दुर्वासा के श्रापवश देवताओं को करना पड़ा था समुद्र मंथन

पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन में निकली अमृत की बूंद गिरने के कारण ही प्रयागराज में महाकुम्भ का पर्व मनाया जाता है। पुराणों में समुद्र मंथन की कई कथाएं प्रचलित हैं, उनमें से एक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण ही देवताओं को असुरों के साथ मिल कर समुद्र मंथन करना पड़ा था। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र, हाथी पर बैठ कर भ्रमण कर रहे थे, महर्षि दुर्वासा ने उनको आशीर्वाद स्वरूप फूलों की माला पहनने को दी। देवराज इंद्र ने अपनी शक्ति के मद में महर्षि दुर्वासा की ओर ध्यान नहीं दिया और उनकी दी हुई माला को अपने हाथी को पहना दिया। हाथी ने फूलों की महक से परेशान होकर माला को गले से उतार कर पैरों से कुचल दिया। यह सब देखकर महर्षि दुर्वासा ने क्रोधवश देवराज इंद्र सहित सभी देवताओं को शक्तिहीन होने का श्राप दे दिया। तब देवता निराश हो कर विष्णु जी के पास पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवताओं को पुनः शक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने को कहा। अंततः महर्षि दुर्वासा के श्राप से मुक्ति और अमरत्व प्राप्त करने के लिए देवताओं ने समुद्र मंथन किया था।

महर्षि दुर्वासा द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से मिलता है अभयदान

महर्षि दुर्वासा आश्रम उत्थान ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष शरत चंद्र मिश्र जी ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार परम विष्णु भक्त इक्षवाकुवंशीय राजा अंबरीष को क्रोधवश गलत श्राप देने के कारण सुदर्शन चक्र, महर्षि दुर्वासा को मारने के लिए पीछा करने लगे। महर्षि को भगवान विष्णु ने अभयदान के लिए प्रयागराज में संगम तट से एक योजन की दूरी पर भगवान शिव की तपस्य़ा करने को कहा। महर्षि दुर्वासा ने गंगा तट पर शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव का तप और पूजन किया, जिससे उन्हें अभयदान मिला। पौराणिक मान्यता है कि महर्षि द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से अभयदान मिलता है।

प्रयागराज के झूंसी में गंगा तट पर स्थित है महर्षि दुर्वासा का आश्रम

दूर्वा अर्थात दूब घास को ही अपना आहार बनाने वाले महर्षि दुर्वासा का आश्रम प्रयागराज में झूंसी क्षेत्र के ककरा दुबावल गांव में स्थित है। यहां महर्षि दुर्वासा के आश्रम में एक प्राचीन शिव मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में शिव लिंग की स्थापना स्वयं दुर्वासा ऋषि ने ही की थी। मंदिर के गर्भगृह में साधना अवस्था में महर्षि दुर्वासा की प्रतिमा भी स्थापित है। साथ ही मंदिर के प्रांगण में अत्रि ऋषि, माता अनसुइया, दत्तात्रेय भगवान, चंद्रमा, हनुमान जी और मां शारदा की प्रतिमाएं भी है। महर्षि दुर्वासा को वैदिक ऋषि अत्रि और सती अनसुइया का पुत्र और भगवान शिव का अंश माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय और चंद्रमा उनके भाई हैं। सावन मास में यहां प्रतिवर्ष मेला लगता है तथा मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी के दिन दुर्वासा जंयति मनाई जाती है।

महाकुम्भ में पर्यटन विभाग ने करवाया है दुर्वासा आश्रम और शिव मंदिर का जीर्णोद्धार

महाकुम्भ 2025 के दिव्य, भव्य आयोजन में सीएम योगी के निर्देश के अनुरूप प्रयागराज के मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार हो रहा है। इसी क्रम में पर्यटन विभाग ने महर्षि दुर्वासा आश्रम का भी जीर्णोद्धार कराया है। मंदिर के प्रवेश मार्ग पर रेड सैण्ड स्टोन के तीन विशाल द्वार का निर्माण हुआ है। मंदिर की पेंटिग और लाईटिंग का कार्य भी करवाया जा रहा है। महाकुम्भ में संगम स्नान करने वाले श्रद्धालु अभयदान पाने के लिए महर्षि दुर्वासा आश्रम और शिवलिंग का पूजन करने जरूर आते हैं।

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